आतंकी यासीन भटकल मां से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कर सकेगा बात, कोर्ट ने दी इजाजत

आतंकी यासीन भटकल को अपनी बीमार मां से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करने की इजाजत मिली है. कोर्ट ने कहा है कि यासीन को अपनी मां से केवल हिंदी में ही बात करनी होगी. सुरक्षा कारणों को देखते हुए जेल सुपरिटेंडेंट को जरूरी समझे जाने पर बातचीत की रिकॉर्ड करने की स्वतंत्रता भी है.

 
दिल्ली

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी यासीन भटकल को अपनी बीमार मां से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करने की इजाजत दी है. यासीन ने अपनी याचिका में मां की बीमार का हवाला दिया था. उसने मां से व्यक्तिगत रूप से मिलने के लिए कस्टडी पैरोल की इजाजत मांगी थी. कोर्ट ने उसने कस्टडी पैरोल तो नहीं दी है लेकिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुलाकात की अनुमति दे दी है.

आतंकी यासीन भटकल इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापकों में से एक है. उसकी याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में संबंधित जेल अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह यासीन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उसकी बीमार मां से बातचीत करने की इजाजत दें. यासीन को ये अनुमति सिर्फ एक बार बात करने के लिए दी गई है.

यासीन को अपनी मां से केवल हिंदी में ही बात करनी होगी

कोर्ट ने आगे निर्देश दिया है कि यासीन को अपनी मां से केवल हिंदी में ही बात करनी होगी. इसके अलावा सुरक्षा कारणों से कोर्ट ने जेल सुपरिटेंडेंट को जरूरी समझे जाने पर बातचीत की रिकॉर्ड करने की स्वतंत्रता भी दी है. यासीन ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि उसकी मां बीमार है. उनकी दिल की सर्जरी हुई है.

इस आधार पर कोर्ट ने यासीन को दी इजाजत

लिहाजा कोर्ट कस्टडी पैरोल की अनुमति दे. ताकि वो बीमार मां से मुलाकात कर सके. यासीन के आतंकवादी घटनाओं में शामिल रहने के कारण कोर्ट ने कड़े सुरक्षा उपायों के साथ मानवीय आधार और अनुरोध को संतुलित करते हुए उसको सशर्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की इजाजत दे दी.

याचिका में दिल्ली जेल नियम-2018 के पैरा-1203 का उल्लेख किया

यासीन भटकल ने अपनी याचिका में दिल्ली जेल नियम-2018 के पैरा-1203 का उल्लेख किया था. इसे आधार बनाते हुए और अपनी मां की बीमारी की बात कहते हुए उसने कस्टडी पैरोल मांगी थी. नियम का जिक्र करते हुए कहा था कि कोई भी कैदी परिवार से मिलने के लिए पैरोल का अधिकारी है. अगर परिवार में किसी सदस्य की शादी, किसी की मौत होती है या कोई सदस्य गंभीर बीमारी से जूझ रहा है तो पैरोल मिलनी चाहिए.