काम कर गई आरबीआई की ये प्लानिंग, एक साल बाद आई गुड न्यूज

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार आम लोग फिक्स्ड डिपॉजिट को तरजीह दे रहे हैं. आकर्षक ब्याज के साथ फिक्स्ड डिपॉजिट की वृद्धि करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट (कासा) में वृद्धि को पार कर गई है. इसकी कुल डिपॉजिट में हिस्सेदारी बढ़कर इस साल सितंबर में 61.4 फीसदी हो गई जो एक साल पहले 59.8 फीसदी थी.

 

भले ही साल के मिड में महंगाई के आंकड़ों में गिरावट देखने को मिली, लेकिन आरबीआई ने पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं किया. जिसकी वजह से फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरें ऊंची बनी रही. अब आरबीआई की ये प्लानिंग काम कर गई है. बेहतर ब्याज दरों की वजह से बैंकों में कुल डिपॉजिट में फिक्स्ड डिपॉजिट की हिस्सेदारी एक साल के मुकाबले 61 फीसदी से ज्यादा हो गई है. आरबीआई की एमपीसी ने फरवरी 2023 से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है.

जिसकी वजह से रेपो रेट 6.50 फीसदी हैं. ऊंचे रेपो रेट से जहां बैंकों की ओर से होम लोन और दूसरे रिटेल की ब्याज लोन की ब्याज दरों में इजाफा किया जाता है. वहीं दूसरी ओर बैंक डिपॉजिट में इजाफा करने के लिए बैंकों की ओर फिक्स्ड डिपॉजिट जैसी स्कीम्स में भी बढ़ोतरी करती हैं. ताकि महंगाई के दौर में खर्च कम और बचत ज्यादा हो. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर आरबीआई की हालिया रिपोर्ट में किस तरह की बातें सामने आई हैं.

एफडी की बढ़ी हिस्सेदारी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार आम लोग फिक्स्ड डिपॉजिट को तरजीह दे रहे हैं. आकर्षक ब्याज के साथ फिक्स्ड डिपॉजिट की वृद्धि करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट (कासा) में वृद्धि को पार कर गई है. इसकी कुल डिपॉजिट में हिस्सेदारी बढ़कर इस साल सितंबर में 61.4 फीसदी हो गई जो एक साल पहले 59.8 फीसदी थी.

आरबीआई ने तिमाही बेसिक स्टैटिस्टिकल रिटर्न (बीएसआर): शेड्यूल्ड बैंकों के पास डिपॉजिट – सितंबर 2024 जारी किया. इस रिपार्ट में कहा गया है कि टाइट मॉनेटरी पॉलिसी के साथ बड़ी मात्रा में डिपॉजिट अमाउंट हाई इंट्रस्ट रेट वाली फिक्स्ड डिपॉजिट में ट्रांसफर हुई है. 7 फीसदी से ज्यादा ब्याज दर वाली एफडी बढ़कर 68.8 फीसदी हो गई है, जो एक साल पहले 54.7 फीसदी थी.

डिपॉजिट के कुछ ऐसे रहे आंकड़े

आंकड़ों के अनुसार, बैंक डिपॉजिट ग्रोथ वृद्धि सालाना आधार पर सितंबर, 2024 में 11.7 फीसदी रही. यह पिछली तिमाही के लगभग बराबर है. आबादी की सभी श्रेणियों (ग्रामीण/अर्ध-शहरी/शहरी/महानगरीय) की जमा राशि में दहाई अंक की सालाना वृद्धि दर्ज की गई. वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के दौरान कुल जमा में वृद्धि का 66.5 फीसदी योगदान महानगर स्थित शाखाओं का रहा. इनकी कुल जमा में 54.7 फीसदी हिस्सेदारी रही.

आरबीआई के अनुसार, कुल जमा राशि में से 51.4 फीसदी व्यक्तिगत तौर पर रखे गये थे. महिला जमाकर्ताओं के पास व्यक्तिगत जमा का लगभग 40 फीसदी हिस्सा है. पब्लिक सेक्टर के बैंकों में डिपॉजिट ग्रोथ सालाना आधार पर सितंबर, 2024 में 9 फीसदी बढ़ी, जो जून, 2024 में 8.1 फीसदी थी. हालांकि, यह अन्य बैंक समूहों में 15 फीसदी से नीचे है. वरिष्ठ नागरिकों की जमा राशि का हिस्सा सितंबर, 2024 में बढ़कर 20.1 फीसदी हो गया, जो एक साल पहले 19.7 फीसदी था.

बैंकों के कर्ज में भी आई कमी

शेड्यूल्ड बैंकों के बकाया लोन पर एक दूसरी बीसीआर के अनुसार, बैंक कर्ज वृद्धि सालाना आधार पर सितंबर, 2024 में घटकर 12.6 फीसदी रही जो मार्च, 2024 में 15.3 फीसदी थी. बैंकों की महानगर स्थित शाखाओं का कर्ज में हिस्सा 60.6 फीसदी था. इन शाखाओं ने 11.6 फीसदी की कम वृद्धि दर्ज की. कृषि, उद्योग, आवास और व्यक्तिगत (गैर-आवास) ऋण में गैर-आरआरबी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के कर्ज में क्रमशः 11.5 फीसदी, 23.7 फीसदी, 16.5 फीसदी और 14.9 फीसदी हिस्सेदारी थी.

उन्होंने सालाना आधार पर क्रमशः 13.2 फीसदी, 10.4 फीसदी, 13.2 फीसदी और 17.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की. इसमें कहा गया कि निजी कॉरपोरेट क्षेत्र की कर्ज वृद्धि बढ़कर सितंबर, 2024 में 16.5 फीसदी रही. कार्यशील पूंजी ऋण बढ़कर 15.3 फीसदी हो गया, जो एक साल पहले 14.1 फीसदी था. व्यक्तिगत ऋण में महिला उधारकर्ताओं की हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ रही है और सितंबर, 2024 में यह 23.6 फीसदी रही.