मणि माणिक महंगे किए… क्या इस बार बजट में दिखेगी ‘भगवान राम’ की झलक?

'श्रीरामचरित मानस' के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की ये पंक्तियां 'भगवान राम' को ना सिर्फ लोकनायक बनाती हैं, बल्कि उनके पूरे अर्थशास्त्र को भी दिखाती हैं. क्या इस बार के बजट में भी 'श्रीराम' की ये झलक देखने को मिलेगी.

 

‘मणि माणिक महंगे किए, सहजे तृण जल नाज, तुलसी सोई जानिए, राम गरीब नवाज’… गोस्वामी तुलसीदास की लिखी ये एक रचना असलियत में अर्थशास्त्र का एक पूरा ज्ञानकोश है. ये बताती है कि एक जननायक अपनी जनता के साथ किस तरह का व्यवहार करता है और किसी देश काल में टैक्स व्यवस्था कैसी रखता है. अब जब देश का बजट 23 जुलाई को पेश होने जा रहा है, तब इस छंद का मतलब समझना और जरूरी हो जाता है.

तुलसीदास जी ऊपर बताए छंद में भगवान राम के राज्य की टैक्स व्यवस्था के बारे में बात करते हैं. वह कहते हैं कि प्रजा का असली राजा वही होता है, जो उनसे उनकी क्षमता के मुताबिक टैक्स लेता है. जैसे मणि-माणिक महंगे किए…यानी अमीर लोग जो हीरे-मोती, जेवरात खरीदते हैं. उस पर टैक्स ज्यादा होना चाहिए. वहीं सहजे तृण जल नाज…यानी पशु-पक्षियों का भोजन तृण, सबकी जरूरत जल और मनुष्य का भोजन ‘अनाज’ इसकी कीमतों को सरकार को कम से कम बनाए रखना चाहिए. राम गरीब नवाज…यानी इन बातों का ध्यान रखने वाला असलियत में गरीबों की फिक्र करने वाला नेता होता है.

क्या देश में लगेगा Billionaire Tax?

अगर ऊपर की पंक्तियों के अर्थ को आज के दौर में समझें, तो ब्राजील इसकी पैरवी करता दिख रहा है. इस बार की G20 Summit का अहम मुद्दा दुनिया के बहुत अमीर लोगों पर वेल्थ टैक्स लगाना है. ब्राजील के साथ फ्रांस, जर्मनी जैसे देश भी इसका समर्थन कर रहे हैं. अगर ये लागू होता है, तो 1 अरब डॉलर यानी करीब 8300 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति वालों पर सरकारें 2 प्रतिशत का टैक्स लगा सकती हैं और उनका इस्तेमाल देश के विकास में कर सकती हैं.

वेल्थ टैक्स को लेकर इकोनॉमिस्ट डॉ. सुधांशु कुमार ने ‘TV9 Digital’ से कहा, ”इस कॉन्सेप्ट को आगे बढ़ाया जरूर जा रहा है, लेकिन ये कोई नया विचार नहीं है. भारत जैसे देश में ये व्यवस्था पहले थी, लेकिन उसे हटा दिया गया. आज के दौर में ये और भी मुश्किल है क्योंकि अब ग्लोबलाइजेशन का जमाना है. अगर दुनिया के कुछ देशों की सरकारें ऐसा करती हैं, तो बहुत से ऐसे देश हैं जो बिलेनियर्स का स्वागत करने के लिए तैयार होंगी. फिर अमीर लोगों का उन देशों की ओर पलायन शुरू हो जाएगा.”

इस बात में काफी सच्चाई भी है. हाल में आई द हेनली एंड पार्टनर रिपोर्ट (The Henley & Partner Report) में बताया गया है कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) वो टॉप देश है, जहां दुनियाभर के अरबपति लोग शिफ्ट हो रहे हैं. इस मामले में दूसरे नंबर पर अमेरिका है. रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2024 के अंत तक करीब 6400 करोड़पति लोग दुबई शिफ्ट हो जाएंगे. वहीं बात अगर भारत की करें तो 2024 के अंत तक यहां से 4300 करोड़पति दुनिया के अलग-अलग देशों में माइग्रेट होंगे. 2023 में ये संख्या 5100 थी. दुबई में सबसे ज्यादा करोड़पतियों और अरबपतियों के शिफ्ट होने की वजह वहां इनकम टैक्स जीरो होना है.

क्या आम आदमी दे रहा ज्यादा इनकम टैक्स?

इस बार के बजट से आम आदमी को जो सबसे ज्यादा उम्मीद है, वो है इनकम टैक्स में राहत की. अलग-अलग सेक्टर के एक्सपर्ट ने भी सरकार से इकोनॉमी में डिमांड बढ़ाने के लिए इस तरह के कदम उठाने की मांग की है. लेकिन एक सवाल है कि क्या आम आदमी आज की तारीख में ज्यादा इनकम टैक्स चुका रहा है. इसके लिए एक छोटी सी कैलकुलेशन को समझना होगा.

समय के साथ आपकी कमाई की वैल्यू घटती जाती है, क्योंकि महंगाई की वजह से रुपए की वैल्यू कम होती है. साल 2014 में जब बजट पेश किया गया था, तब देश में ओल्ड रिजीम टैक्स व्यवस्था ही थी. तब 10 लाख रुपए से ऊपर की इनकम पर 30 प्रतिशत टैक्स की व्यवस्था की गई. बीते 10 साल से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है.

इसी बीच महंगाई तेजी से बढ़ी है. अगर इसे 6 प्रतिशत भी रखा जाए, तो 2014 के 10 लाख रुपए की वैल्यू आज 5.5 लाख रुपए है. इस तरह आज की तारीख में आप असलियत में 5.5 लाख रुपए की इनकम पर ही 30 प्रतिशत टैक्स दे रहे हो. दूसरी तरफ सरकार कॉरपोरेट टैक्स को जितना कम कर सकती थी, उतना लगभग कर चुकी है.

इस बारे में बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के एसोसिएट प्रोफेसर और इकोनॉमिस्ट डॉ. सुधांशु कुमार कहते हैं, ”ये एक चिंता का विषय तो है. भारत में इनकम टैक्स को इंफ्लेशन इंडेक्स के साथ लिंक नहीं किया गया है. इसकी मांग लंबे समय से उठती रही है, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया है. सरकार को इनकम टैक्स की व्यवस्था को इंफ्लेशन इंडेक्स से लिंक करना चाहिए, ताकि कमाई पर पड़ने वाले महंगाई के असर को कम किया जा सके.”

अब जब सरकार 23 जुलाई 2024 को पूर्ण बजट पेश करने जा रही है, तो देखना होगा कि क्या उसमें भगवान राम के आदर्शों की झलक दिखेगी, जो गरीबों और आम आदमी को राहत और अमीरों पर थोड़ा ज्यादा टैक्स लगाने की व्यवस्था की बात करती है.