भारत एक धर्मनिर्पेक्ष देश, सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि… बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी

देशभर में बुलडोजर कार्रवाई पर अंतरिम रोक मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत की जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच कर रही है. सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करते हुए कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारा आदेश अतिक्रमणकारियों की मदद न करे.

 

देशभर में बुलडोजर कार्रवाई पर अंतरिम रोक मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत की जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच कर रही है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर 1 अक्टूबर तक के लिए रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मैं 3 राज्य यूपी, मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार की ओर से पेश हो रहा हूं, चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि बुलडोजर कार्रवाई को लेकर दिशानिर्देश पूरे भारत में तैयार किए जाएंगे, मेरे पास कुछ सुझाव हैं.

जस्टिस गवई ने कहा कि हमने यह स्पष्ट कर दिया है, यदि कोई सार्वजनिक सड़क, जल निकाय, रेलवे लाइन है तो कदम उठा सकते हैं. हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं. यह पूरे देश के लिए होगा. एसजी ने कहा कि मैं हिंदू-मुस्लिम पर नहीं हूं. एक वास्तविक मामला लीजिए. संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक के वकील ने हस्तक्षेप आवेदन का उल्लेख किया, जिस पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया.

एसजी ने कहा कि किसी ने एनजीटी के समक्ष याचिका दायर की है कि वन भूमि अवैध अतिक्रमण के अधीन है. बुलडोजर के कुछ उदाहरणों से कानून बनाने में मदद नहीं मिल सकती है, जिससे पूरा देश पीड़ित है. जस्टिस गवई ने कहा कि नोटिस की वैध सेवा होनी चाहिए. पंजीकृत माध्यम से यह नोटिस चिपकाने वाली बात जाएगी. डिजिटल रिकॉर्ड होना चाहिए. अधिकारी भी सुरक्षित रहेंगे. हमारे पास पर्याप्त विशेषज्ञ हैं. जस्टिस गवई ने कहा कि हम स्पष्ट करेंगे कि विध्वंस केवल इसलिए नहीं किया जा सकता कि कोई आरोपी या दोषी है. इसके अलावा इस बात पर भी विचार करें कि बुलडोजर कार्रवाई के आदेश पारित होने से पहले भी एक संकीर्ण रास्ता होना चाहिए. जस्टिस गवई ने कहा कि जब मैं बॉम्बे हाई कोर्ट में था तो मैंने खुद फुटपाथों पर अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था.

अदालतों को देंगे सख्त निर्देश- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अदालतों को अनधिकृत निर्माण मामलों से निपटने के दौरान सतर्क रहने का निर्देश देंगे. जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में विध्वंस की संख्या लगभग 4.5 लाख है, जिस पर एसजी ने कहा कि यह मेरी वास्तविक चिंता है. यह सिर्फ 2 फीसदी मामले हैं. जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि यह कुछ या 2 फीसदी नहीं है, ऐसा प्रतीत होता है कि तोड़फोड़ का आंकड़ा 4.5 लाख के बीच है. यह पिछले कुछ वर्षों के बारे में दिया गया एक सुसंगत आंकड़ा है.

एसजी ने कहा कि याचिकाकर्ता सुझाव दे रहे हैं कि नोटिस चिपकाए जाने पर गवाह उपस्थित रहें. इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि यदि चिपकाना मनगढ़ंत हो सकता है, तो 2 गवाह भी गढ़े जा सकते हैं.

हम एक धर्मनिरपेक्ष देश, निर्देश पूरे देश में लागू होंगे- सुप्रीम कोर्ट

याचिकाकर्ता के वकील सीयू सिंह ने गुजरात में बुलडोजर कार्रवाई का जिक्र किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी तोड़फोड़ हुई है. 28 लोगों के घर तोड़ दिए गए हैं. इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि हम इस मामले पर भी आएंगे. एसजी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जो भी निर्णय लिया जाए, कृपया बिल्डरों और व्यवस्थित अनधिकृत अतिक्रमणकारियों को ध्यान में रखें. कुछ लोगों के साथ अन्याय हुआ है, जैसा कि याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है. जस्टिस गवई ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं. निर्देश पूरे देश में लागू होंगे. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारा आदेश अतिक्रमणकारियों की मदद न करे.

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिना कोर्ट की अनुमति के बुलडोजर कार्रवाई न हो. उसने साफ किया था कि यदि सार्वजनिक सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइन, जल निकाय आदि पर कोई अनधिकृत निर्माण होता है, तो सरकार कार्रवाई कर सकती है, तब यह आदेश लागू नहीं होगा.