दुनिया में चर्चा का विषय बना हरियाणा का ये गांव, जहां मिलता है अनोखा पत्थर, जानें इसकी खासियत
दुनिया में दूसरा तो भारत देश के चरखी दादरी में पहला ऐसा पहाड़ है जहां हिलना पत्थर मिलता है।
चरखी दादरी : दुनिया में दूसरा तो भारत देश के चरखी दादरी में पहला ऐसा पहाड़ है जहां हिलना पत्थर मिलता है। दादरी जिले के गांव कलियाणा में अरावली पहाड़ियों में रबड़ की तरह लचीला अनोखा पत्थर जिसे स्थानीय भाषा में इसे हिलना पत्थर के नाम से जानते हैं। रबड़ की तरह हिलना पत्थर ने गांव कलियाणा को देश-विदेश में पहचान दिलाई है। हिलना पत्थर से भूकंप-रोधी इमारतें बनने की संभावना को लेकर वैज्ञानिक भी रिसर्च कर रहे हैं। गांव में इस अनोखे पत्थर का जहां गिनीज बुक में नाम दर्ज है। वहीं सरकार द्वारा इस गांव की पहाड़ी में बड़ा पर्यटन स्थल बनाने की कवायद की गई है। संबंधित विभागों द्वारा प्राकृतिक व भू वैज्ञानिक धरोहर को बचाने के लिए जहां पहाड़ी में जाने पर प्रतिबंध लगाया है वहीं ग्रामीण भी अपने स्तर पर इसको बचाने के लिए लगातार निगरानी कर रहे हैं।
देखने के लिए आते हैं देश-विदेश से लोग
बता दें कि चरखी दादरी जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर की दूरी पर कलियाणा गांव स्थित है। गांव की पश्चिम दिशा की ओर अरावली के पहाड़ की एक खान में अनोखा लचीला पत्थर है। फ्लेक्सीबल सैंड स्टोन को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते रहे हैं। बताया जा रहा है कि हिलना पत्थर की लचक एक खास तरह के प्राकृतिक वातावरण की वजह से होती है। आखिरकार यह पत्थर किस तरह की भूगर्भीय स्थितियों में पाया जाता है और यह कैसे बना। यह सब जानने के लिए देशभर के वैज्ञानिक रिसर्च भी कर रहे हैं। हिलना पत्थर से भूकंप-रोधी इमारतें बनने बारे भी रिसर्च की जा रही है। हालांकि वन, खनन सहित कई विभागों द्वारा पहाड़ी के रास्ते पर भू वैज्ञानिक धरोहर को बचाने व हिलना पत्थर को नुकसान पहुंचाने पर कानूनी कार्रवाई बारे बोर्ड भी लगाया गया है।
संवाददाता ने गांव कलियाणा की अरावली पहाड़ी में स्थित हिलना पत्थर की चट्टानों तक पहुंचकर पूरी जानकारी ली। यहां के निवासी नरेंद्र राजपूत, बिजेंद्र सिंह, जयभगवान व पूर्व सरपंच नानकी देवी ने बताया कि हिलना पत्थर को लचीला बलुआ पत्थर के अलावा डांसिंग स्टोन ऑफ हरियाणा भी कहा जाता है। प्रदेश सरकार ने अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं में हाल ही में इसके बारे में सवाल भी पूछा जाता है। यहीं कारण है कि उनके गांव कलियाणा का नाम देश-विदेशों में पहचान है। ग्रामीण चाहते हैं कि गांव की शान हिलना पत्थर की धरोहर को बचाने के लिए पर्यटन स्थल बने। वहीं ग्रामीण भी अपने स्तर पर हिलना पत्थर को बचाने की मुहिम के लिए लगातार प्रयासरत हैं। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि पिछले दिनों दिल्ली यूनिवर्सिटी के भूगर्भ विज्ञान के प्रोफेसर प्रभास पांडे अपनी टीम के साथ गांव पहुंचे थे। उनके मुताबिक हिलना पत्थर की अनूठी खासियत का अध्ययन करके इन पत्थरों का इस्तेमाल भूकंप रोधी इमारतें बनाने में हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो भारत जैसे भूकंप संवेदी देश के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।