लाखों के कपड़े, बाइक दिलाई… गर्लफ्रेंड पर लुटाई दौलत, कंपनी में 90 लाख के गबन करने वाले HR की कहानी

इंदौर जिले के एक निजी अस्पताल से एचआर एग्जीक्यूटिव ने फर्जी सैलरी बैंक अकाउंट खोलकर 90 लाख की ठगी की. एचआर मैनेजर की शिकायत के बाद पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है. जांच में सामने आया है कि आरोपी ने अपनी गर्लफ्रेंड के महंगे शौक को पूरा करने के लिए इस फर्जीवाड़े की घटना को अंजाम दिया था.

मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के निजी अरबिंदो अस्पताल से 200 फर्जी सैलरी बैंक अकाउंट खोलकर 90 लाख से ज्यादा रुपयों के धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. एचआर एग्जीक्यूटिव ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर करीब 200 कर्मचारियों की फर्जी भर्ती दिखाई और फिर अकाउंट से लाखों रुपयों का हेरफेर किया. संस्थान के वार्षिक ऑडिट में जब इस बात का खुलासा हुआ, तो आरोपी मौके से फरार हो गए. इस मामले में बाणगंगा पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

इंदौर के बाणगंगा थाना क्षेत्र के उज्जैन रोड स्थित अरविंदो अस्पताल में 200 लोगों को कर्मचारी उनके बताकर खाते खोलकर, उसमें सैलरी ट्रांसफर करने का मामला सामने आया है. इस मामले में बाणगंगा पुलिस ने अरबिंदो अस्पताल में 90 लाख रुपए के गबन के आरोप में एचआर एग्जीक्यूटिव वैभव पोरे, हिमांशु ठाकुर और अन्य दो साथियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. आरोपियों ने करीब 200 अस्थायी कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति करके इस पूरे धोखाधड़ी के मामले को अंजाम दिया है.

कर्मचारियों के नाम पर किया लाखों रुपये का ठग

इस मामले में अस्पताल के एचआर मैनेजर ने बाणगंगा पुलिस थाने के मामला दर्ज करवाया है, जहां पुलिस की जांच में पता चला कि वैभव ने अक्टूबर 2023 से लेकर नवंबर 2024 तक यह फर्जीवाड़ा किया है और अस्थाई कर्मचारियों के नाम पर किए गए गबन की राशि अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ ही अपनी गर्लफ्रेंड के शौक पूरा करने के लिए उनके अकाउंट में ट्रांसफर किए थे. जांच में सामने आया है कि आरोपी ने जल्द अमीर बनने और अपनी गर्लफ्रेंड के महंगे शौक पूरा करने के लिए इस घटना को अंजाम दिया था. आरोपी ने गर्लफ्रेंड को महंगे कपड़े और बाइक भी दिलाई थी.

आरोपियों की तलाश में जुटी कई टीमें

पुलिस ने अस्पताल प्रबंधन की और से भेजे गए दस्तावेजों और ऑडिट रिपोर्ट की जांच के बाद मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है. जांच पड़ताल में चला है कि जांच के बाद सभी आरोपी इंदौर से फरार हो गए हैं. पुलिस की कई टीमें इस मामले में आरोपियों की तलाश में जुट गई हैं. पुलिस अस्पताल में मौजूद में आरोपी के दोस्तों से भी पूछताछ कर रही है. जांच में सामने आया है कि आरोपी फर्जी कर्मचारियों के साइन खुद ही कर लिया करता था, तो वहीं आरोपी जल्द ही एक ऐसा सॉफ्टवेयर लेकर आने वाला था. जिससे आसानी से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जा सकता था.

 

मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के निजी अरबिंदो अस्पताल से 200 फर्जी सैलरी बैंक अकाउंट खोलकर 90 लाख से ज्यादा रुपयों के धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. एचआर एग्जीक्यूटिव ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर करीब 200 कर्मचारियों की फर्जी भर्ती दिखाई और फिर अकाउंट से लाखों रुपयों का हेरफेर किया. संस्थान के वार्षिक ऑडिट में जब इस बात का खुलासा हुआ, तो आरोपी मौके से फरार हो गए. इस मामले में बाणगंगा पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

इंदौर के बाणगंगा थाना क्षेत्र के उज्जैन रोड स्थित अरविंदो अस्पताल में 200 लोगों को कर्मचारी उनके बताकर खाते खोलकर, उसमें सैलरी ट्रांसफर करने का मामला सामने आया है. इस मामले में बाणगंगा पुलिस ने अरबिंदो अस्पताल में 90 लाख रुपए के गबन के आरोप में एचआर एग्जीक्यूटिव वैभव पोरे, हिमांशु ठाकुर और अन्य दो साथियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. आरोपियों ने करीब 200 अस्थायी कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति करके इस पूरे धोखाधड़ी के मामले को अंजाम दिया है.

कर्मचारियों के नाम पर किया लाखों रुपये का ठग

इस मामले में अस्पताल के एचआर मैनेजर ने बाणगंगा पुलिस थाने के मामला दर्ज करवाया है, जहां पुलिस की जांच में पता चला कि वैभव ने अक्टूबर 2023 से लेकर नवंबर 2024 तक यह फर्जीवाड़ा किया है और अस्थाई कर्मचारियों के नाम पर किए गए गबन की राशि अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ ही अपनी गर्लफ्रेंड के शौक पूरा करने के लिए उनके अकाउंट में ट्रांसफर किए थे. जांच में सामने आया है कि आरोपी ने जल्द अमीर बनने और अपनी गर्लफ्रेंड के महंगे शौक पूरा करने के लिए इस घटना को अंजाम दिया था. आरोपी ने गर्लफ्रेंड को महंगे कपड़े और बाइक भी दिलाई थी.

आरोपियों की तलाश में जुटी कई टीमें

पुलिस ने अस्पताल प्रबंधन की और से भेजे गए दस्तावेजों और ऑडिट रिपोर्ट की जांच के बाद मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है. जांच पड़ताल में चला है कि जांच के बाद सभी आरोपी इंदौर से फरार हो गए हैं. पुलिस की कई टीमें इस मामले में आरोपियों की तलाश में जुट गई हैं. पुलिस अस्पताल में मौजूद में आरोपी के दोस्तों से भी पूछताछ कर रही है. जांच में सामने आया है कि आरोपी फर्जी कर्मचारियों के साइन खुद ही कर लिया करता था, तो वहीं आरोपी जल्द ही एक ऐसा सॉफ्टवेयर लेकर आने वाला था. जिससे आसानी से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जा सकता था.