इन खास रंगों से सजाएं अपने घर की रसोई, घर में बनी रहेगी सुख-शांति!

अक्सर हम सोचते हैं कि तकनीकी उपाय हर समस्या का समाधान है, लेकिन ग्रामीण जीवन हमें सिखाता है कि सादगी ही सच्ची ताकत है. पत्थरों के अभाव में रंगों के साथ संतुलन बनाना व्यावहारिक नहीं है.

 
वास्तु शास्त्र

गांव में जीवन सादगी से भरा रहता है, जहां कई घर आज भी मिट्टी के बने हैं और खाना लकड़ी के चूल्हे पर पकाया जाता है. कई लोग जब गांव जाते हैं तो चूल्हे पर पका खाना खाना पसंद करते हैं. ऐसा माना जाता है कि चूल्हे पर पका भोजन स्वादिष्ट होता है और स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है. ऐसे घरों में अक्सर लोगों को कुछ सवाल परेशान करते हैं, जैसे कि चूल्हे के पास पत्थर रखना चाहिए या नहीं, हाल ही में एक व्यक्ति ने पूछा कि क्या गांव के चूल्हे मिट्टी से बने होने के बावजूद उनके चारों ओर पत्थर रखना जरूरी है. यह प्रश्न ग्रामीण जीवन के बारे में एक बड़ी सच्चाई को छुपाता है. संसाधनों की कमी और पारंपरिक प्रथाओं का पालन, लेकिन इसका समाधान गांव में सुबह की चाय जितना ही सरल है.

चूल्हे के पास पत्थर रखने की आवश्यकता क्यों नहीं?

मिट्टी के घरों में चूल्हे अक्सर जमीन पर बनाए जाते हैं. कभी-कभी वहां सीमेंट या पत्थर डालना संभव नहीं होता है. इन भट्टियों का डिजाइन ऐसा है कि वे मिट्टी को संतुलन और मजबूती प्रदान करते हैं. इसलिए यदि कोई आपसे कहे कि चूल्हे के पास पत्थर रखना जरूरी है, तो यह बात हर स्थिति में लागू नहीं होती है.

यदि पत्थर नहीं रखे जा सकें तो क्या करें?

रंग हमारे आसपास की ऊर्जा को प्रभावित करते हैं. इसीलिए घर बनाते समय या रसोई सजाते समय दिशा और रंग का ध्यान रखा जाता है. यदि चूल्हा उत्तर या पूर्व दिशा में है तो उसके चारों ओर हरा रंग लगाएं. यह रंग वहां की ऊर्जा को संतुलित करता है और सकारात्मक परिणाम देता है. यदि चूल्हा दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में बना हो तो उसे पीले रंग से रंगना लाभदायक होता है. पीला रंग गर्मी और ऊर्जा को नियंत्रित करता है, जिससे रसोई में गर्मी संतुलित रहती है. यदि चूल्हा अग्नि कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व दिशा में हो तो मिट्टी का मूल रंग पर्याप्त होता है. चूंकि यह रंग प्रकृति के अनुरूप है, इसलिए इसे बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है.

इस समाधान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें कोई बड़ी लागत शामिल नहीं है. गांवों में रहने वाले लोग चूना या पेंट लेकर यह पेंटिंग आसानी से स्वयं कर सकते हैं. यह न केवल रसोईघर को सजाता है बल्कि सकारात्मक ऊर्जा भी बनाए रखता है. अगर आप भी ऐसे गांव या कम आधुनिक सुविधाओं वाले घर में रहते हैं तो इस तरीके को जरूर अपनाएं और खुद फर्क अनुभव करें. आपके जीवन में बदलाव अवश्य आ सकते हैं.