डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस पटरी से उतरी या कुछ और हुआ? ट्रेन के लोको पायलट के दावे से उठे सवाल

गोंडा में डिब्रूगढ़ ट्रेन क्या किसी साजिश का शिकार हुई? इसको लेकर सवाल उठने लगे हैं. ट्रेन के लोको पायलट ने जो दावा किया है, वो चौंकाने वाला है. घटनास्थल पहुंचे रेलवे के उच्च अधिकारियों से लोको पायलट ने कहा कि हादसे से पहले उसने एक धमाके की आवाज सुनी थी.

 

यूपी के गोंडा जिले में गुरुवार को बड़ा रेल हादसा हुआ. चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही 15904 डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन डिरेल हो गई. झिलाही और मोतीगंज रेलवे स्टेशन के बीच ट्रेन के 10 डिब्बे पटरी से उतर गए. हादसे में चार यात्रियों की मौत हो गई तो वहीं 27 घायल हो गए. घायलों को गोंडा के अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जहां डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही है. घटनास्थल पर राहत-बचाव कार्य अभी भी जारी है. वहीं हादसे के बाद एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर हादसा हुआ कैसे. सिग्नल की मिस्टेक थी, लोको पायलट की गलती थी या फिर कोई साजिश थी?

इन सब सवालों के बीच डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के लोको पायलट ने जो दावा किया है, वो चौंकाने वाला है. डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के लोको पायलट का नाम त्रिभुवन है. त्रिभुवन ने दावा किया कि हादसे से पहले उसने रेलवे ट्रैक पर धमाके की आवाज सुनी थी. धमाके के बाद ही ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतर कर पलट गए. वहीं लोको पायलट के दावे के बाद रेलवे ने साजिश के एंगल पर भी जांच शुरू कर दी है. अगर लोको पायलट का दावा सच साबित होता है तो इस हादसे के पीछे किसका हाथ, इसका पता लगाना भी पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण होगा.

ट्रेन की गति काफी धीमी थी, क्या धमाके बाद ही पलटी?

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रारंभिक जांच के बाद यह पता चला है कि ट्रेन काफी धीमी गति से चल रही थी. यही वजह है कि हादसे में ज्यादा लोगों की जान नहीं गई. लोको पायलट ने बताया कि उसने हादसे से पहले एक धमाके की आवाज सुनी थी. इसके बाद ये सवाल उठ रहा है कि अगर ट्रेन तेज रफ्तार में होती तो शायद लोको पायलट को धमाके की आवाज न सुनाई देती और हादसे का स्वरूप भी कुछ दूसरा होता. हालांकि धमाका कहां पर किया गया, क्या धमाके से रेल की पटरी टूटी, जिसके बाद ट्रेन के डिब्बे पलट गए, ये सब सवाल रेलवे को तलाशने हैं.

बालासोर, कंचनजंगा के बाद अब डिब्रूगढ़

बालासोर और कंचनजंगा ट्रेन हादसे के बाद भी साजिश के सवाल उठे थे. वहीं अब डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे का शिकार हुई है. बालासोर हादसे में तो 296 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं 296 लोग घायल हुए थे. यहां तीन ट्रेनें आपस में टकराई गई थीं. इसी साल जून महीने में जलपाईगुड़ी में कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे का शिकार हुई थी. इसमें तकरीबन नौ लोगों की मौत हुई थी और 41 लोग घायल हुए थे. वहीं रेलवे ने डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे के लिए दो तरह की जांच कमेटी गठित की हैं. रेलवे ने इस घटना की जांच के लिए CRS इन्क्वायरी इनिसिएट किया है. रेलवे में यह सबसे बड़ी जांच होती है. इस घटना में रेलवे ने एक अलग से हाईलेवल जांच कमेठी भी गठित की है, जो CSR जांच से अलग होगी.

रेस्क्यू के लिए पुलिस के साथ-साथ SDRF की टीम मौजूद

फिलहाल रेलवे की प्राथमिकता इस वक्त घायलों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाने की है. इसके बाद हादसे के कारणों पर विस्तार में जांच की जाएगी. घटना के बाद ट्रेन में मौजूद लोगों में अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो गई. सबसे पहले स्थानीय लोगों ट्रेन हादसे का शिकार हुए यात्रियों की मदद के लिए पहुंचे. इसके बाद गोंडा प्रशासन और रेलवे लोगों तक राहत पहुंचाने के लिए सक्रिय हो गया. मौके पर भारी संख्या में पुलिस फोर्स, रेलवे टीम और गोंडा जिला प्रशासन मौजूद हैं. राहत-बचाव कार्य के लिए SDRF की चार टीमें भेजी गई हैं.

रेलवे ने किया मुआवजे का ऐलान

रेलवे की तरफ से घायलों और मृतकों के परिवार की मदद का ऐलान किया गया है. मृतकों के परिवार को 10 लाख रुपए, गंभीर रूप से घायलों को 2.5 लाख रुपए और मामूली रूप से घायलों को 50,000 रुपए की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की गई है. रेलवे की तरफ से बताया गया कि CRS जांच के अलावा, उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं. यात्रियों को घटनास्थल के पास से बसों से मनकापुर ले जाया जा रहा है. वहां से स्पेशल ट्रेन से उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा. डिब्रूगढ़ एक्स्प्रेस के यात्रियों के लिए स्पेशल रैक की व्यवस्था की गई है. मनकापुर से डिब्रूगढ़ के लिए स्पेशल ट्रेन जाएगी.