सबसे ताकतवर हथियार ब्रह्मास्त्र के पीछे की कहानी क्या है? परमाणु से भी ज्यादा खतरनाक

ब्रह्मास्त्र को संसार का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है. कहा जाता है कि इसके प्रभाव से कोई बच नहीं सकता है. ब्रह्मास्त्र का जिक्र साइंटिस्ट्स भी कर चुके हैं. इसे अब तक रामायण और महाभारत काल में कुछ योद्धा ही चला पाए हैं.

 

आज के समय में परमाणु हथियारों को सबसे विनाशकारक माना जाता है. परमाणु से खतरनाक कोई हथियार नहीं है. लेकिन एक हथियार ऐसा भी है जिसे सबसे शक्तिशाली माना गया है. ये है ब्रह्मास्त्र. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इसे ब्रह्मा जी ने बनाया था और कहा जाता है कि ये पूरी क्षमता के साथ वार करता है और सामने वाले को पूरी तरह से परास्त कर देता है. ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मास्त्र से बचने का कोई उपाय नहीं है. इसे ब्रह्म दंड, भार्गवस्त्र और ब्रह्मशिरास्त्र के नाम से भी जाना जाता है. बता रहे हैं इस अलौकिक अस्त्र से जुड़ी खास बातें.

किसने बनाया था?

हिंदू धर्म को सबसे पुराने धर्मों में से एक माना जाता है. कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि का संचार किया. और उसके बाद उन्होंने ब्रह्मास्त्र बनाया. मान्यताओं के अनुसार उन्होंने ऐसा इसलिए किया था ताकि इंसान संसार के नियमों का पालन करे और चीजें नियंत्रण में रहें. ब्रह्मास्त्र में मंत्रों का इस्तेमाल भी होता है. इसका प्रभाव ऐसा था कि इसे आज भी दुनिया का सबसे खतरनाक अस्त्र माना जाता है. ये एक ऐसा अस्त्र है कि जो एक बार छूट गया तो वो अपने लक्ष्य को खत्म कर के ही दम लेता है. कहा जाता है कि ब्रह्मास्त्र को दुनिया में सिर्फ एक ही चीज परास्त कर सकती है. वो कुद ब्रह्मास्त्र है. मतलब कि अगर ब्रह्मास्त्र से बचना है तो उसके लिए दूसरे छोर से भी ब्रह्मास्त्र से वार होना चाहिए. तभी इसे नष्ट किया जा सकता है.

अब तक कौन चला चुका है?

कहा जाता है कि ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल हर इंसान नहीं कर सकता है और इससे बच पाना भी बहुत मुश्किल होता है. अब तक बहुत कम ही लोग ऐसे हैं जिन्होंने ब्रह्मास्त्र को चलाया है या जिनके पास इसे चलाने का ज्ञान था. इसे अब तक महाभारत काल में श्री कृष्ण, द्रोणाचार्य, अश्वत्थामा, कर्ण और युधिष्ठिर चलाना जानते थे. वहीं रामायण काल में इसे मेघनाद और लक्ष्मण इस्तेमाल कर सकते थे.

क्या कृष्ण ने चलाया है ब्रह्मास्त्र?

भगवान कृष्ण भी ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल कर चुके हैं. इससे पीछे भी एक कहानी प्रचलित है. जब पांडवों ने महाभारत जीत ली तो उन्होंने अपने गुरु द्रोणाचार्य को मार डाला. उसके बाद द्रोणाचार्य के बेटे अश्वत्थामा ने भूचाल मचाना शुरू कर दिया और अपने पिता की मौत का प्रतिशोध लेने लगा. उसने द्रौपति के पांचों बेटों को मौत के घाट उतार दिया. उसका गुस्सा शांत नहीं हो रहा था. जब पांडवों को इस बारे में पता चला तो वे भी अश्वत्थामा के पीछे भागे. अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र पांडवों की ओर छोड़ दिया.

उसी दौरान श्रीकृष्ण भी वहां पर थे. उन्होंने पांडवों को बचाने के लिए फिर से ब्रह्मास्त्र को अश्वत्थामा की ओर मोड़ दिया. इसके बाद अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र को अभिमान्यु की पत्नी उत्तरा की ओर मोड़ दिया. उत्तरा के गर्भ में परीक्षित पल रहे थे. जब श्रीकृष्ण ने ये देखा तो उन्होंने सूक्ष्म रूप धारण किया और उत्तरा के गर्भ से परीक्षित को बचा लिया.