वट पूर्णिमा पर पति के साथ करें बरगद के पेड़ की परिक्रमा, सुखी रहेगा वैवाहिक जीवन!

 हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को मनाए जाने वाले वट पूर्णिमा व्रत का विशेष महत्व है. वट पूर्णिमा सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है. यह व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है.

 

हिंदू धर्म में वट पूर्णिमा के दिन बरगद के पेड़ (वट वृक्ष) की पूजा का बहुत महत्व है. इस दिन पति के साथ बरगद के पेड़ की परिक्रमा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है. वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास माना जाता है. इसकी पूजा और परिक्रमा करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पति की लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है. यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, सामंजस्य और विश्वास को मजबूत करता है. साथ में परिक्रमा करने से आपसी समझ बढ़ती है और वैवाहिक जीवन के सभी दुख-दर्द दूर होते हैं.

ऐसी मान्यता है कि बरगद का पेड़ सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है. इसकी परिक्रमा से घर और परिवार पर आने वाली नकारात्मक ऊर्जाओं का शमन होता है. यदि वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की कठिनाई या रुकावट आ रही हो, तो वट पूर्णिमा पर की गई पूजा और परिक्रमा उन बाधाओं को समाप्त करने में सहायक होती है.

द्रिक पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 10 जून को सुबह 11 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और 11 जून को दोपहर 1 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी. वट पूर्णिमा का व्रत 10 जून दिन मंगलवार को रखा जाएगा और स्नान-दान 11 जून को किया जाएगा.

वट पूर्णिमा पर पति के साथ करें रुद्राभिषेक

  1. रुद्राभिषेक मुख्य रूप से भगवान शिव की पूजा है, लेकिन वट पूर्णिमा पर भी पति के साथ कुछ विशेष उपाय करने से वैवाहिक जीवन सुखी रहता है.
  2. वट पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके लाल या पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  3. पूजा की थाली में रोली, चावल, फूल, दीपक, धूप, अगरबत्ती, मौली (कलावा), फल (जैसे आम, केला), मिठाई, भीगे हुए चने, और सुहाग की सामग्री (चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि) रखें.
  4. वट वृक्ष के पास जाएं और उसे साफ करें और वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाएं. भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव का ध्यान करते हुए वृक्ष की पूजा करें.
  5. धूप-दीप जलाएं और रोली, चावल, फूल आदि अर्पित करें और पूजा के बाद, अपने पति के साथ वट वृक्ष की परिक्रमा करें.
  6. परिक्रमा करते समय वृक्ष पर मौली का धागा लपेटते रहें. परिक्रमा की संख्या 7, 11, 21 या 108 हो सकती है, अपनी श्रद्धा अनुसार करें. 108 परिक्रमा अत्यधिक फलदायी मानी जाती है.
  7. हर परिक्रमा के साथ पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करें. आप निम्न मंत्र का जाप कर सकते हैं: “अवैधव्यं च सौभाग्यं पुत्रपौत्रादि वर्धनम्। देहि देवि महाभागे वटसावित्री नमोऽस्तुते।।” या केवल “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ नमः शिवाय” का जाप भी कर सकते हैं.
  8. परिक्रमा के बाद वट वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री-सत्यवान की कथा पढ़ें या सुनें. यह कथा पतिव्रता धर्म के महत्व को दर्शाती है.
  9. पूजा के अंत में वृक्ष की आरती करें. इसके बाद, सुहागिन महिलाओं को सुहाग की सामग्री और फल दान करें.
  10. घर आकर प्रसाद वितरण करें. दिन ढलने के बाद सात्विक भोजन से व्रत का पारण करें.

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए विशेष उपाय

वट पूर्णिमा के दिन अपने जीवनसाथी को लौंग का जोड़ा भेंट करें. इससे वैवाहिक संबंधों में मजबूती आती है और प्रेम बढ़ता है. पति-पत्नी एक-दूसरे को पान का पत्ता भेंट करें. यह आपसी प्रेम और समझ बढ़ाता है. यदि संभव हो, तो जीवनसाथी को तुलसी माला भेंट करें. इससे मन शांत रहता है, नकारात्मक विचार दूर होते हैं, और मानसिक तनाव कम होता है, जिससे दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. वट पूर्णिमा का व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करने और परिवार में सुख-समृद्धि लाने का एक महत्वपूर्ण पर्व है. इसे पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाना चाहिए.