नेपाल में बारिश होने से बिहार में क्यों आती है बाढ़? पहले भी मचा चुकी है तबाही

बिहार में इस वक्त कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. कई नदियों के बांध टूट गए हैं, जिससे बिहार के करीब 13 जिले बाढ़ की चपेट में है. ये सब नेपाल में भारी बारिश की वजह से हुआ है. नेपाल में पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है. ऐसे में आइए जानते हैं कि नेपाल में बारिश होने से बिहार में बाढ़ क्यों आती है?

 

नेपाल में लगातार हो रही बारिश ने बिहार के कई जिलों को खतरों में डाल दिया है. यहां बाढ़ और बारिश से तबाही मची हुई है. सीमावर्ती जिलों में कई स्थानों पर नदियां खतरे के निशान को छू रही हैं या उससे ऊपर बह रही हैं. नेपाल में 1968 के बाद इतनी बारिश कभी नहीं हुई थी. 27 सितंबर से नेपाल में लगातार बारिश हो रही है. नेपाल में हो रही भारी बारिश के कारण रविवार को कोसी बैराज वीरपुर से रिकॉर्ड 6,61,295 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. गंडक बैराज में लगभग उतना ही पानी छोड़ा गया है.

इसके कारण बिहार में कोसी, गंडक बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान और महानंदा और गंगा जैसी नदियां उफान पर है. इन नदियों का जलस्तर काफी बढ़ गया है. ये नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. कोसी बैराज वीरपुर से रिकॉर्ड पानी छोड़े जाने से 13 जिलों के 16.28 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं, जो भारी बारिश के कारण पहले से ही बाढ़ से जूझ रहे हैं. 1968 में कोसी बैराज वीरपुर से 7.88 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. उस समय भी बिहार के कई जिलों में तबाही मची थी.

बाढ़ की चपेट में बिहार के ये 13 जिले

इस बार भी करीब वैसे ही हालात नजर आ रहे हैं. इन नदियों (कोसी, गंडक और गंगा) का पानी पश्चिमी और पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, अररिया, सुपौल, कटिहार, पूर्णिया और कई अन्य जिलों के निचले इलाकों में प्रवेश कर गया है. बिहार के अलग-अलग इलाकों में शनिवार सुबह 780.3 मिमी बारिश हुई थी. बिहार के कुछ जिलों में बारिश अभी भी जारी है.

राज्य सरकार ने बिहार के कई जिलों के लिए अलर्ट जारी कर दिया गया है. उधर, मौसम विभाग ने भारी बारिश का पूर्वानुमान जताया है और राज्य के कुछ हिस्सों में बाढ़ के खतरे की चेतावनी दी है. इस समय बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर, भागलपुर समेत गंगा के किनारे बसे करीब 13 जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति है.

नेपाल में बाढ़ और बारिश ने मचाई तबाही

उधर, नेपाल में बाढ़, बरिश और भूस्खलन के कारण जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 148 हो गई है. बाढ़, भूस्खलन और जलभराव के कारण 55 लोग लापता हैं, जबकि 101 लोग घायल हुए हैं. कई हिस्सों में जनजीवन ठप हो गया है. कई राजमार्ग और सड़कें अवरुद्ध हैं, सैकड़ों मकान और पुल बह गए हैं. सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए हैं. सड़क अवरुद्ध होने के कारण विभिन्न स्थानों पर हजारों यात्री फंसे हुए हैं. कम से कम 322 मकान और 16 पुल क्षतिग्रस्त हो गए. करीब 3,626 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. सूत्रों ने बताया कि लोगों को बचाने के लिए 20,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है.

क्या है बिहार में बाढ़ का नेपाल कनेक्शन?

नेपाल में बारिश होने से बिहार में बाढ़ इसलिए आती है कि क्योंकि बिहार का मैदानी इलाका नेपाल से सटा हुआ है. कोसी, गंडक, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, बागमती समेत कई नदियां नेपाल की ओर से बहकर बिहार में आती हैं. जब भी नेपाल में बारिश होती है तो वहां की नदियों का पानी बिहार में आने लगता है. नेपाल की करीब सात नदियां कोसी में मिलती है जो कि बिहार में हर साल तबाही मचाती है यही कारण है कि कोसी को बिहार का शोक भी कहा जाता है. बिहार का पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया किशनगंज जिला नेपाल से सटा हुआ है. इस वक्त ये जिले भी बाढ़ की चपेट में हैं. यहां भी निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है.