दो गुरुओं के बीच फंसी धीरेंद्र शास्त्री की शादी, खुद क्या चाहते हैं बाबा बागेश्वर?
बाबा बागेश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री शादी करेंगे या नहीं? यह ऐसा सवाल है जिसे हर कोई जानना चाहता है. ऐसे में उनकी शादी अब दो गुरुओं के बीच फंस गई है. एक गुरु चाहते हैं कि धीरेंद्र शादी करें, जबकि दूसरे गुरु चाहते हैं कि वो दांपत्य बंधन में न बंधे. चलिए जानते हैं आखिर धीरेंद्र शास्त्री खुद क्या चाहते हैं...
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की शादी को लेकर चर्चाएं फिर से शुरू हो गई हैं. क्या वो शादी करेंगे या नहीं, हर कोई यह जानना चाहता है. धीरेंद्र शास्त्री के गुरु रामभद्राचार्य चाहते हैं कि वो शादी करें. लेकिन बागेश्वर बाबा धीरेंद्र शास्त्री के माता-पिता के गुरु दंडी स्वामी श्री महाराज नहीं चाहते कि वो शादी करके दांपत्य बंधन में बंध जाएं.
इस बीच अब नई खबर सामने आई है. पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के माता-पिता के गुरु दंडी स्वामी श्री महाराज जो कि काशी में अस्सी घाट पर रह रहे हैं, उन्होंने बताया कि धीरेंद्र शास्त्री को शादी क्यों नहीं करनी चाहिए. दंडी स्वामी श्री महाराज ने कहा- धीरेंद्र स्वामी बाल ब्रह्मचारी हैं. ऐसे में उन्हें शादी नहीं करनी चाहिए. वो बाल ब्रह्मचारी ही रहेंगे तो शुद्ध रहेंगे. ऐसे में वो करोड़ों लोगों का भला भी करते रहेंगे. लेकिन अग वो शादी के बंधन में बंध गए तो लोगों का भला उस तरह नहीं कर पाएंगे जैसे अभी कर रहे हैं.
उन्होंने कहा- लेकिन अगर धीरेंद्र शास्त्री के गुरु रामभद्राचार्य का आदेश है कि वो शादी करें तो बिल्कुल ऐसा किया जा सकता है. मैं खुद उनकी शादी में आऊंगा. मैंने तो एक नहीं 10 बार धीरेंद्र की मां से कहा कि उनकी शादी न करवाएं. छोटे बेटे की शादी करवानी है तो वो बिल्कुल करवा सकते हैं. लेकिन मुझे नहीं लगता कि धीरेंद्र शास्त्री को शादी करनी चाहिए.
शादी पर क्या बोले धीरेंद्र शास्त्री?
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने एक सत्संग में कहा था- मैं वचन देकर जा रहा हूं कि मुझे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का विवाह करना है, करना है और करना है. इस पर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था- जहां गुरुजी और मेरे माता-पिता शादी तय करेंगे मैं कर लूंगा.
क्या बोले गुरु दंडी स्वामी श्री महाराज?
गुरु दंडी स्वामी श्री महाराज ने कहा- मैं दोनों भाइयों (धीरेंद्र और शालिग्राम गर्ग) को बचपन से देखा है. जब वो छोटे थे, तभी से अपने माता-पिता संग मेरे पास आते थे. उनके माता पिता काफी गरीब थे. मैंने ही उन्हें गुरु मंत्र दिया है. मैं उनके माता-पिता का गुरु हूं. तब उनके पास गुरु दक्षिणा देने के लिए कुछ नहीं होता था. एक बार उन्होंने मुझे अपने छोटे बेटे के हाथों 11 रुपये की गुरु दक्षिणा दिलवाई थी. आज भी जब वे लोग मुझसे मिलते हैं तो मुझे चंदन का टीका लगाकर मेरे पैर छूते हैं और आशीर्वाद लेते हैं.