शनिवार को खुला रहेगा शेयर बाजार, क्या आप भी कर सकेंगे ट्रेडिंग?

इस बार शनिवार को भी शेयर बाजार खुले रहने वाले हैं. ऐसे में ये जान लेना जरूरी है कि क्या आप आज के दिन मार्केट में ट्रेडिंग कर पाएंगे या नहीं? बाजार के खुलने का वक्त कब से कब तक है और बाजार शनिवार को खुल क्यों रहा है?

 

भारत में शनिवार के दिन स्टॉक मार्केट बंद रहते हैं, लेकिन सितंबर महीने के आखिरी शनिवार यानी 28 सितंबर के दिन देश में शेयर बाजार खुले रहने वाले हैं. ऐसे में आपके लिए शेयर बाजार के खुले रहने की वजह, ट्रेडिंग की टाइमिंग जान लेना जरूरी है. साथ ही ये भी पता होना कि आप आज मार्केट में ट्रेड कर सकते हैं या नहीं.

दरअसल शनिवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) अपने प्लेटफॉर्म पर ‘मॉक ट्रेडिंग सेशन’ चालू करेगा. ट्रेडिंग का ये सेशन एनएसई की डिजास्टर रिकवरी साइट पर होगा, ना कि उसकी रेग्युलर साइट पर. इसका मकसद संकट की स्थिति में एनएसई पर कारोबार जारी रखने की क्षमता की टेस्टिंग करना है.

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग की टाइमिंग

एनएसई के बयान के मुताबिक शनिवार को मॉक ट्रेडिंग सेशन दोपहर 12 बजे शुरू होकर 1 बजे तक चलेगा. जबकि डिजास्टर रिकवरी साइट पर ही एनएसई ने 30 सितंबर से 3 अक्टूबर तक लाइव ट्रेडिंग सेशन भी शेड्यूल किए हैं. इसमें 30 सितंबर और 1 अक्तूबर के सेशन रेग्युलर मार्केट टाइमिंग के दौरान होंगे.

एनएसई ने ‘एक्सचेंज कंटिंजेंसी टेस्ट’ के लिए ये मॉक ट्रेडिंग सेशन आयोजित किया है. साल 2024 में एनएसई ने इस तरह के दो ट्रेडिंग सेशन पहले भी आयोजित किए हैं. एक बार इस तरह का सेशन 2 मार्च को फिर दूसरा सेशन 18 मई को आयोजित किया गया था.

क्या आम निवेशक कर सकेंगे ट्रेडिंग?

ये एक मॉक ट्रेडिंग सेशन है, इसलिए एनएसई ने अपने मेंबर्स को 12 से 1 के हिसाब से टाइमिंग मैच करने के लिए कहा है. मॉक ट्रेडिंग सेशन में ब्रोकर्स और उनके क्लाइंट्स ‘बाय’ और ‘सेल’ ऑर्डर प्लेस कर सकते हैं. हालांकि इस दौरान कोई फाइनेंशियल लेनदेन नहीं होगा.

मॉक ट्रेडिंग सेशन आम तौर पर किसी नए सिस्टम, अल्गोरिद्म के टेस्ट और एक्सचेंज द्वारा समय-समय पर किए जाने वाले बदलाव को समझने का एक मौका होता है. ऐसे में आम निवेशक ट्रेडिंग का हिस्सा बन सकेंगे, लेकिन उनका असलियत में कोई लेन-देन इस दौरान नहीं होगा.

इस तरह के सेशन का फायदा एक्सचेंज को लॉन्ग टर्म में होता है. ये रिस्क मैनेजमेंट का एक पार्ट है. साइबर अटैक, सिस्टम ग्लिच या फेलियर जैसी इमरजेंसी सिचुएशन में मार्केट ऑपरेशन को सुचारू रखने के लिए इस तरह के टेस्ट किए जाते हैं.