9 या 10 जून, कब है विनायक चतुर्थी? नोट कर लें सही डेट और शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाएगा. इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है और उनके निमित्त व्रत रखा जाता है. आइए जानते हैं कि ज्येष्ठ माह में विनायक चतुर्थी किस दिन पड़ रही है और शुभ मुहूर्त क्या है.

 
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हिंदू धर्म में पंचांग की हर तिथि का अपना महत्व होता है और हर तिथि किसी न किसी देवता को समर्पित होती है. जिस प्रकार सोमवार का दिन भगवान शिव, मंगलवार का दिन हनुमान जी, गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है. ठीक वैसे ही चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की पूजा के लिए बेहद खास मानी जाती है. हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष दोनों ही चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती हैं. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आने वाली है जिसे विनायक चतुर्थी कहा जाता है. विनायक चतुर्थी पर भगवान की पूजा से सभी विघ्न दूर होते हैं.

विनायक चतुर्थी का व्रत बेहद पुण्यकारी माना जाता है. यह दिन बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि के देवता गणपति बप्पा को समर्पित है. इस तिथि को संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि विनायक चतुर्थी पर बप्पा की पूजा-अर्चना करने से संकटों का नाश होता है. इस माह इस व्रत को लेकर कंफ्यूजन बना हुआ, ऐसे में आइए आपको बताते हैं इसकी सही तारीख और शुभ मुहूर्त.

विनायक चतुर्थी 2024 तिथि (Vinayak chaturthi 2024 Tithi)

  • ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 9 जून दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर
  • ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि समाप्त- 10 जून दोपहर 04 बजकर 14 मिनट पर.

कब है विनायक चतुर्थी व्रत 2024? (Vinayak chaturthi 2024 date)

पंचांग के अनुसार, विनायक चतुर्थी का व्रत 10 जून 2024 को ही रखा जाएगा.

विनायक चतुर्थी चंद्रोदय व चंद्रास्त समय

  • विनायक चतुर्थी चंद्र दर्शन का समय – 2 घंटे 47 मिनट पर.
  • विनायक चतुर्थी चन्द्रास्त का समय रात 10 बजकर 54 मिनट पर.

ऐसे में भक्त अपनी सुविधा अनुसार इस दौरान भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर सकते हैं.

विनायक चतुर्थी 2024 पूजा विधि (Vinayak chaturthi puja vidhi)

  • चतुर्थी तिथि पर सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहन लें.
  • एक चौकी को साफ कर उसपर बप्पा की प्रतिमा स्थापित करें.
  • भगवान गणेश को गंगाजल से स्नान करवाएं और सिंदूर, चंदन का तिलक लगाएं.
  • इसके बाद उन्हें पीले फूल या फूलों की माला अर्पित करें.
  • बप्पा को मोदक का भोग लगाएं और उनके देसी घी का दीपक जलाएं.
  • वैदिक मंत्रों से भगवान गणेश का ध्यान और पूजा करें.
  • संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें और इसके बाद आरती करें.
  • गणेश जी की पूजा में तुलसी पत्र का गलती से भी इस्तेमाल न करें.
  • फिर पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें.
  • व्रत के दौरान तामसिक चीजें न खाएं और किसी के बारे में बुरा न बोलें.
  • अगले दिन व्रती भगवान गणेश को चढ़ाए गए प्रसाद से अपना व्रत खोलें.

श्री गणेश पूजा मंत्र

त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।

नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।