योगी जी न्याय करो… केशव प्रसाद मौर्य के आवास पर अभ्यर्थियों का प्रदर्शन, पुलिस ने चलाई लाठी

69000 शिक्षक भर्ती मामले में नियुक्ति की मांग और इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ डबल बेंच के आदेश का पालन किए जाने को लेकर अभ्यर्थी उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

 

यूपी 69000 शिक्षक भर्ती मामले में लखनऊ में जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. हजारों की संख्या में अभ्यर्थी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. अभ्यर्थी लगातार नारेबाजी कर रहे हैं. योगी जी न्याय करो…केशव चाचा न्याय करो. प्रदर्शन को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है. अभ्यर्थियों में भारी आक्रोश है. बताया जा रहा है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के घर के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों पर पुलिस ने लाठी भी चलाई है.

69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाई कोर्ट से झटके के बाद योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पिछले महीने बड़ा फैसला सुनाया था. कोर्ट ने पूरी मेरिट लिस्ट को ही खारिज कर दिया था और सरकार को तीन महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था, जिसमें बेसिक शिक्षा नियमावली और आरक्षण नियमों का पालन हो. हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद यूपी में सियासी बवाल हो गया. नई मेरिट लिस्ट आने के बाद हो सकता है कि हजारों टीचर बाहर हो जाएं. इसकी को लेकर शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं.

शिक्षक भर्ती मामले में SC नहीं जाएगी योगी सरकार

69000 शिक्षक भर्ती मामले में यूपी सरकार असमंजस में थी कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाया जाए या नई मेरिट लिस्ट जारी की जाए. इसको लेकर सीएम योगी ने पिछले महीने की 18 तारीख को एक बड़ी बैठक बुलाई थी. इस बैठक में फैसला लिया गया कि राज्य सरकार इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी.

2018 में निकली थी 69000 शिक्षकों की भर्ती

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने दिसंबर 2018 में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती निकाली थी. भर्ती निकालने के बाद जनवरी 2019 में परीक्षा हुई थी. इस परीक्षा में 4. 10 लाख से अधिक आवेदक शामिल हुए थे. करीब 1.40 लाख परीक्षार्थियों ने परीक्षा पास की थी. परीक्षा के परिणाम सामने आने के बाद मेरिट लिस्ट जारी की गई थी, लेकिन मेरिट लिस्ट सामने आने के साथ ही विवाद शुरू हो गया था. आरोप लगाए गए थे कि चयन में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया गया और कोर्ट में इसके खिलाफ मामला दायर किया गया था.