उत्तरी कश्मीर की 16 सीटों पर इंजीनियर राशिद फैक्टर, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के लिए कैसे बन गए टेंशन?

कश्मीर रीजन की जिन 16 सीटों पर चुनाव है, वो उत्तर कश्मीर के इलाके की हैं. सज्जाद लोन और इंजीनियर राशिद की पार्टी के चलते पीडीपी और नेशनल कॉफ्रेंस की टेंशन बढ़ गई है. ये दोनों अलगावागद से मुख्यधारा की राजनीति में लौटे हैं, जिसके चलते उनकी अपनी सियासी पकड़ है. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण का मुकाबला काफी रोचक हो गया है.

 

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे व आखिरी चरण का मतदान एक अक्टूबर को है. इस चरण में 40 सीटों पर वोटिंग होगी. इसके लिए रविवार शाम को प्रचार अभियान थम गया. तीसरे चरण की जिन 40 सीटों पर चुनाव है, उसमें 24 सीटें जम्मू क्षेत्र की है तो 16 सीटें कश्मीर रीजन की है. जम्मू में बीजेपी की साख दांव पर लगी है तो कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसे दल ही नहीं बल्कि इंजीनियर राशिद की आवामी इत्तेहाद पार्टी और सज्जाद लोन के पीपुल्स कॉन्फ्रेंस भी अहम फैक्टर है. इंजीनियर राशिद की पार्टी उत्तर कश्मीर में जिस तरह से अपनी सियासी पकड़ बनाई है, उसके चलते पीडीपी और नेशनल कॉफ्रेंस का समीकरण बिगड़ता हुआ नजर आ रहा है.

विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण 40 सीटों में से कश्मीर रीजन की 16 सीटें है. यह सभी सीटें बारामुल्ला, कुपवाड़ा और बांदीपुर जिले की हैं, जो उत्तर कश्मीर के इलाके में आता है. उत्तर कश्मीर की करनाह, त्रेगम, कुपवाड़ा, लोलब, हंदवाड़ा, लंगेट, सोपोर, रफियाबाद, उरी, बारामुला, गुलमर्ग, वागोरा-क्रीरी, पट्टन, सोनावारी, बांदीपुरा और गुरेज (एसटी) सीट शामिल हैं.

वहीं, जम्मू क्षेत्र की 24 सीटें, उसमें उधमपुर पश्चिम, उधमपुर पूर्व, चेनानी, रमनगर (एससी), बानी, बिलावर, बसोहली, जसरोटा, कठुआ (एससी), हीरानगर, रामगढ़ (एससी), सांबा, विजयपुर, बिश्नाह (एससी), सुचेतगढ़ (एससी), आरएस पुराजम्मू साउथ, बाहू, जम्मू ईस्ट, नगरोटा, जम्मू वेस्ट, जम्मू नॉर्थ, मरह (एससी), अखनूर (एससी)और छंब सीट शामिल हैं.

नॉर्थ कश्मीर का मुकाबला काफी दिलचस्प

उत्तर कश्मीर के इलाके में पीडीपी और नेशनल कॉफ्रेंस जैसी मुख्यधारा की राजनीतिक दलों के साथ-साथ अलगगावादियों का भी सियासी आधार है. सज्जाद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और इंजीनियर राशिद की पार्टी एआईपी दोनों की शुरुआत कुपवाड़ा जिले से हुई. इसी इलाके में ही इनका सियासी आधार है. इस बार चुनाव में जिस तरह इंजीनियर राशिद और सज्जाद लोन ही नहीं बल्कि जमात-ए-इस्लामी और निर्दलीय भी चुनावी मैदान में उतरे हैं, उसके चलते नार्थ कश्मीर के इलाके का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है.

