कैथल जिले में पुलिस अधिकारियों की कम संख्या चिंता का विषय, सब इंस्पैक्टर के हाथों में है 14 में से 9 थानों की कमान

कैथल जिले में हरियाणा के पूर्व डी.जी.पी. पी.के अग्रवाल के आदेशों की अनुपालना कैसे सुनिश्चित हो इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मामले में यह कहा भी जा सकता है और नही भी कि उनके  कार्यकाल दौरान जारी आदेशों की अनदेखी हो रही है।

 

गुहला/चीका : कैथल जिले में हरियाणा के पूर्व डी.जी.पी. पी.के अग्रवाल के आदेशों की अनुपालना कैसे सुनिश्चित हो इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मामले में यह कहा भी जा सकता है और नही भी कि उनके  कार्यकाल दौरान जारी आदेशों की अनदेखी हो रही है। हालांकि पूर्व डी.जी.पी. पी.के. अग्रवाल के समय में जारी किए गए उक्त आदेश के बाद ऐसे कोई नए आदेश आने की भी फिलहाल कोई जानकारी प्राप्त नही है। उनके द्वारा जारी आदेशों में कहा गया है कि मुख्य तौर पर थानों में इंस्पैक्टर रैंक के कर्मचारियों को ही थाना अध्यक्ष लगाया जाए लेकिन जिलें में इंस्पैक्टरों की पर्याप्त संख्या न होने के चलते अधिकतर थानों में सब-इंस्पैक्टरों को ही थाना प्रभारी लगाया हुआ है। गौरतलब है कि वर्ष 2021 में तत्कालीन डी.जी.पी. पी.के. अग्रवाल द्वारा 30 नवम्बर 2021 को जारी किए गए आदेश क्रमांक 16294-16319 के तहत प्रदेश के कमीशनर ऑफ पुलिस गुडगांव, फरीदाबाद और पंचकुला सहित सभी जिलों के एस.पी. एवं एस.पी. रेलवे हरियाणा पुलिस अंबाला कैंट को आदेश जारी किए थे।

यह दिए थे आदेश

पूर्व डी.जी.पी. पी.के. अग्रवाल ने इन आदेशों के तहत इस विषय को गंभीर बताया था और हरियाणा के सभी पुलिस अधीक्षकों को पत्र जारी करते हुए यह निर्देश दिए थे कि केवल इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी को ही थाने में एस.एच.ओ. के रूप में तैनात किया जाए। जब तक अत्याधिक आवश्यकता और पेशेवर रूप में सक्षम अधिकारी की अनुपलब्धता न हो। इस समय जिले में 23 इंस्पैक्टरों की पोस्ट स्वीकृत होने के बावजूद महज 12 ही कार्यरत हैं जबकि 2 महिला इंस्पैक्टर लंबी छुट्टी पर हैं एक इंस्पैक्टर बीमार हैं और एक इंस्पैक्टर की इसी महीने रिटायमेंट है। ऐसे में पर्याप्त मात्रा में इंस्पैक्टरों  की अनुपलब्धता के चलते जिले में इस समय अधिक संख्या में सब-इंस्पेक्टर विभिन्न थानों में बतौर एस.एच.ओ. (प्रभारी) की कमान संभाल रहे हैं जबकि तीन सब-इंस्पैक्टर अन्य यूनिटों को संभाल रहे हैं।

इन जगहों पर लगे हुए हैं इंस्पैक्टर 

जिले के 14 थानों में से 5 थानों में इंस्पैक्टरों को थाना प्रभारी लगाया हुआ है जिनमें पूण्डरी थाने में इंस्पैक्टर बलबीर सिंह, ढांड थाने में इंस्पैक्टर राजेन्द्र कुमार, सिविल लाइन कैथल थाने में इंस्पैक्टर शिव कुमार, सिटी थाने में इंस्पैक्टर वीर सिंह, राजौंद थाने में इंस्पैक्टर इंद्र सिंह को प्रभारी लगाया हुआ है जबकि पुलिस लाइन में स्थित इक्नॉमिक सैल में इंस्पैक्टर राजकरण और रैंज आफिस में एक इंस्पैक्टर तैनात हैं जबकि डी.आई यानि जिला इंस्पैक्टर के तौर एक अन्य इंस्पैक्टर भी तैनात हैं। वहीं वेलफेयर इंस्पैक्टर के तौर पर इंस्पैक्टर गीता तैनात हैं तो कोर्ट कांपलैक्स इंचार्ज नरेश कुमार है और हैड क्लर्क के तौर पर इंस्पैक्टर भरत हैं जबकि कानूनी कार्यों की व्यवस्था हेतू डी.डी.ए. ब्रांच में इंस्पैक्टर अमरजीत तैनात हैं।

