गुहला-चीका में 5.88 करोड़ रुपए के धान घोटाले का मामला, आरोपियों की तालाश में पुलिस नहीं सक्रिय
चीका में पिछले दिनों घटित हुए चर्चित 5.88 करोड़ रुपए से ज्यादा के धान घोटाले को लेकर डी.एम. हैफेड कैथल की शिकायत पर पुलिस द्वारा भले ही मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई लेकिन अभी भी कई आरोपी सलाखों से बाहर घूम रहे हैं जबकि केवल 2 आरोपी कोर्ट के...
गुहला चीका : चीका में पिछले दिनों घटित हुए चर्चित 5.88 करोड़ रुपए से ज्यादा के धान घोटाले को लेकर डी.एम. हैफेड कैथल की शिकायत पर पुलिस द्वारा भले ही मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई लेकिन अभी भी कई आरोपी सलाखों से बाहर घूम रहे हैं जबकि केवल 2 आरोपी कोर्ट के आदेशों पर शामिल जांच में है। हालांकि अन्य आरोपियों की तालाश को लेकर गुहला पुलिस की कार्रवाई कहीं न कहीं ढीली नजर आ रही है।
गौरतलब है गुहला पुलिस ने राइस मिलर और उसके गारंटरों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जबकि जांच का विषय यह भी है कि इस मामले में किसी अन्य सूत्रधार की संलिप्तता होने से इंकार नहीं किया जा सकता।
कोर्ट के आदेशों पर 2 हुए जांच में शामिल : पी.आर.ओ.
पुलिस पी.आर.ओ. प्रवीण श्योकंद से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोर्ट ने 2 आरोपियों को अग्रिम जमानत दी थी, जिसके चलते दोनों आरोपियों सतीश कुमार व रामा सिंह को शामिल जांच होने के आदेश दिए थे जोकि शामिल जांच हुए थे, जिसे गिरफ्तारी नहीं कहा जा सकता।
एजेंसी की भूमिका पर सवाल
इस घोटाले के मामले में सबसे बड़े सवाल यह खड़े होते हैं कि हैफेड एजेंसी द्वारा समय-समय पर मिलर की फिजीकल वैरीफिकेशन करने की जिम्मेदारी थी, जिसमें एजेंसी पूरी तरह फेल नजर आई है।
यह था पूरा मामला
इस मामले में पुलिस को हैफेड डी.एम. की शिकायत के अनुसार चावल लगाने की अंतिम विस्तारित अवधि 30 सितम्बर, 2024 तक निर्धारित की गई थी, लेकिन 30 सितम्बर की डिलीवरी रिपोर्ट के अनुसार अब तक मैसर्ज गोयल फूड, चीका द्वारा केवल 54 प्रतिशत चावल की डिलीवरी भारतीय खाद्य निगम को दी गई थी, जोकि लक्ष्य के अनुरूप नहीं थी। भले ही इसे लेकर राइस मिलर को बार-बार अवगत करवाया गया, लेकिन इस मामले में फिजीकल वैरीफिकेशन को लेकर एजेंसी द्वारा क्या रिपोर्ट बनाई और क्या भूमिका निभाई गई, यह जांच दौरान देखने का विषय है।
इस मामले में डी.एम. द्वारा आरोप लगाए गए थे कि कि निरीक्षण के दौरान आरोपी राइस मिलर के पास पर्याप्त स्टॉक भी नहीं पाया गया। इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि राइस मिल से हजारों क्विंटल की धान कैसे और कब निकली और किसकी शय पर निकली ? एजेंसी की तरफ से देख-रेख के लिए वॉचमैन की नियुक्ति तक का प्रावधान है, परंतु ऐसा क्यों नहीं किया गया और अगर ऐसा किया गया तो इतनी बड़ी मात्रा में धान चोरी कैसे हो गया।
15 दिनों के नोटिस किये थे जारी -डीएम
डी.एम. हैफेड सुरेश वैध से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि सी.एम.आर. पॉलिसी के अनुसार हर 15 दिनों में फिजीकल वैरीफिकेशन होती है। ऐसे में कम धान मिलने पर नोटिस देकर मिलर्स को शॉर्टेज पूरी करने के लिए निर्देश दिए जाते हैं। 15 दिनों के अंतराल में ही यह सब किया गया है क्योंकि 15 दिनों पहले की फिजीकल वैरिफिकेशन में स्टॉक पूरा मिला था। अमूमन मिलर्स द्वारा ऐसे में शॉर्टेज पूरी कर भी ली जाती है। इस केस में मिलर्स द्वारा शॉर्टेज पूरी नहीं की गई, जिसके चलते उनके खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है। मिलर्स द्वारा अपने मित्रों के माध्यम से रिकवरी अदा करने की बात कही जा रही है लेकिन अभी तक कोई रिकवरी जमा नहीं हुई है।
एस.एच.ओ. ने नहीं दिया संतोषजनक जवाब
गुहला थाना प्रभारी एस. आई. रामपाल ने मामले को लेकर संतोषजनक जवाब न देते हुए कहा कि 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जबकि उनकी डिटेल उन्होंने नहीं बताई। हालांकि ज्यादा जानकारी के लिए उन्होंने जांच अधिकारी महीपाल से बात करने बारे कहा लेकिन उनका नंबर मांगे जाने पर वह उपलब्ध नहीं करवाया।