PDP से पहले NC का गढ़ था उत्तरी कश्मीर

जम्मू-कश्मीर की सियासत में पीडीपी के उभरने से पहले उत्तर कश्मीर का इलाका नेशनल कॉफ्रेंस का गढ़ हुआ करता था. 2002 के विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉफ्रेंस ने इस क्षेत्र की 9 सीटें जीतने में कामयाब रही. 2008 में नेशनल कॉफ्रेंस घटकर सात सीटों पर आई गई और पीडीपी छह सीटें जीतने में सफल रही. 2014 के चुनाव में उत्तर कश्मीर के क्षेत्र में पीडीपी सात सीटें जीतने में सफल रही और नेशनल कॉफ्रेंस घटकर तीन सीटों पर सिमट गई थी. सज्जाद लोन के करीबी सोफी मोहिदुद्दीन हंदवाड़ा सीट से जीतने में सफल रहे थे.

हालांकि, 2002 में सज्जाद लोन अलगाववादी संगठन हु्रियत कॉफ्रेंस से जुड़े हुए थे. सज्जाद लोन 2014 में आए सियासत में और हंदवाड़ा सीट से विधायक बने और उनके पार्टी सहयोगी बशीर अहमद डार ने कुपवाड़ा सीट से जीत दर्ज की थी.

इंजीनियर राशिद ने साल 2008 में कश्मीर प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन की नौकरी छोड़कर सियासत में कदम रखा. कुपवाड़ा जिले की लंगेट विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर विधायक बने. सज्जाद लोन भले ही कुपवाड़ा तक सीमित रहे हो, लेकिन इंजीनियर राशिद ने उत्तरी कश्मीर के तीन जिलों में अपनी सियासी पकड़ बनाए रखने में काफी हद तक सफल हो गए हैं. इस तरह उत्तर कश्मीर की जिन विधानसभा सीटों पर विधानसभा चुनाव है, उसमें इंजीनियर राशिद अहम फैक्टर माने जा रहे हैं.

इंजीनियर पर BJPके ‘प्रॉक्सी’ होने का आरोप

उत्तर कश्मीर बेल्ट में सियासी आधार रखने वाले सज्जाज लोन और इंजीनियर राशिद पर पीडीपी और एनसी की तरफ से बीजेपी के ‘प्रॉक्सी’ होने का आरोप लगाया जा रहा है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में अर अब्दुल्ला और सज्जाद लोन बारामुल्ला लोकसभा सीट से इंजीनियर राशिद से चुनाव हार गए थे. सज्जाद लोन इस बार दो विधानसभा सीटों – हंदवाड़ा और कुपवाड़ा से चुनाव लड़ रहे हैं और दोनों सीटों पर जीत हासिल करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में इंजीनियर राशिद की पार्टी उनकी राह में एक बड़ी सियासी बाधा बन गई है.

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सियासी वजूद में आई इंजीनियर राशिद की एआईपी को एक छोटी पार्टी के रूप में देखा जाता था, जिसका सियासी आधार राशिद के पैतृक सीट लंगेट विधानसभा क्षेत्र से बाहर कोई अस्तित्व नहीं था. लोकसभा चुनाव में राशिद की जीत के बाद सारे समीकरण बदल गए हैं. बारामुल्ला लोकसभा सीट के 18 विधानसभा क्षेत्रों में से 15 क्षेत्रों में राशिद को बढ़त मिली थी. सांसद बनने के बाद राशिद अपनी पार्टी के आधार को मजबूत करने की उम्मीद कर रहे हैं. इस बार के चुनाव में एआईपी को भले ही पार्टी का दर्जा न मिला हो, लेकि कश्मीर संभाग में 35 सीटों पर चुनाव लड़ रही, जिसमें से 15 सीटें उत्तरी कश्मीर वाले इलाके की हैं.

सज्जाद और राशिद ने बढ़ाई NC-PDP की मुश्किल

सज्जाद लोन और इंजीनियर राशिद की पार्टी के चलते पीडीपी और नेशनल कॉफ्रेंस की टेंशन बढ़ गई है. ये दोनों अलगावागद से मुख्यधारा की राजनीति में लौटे हैं, जिसके चलते उनकी अपनी सियासी पकड़ है. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण का मुकाबला काफी रोचक हो गया है. ऐसे में देखना है कि इंजीनियर राशिद इस बार क्या सियासी गुल खिलाते हैं?