इन सब-इंस्पैक्टरों की है जिले के अलग-अलग थानों व यूनिटों मेें तैनाती

वहीं जिले के 14 थानों में से 9 थानों की कमान सब-इंस्पैक्टर  संभाले हुए हैं जिनमें सदर थाना कैथल में सब-इंस्पैक्टर ओमप्रकाश, तितरम थाना मेें सब-इंस्पैक्टर वीरेन्द्र कुमार, कलायत में सब-इंस्पैक्टर जयभगवान, साईबर थाना में सब-इंस्पैक्टर सुभ्रांषु, महिला थाना कैथल में सब-इंस्पैक्टर रेखा रानी, जिला ट्रेफिक पुलिस थाना इंचार्ज सब-इंस्पैक्टर राजकुमार, सीवन थाना में सब-इंस्पैक्टर कुलदीप देशवाल, चीका थाना में सब-इंस्पैक्टर सुरेश कुमार, गुहला थाना में सब-इंस्पैक्टर रामपाल थाना प्रभारी लगे हुए हैं इसके अतिरिक्त अन्य यूनिटों में भी सब-इंस्पैक्टरों की ही तैनाती है जिसके चलते सी.आई.ए. एक में पी.एस.आई. अमन, स्पैशल डिटेक्टिव यूनिट में (एस.डी.यू.) में सब-इंस्पैक्टर रमेश कुमार लगाए हुए हैं इसके साथ साथ एंटी व्हीकल थैफ्ट के इंचार्ज के तौर पर सब-इंस्पैक्टर प्रदीप कुमार तैनात हैं।

इस गंभीर विषय को लेकर बात करें तो कहीं न कहीं विभाग के इंस्पैक्टर रैंक के कर्मचारियों की कमी के चलते सब-इंस्पैक्टरों को कमान सौंपना पुलिस अधीक्षक की मजबूरी भी कही जा सकती है। भले ही पुलिस विभाग इस मामले को लेकर जो भी तर्क दे लेकिन इस मामले में गंभीरता से सोचने का विषय जरूर है। 

गृह जिला में ही हैं तैनात हैं कुछ पुलिस कर्मी

वहीं इस मामले में विश्वस्त सूत्रों की मानें तो हरियाणा पुलिस सर्विस रूल के मुताबिक होम जिला में ही संबंधित पुलिस कर्मचारी की तैनाती नही हो सकती जिसको लेकर सख्त नियम भी बताया गया है। जबकि दूसरी तरफ टैंपरेरी तौर पर ही संबंधित कर्मी की उसकी गृह जिले में नियुक्ति हो जाती रही है। हालांकि गृह जिले का वासी होने के कारण संबंधित कर्मी किसी भी जांच को प्रभावित भी कर सकता है। ऐसे में नियम अनुसार ही नियुक्ति होनी चाहिए। जबकि यह नियुक्ति डी.जी.पी. कार्यालय से संबंधित बताई गई है। 

क्या कहते हैं एस.पी.

इस सम्बंध एस. पी.कैथल राजेश कालिया से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि पूर्व डी.जी.पी. पी.के.अग्रवाल द्वारा दिए गए सम्बंधित आदेश में कोई बदलाव नही हुए हैं फिर भी आदेश पर रिव्यू किया जाएगा। आमतौर पर जो बड़े थाने है संबंधित किसी भी थाने के अंतर्गत आने वाली पॉपुलेशन और क्राइम की रेशो को देखते हुए ही इंस्पेक्टर को थाना प्रभारी लगाया जाता है अन्यथा कम जनसंख्या और कम क्राइम के मामले में ऐसा कुछ भी अनिवार्य नहीं है। इसके अतिरिक्त पूरी जानकारी पी.आर.ओ.से हासिल कर लीजिएगा। 

इस मामले में सवाल यह खड़े होते हैं कि जब पर्याप्त संख्या में इंस्पैक्टर उपलब्ध ही नही हैं तो फिर थानों की कमान तो सब-इंस्पैक्टरों के हाथों में जानी ही है ऐसा नही है कि इस तरह से पहले भी होता रहा है लेकिन संभावित है कि ऐसा प्रदेश के अन्य जिलों में भी हो रहा हो। जिस वजह से पूरा तुर्जबा और कानून का ज्ञान न होने के कारण लोगों को कुछ सब-इंस्पैक्टर इंसाफ दिला पाने में सक्षम न हों। जिसके चलते सरकार को इस मामले पर विचार करते हुए प्रदेश के सभी जिलों में इंस्पैक्टरों की संख्या पूरी करनी चाहिए या नियुक्तियां करनी चाहिए।