हरियाणा सरकार में नहीं ‘ऑल इज वेल’, विज फिर दिखाने लगे तेवर, CM सैनी के खिलाफ क्यों खोला मोर्चा?

हरियाणा के ऊर्जा एवं परिवहन मंत्री अनिल विज ने 30 जनवरी को सबसे पहले सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था. विज पहली बार नाराज नहीं हुए हैं बल्कि इससे पहले मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई वाली सरकार में भी मंत्री रहते हुए आक्रामक तेवर अख्तियार कर रखे थे.

 
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हरियाणा में सीएम नायब सिंह सैनी के अगुवाई में बीजेपी सरकार बने चार महीने ही हुए हैं, लेकिन सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. बीजेपी के सबसे वरिष्ठ विधायक और मंत्री अनिल विज ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. अनिल विज के टारगेट पर सीएम नायब सिंह सैनी हैं. विज हर रोज सीएम सैनी को किसी न किसी मुद्दे पर सियासी कठघरे में खड़े करने की कवायद करते नजर रहे हैं, जिस पर बीजेपी को जवाब देते नहीं बन रहा

अनिल विज बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते हैं और हरियाणा सरकार में ऊर्जा एवं परिवहन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. इससे पहले खट्टर सरकार में गृह मंत्री के पद पर रहे हैं. हरियाणा में बीजेपी के पंजाबी चेहरा माने जाते हैं. नायब सरकार में नंबर-दो की सियासी हैसियत अनिल विज की है. इसके बाद भी अनिल विज ने अपनी ही सरकार और सीएम नायब सैनी के खिलाफ आक्रामक तेवर अख्तियार कर रखा है और एक के बाद एक सवाल खड़े कर चुके हैं.

अनिल विज के निशाने पर सीएम सैनी

अनिल विज ने सोमवार को सोशल मीडिया पर एक फोटो पोस्ट कर कहा कि आशीष तायल जो खुद को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का परम मित्र बताता है, वह विधानसभा चुनाव के दौरान मेरे प्रतिद्वंद्वी चित्रा सरवारा के साथ नजर आ रहा था. तायल आज भी नायब सिंह सैनी का परम मित्र है. सवाल उठता है कि भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ मुखालफत किसने करवाई. ये रिश्ता क्या कहलाता है. इस तरह से विज ने सीधे तौर पर नायब सिंह सैनी पर सवाल किए हैं.

हरियाणा के ऊर्जा एवं परिवहन मंत्री अनिल विज ने 30 जनवरी को सबसे पहले सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था. उन्होंने कहा था कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तरह आमरण अनशन पर बैठ सकते हैं. विज ने कहा था कि वह अब जनता दरबार के बाद ग्रेवियांस कमेटी की मीटिंग में नहीं जाएंगे. अंबाला के हक के लिए अनशन पर भी बैठ जाऊंगा.

अनिल विज ने 31 जनवरी को कहा था कि मुझे चुनाव हराने की कोशिश करने वालों के बारे में लिखकर दे चुका हूं, 100 दिन बीत गए हैं, कोई कार्रवाई नहीं हुई. हमारे मुख्यमंत्री, जब से मुख्यमंत्री बने हैं तब से उड़न खटोले पर सवार हैं, नीचे उतरें तो जनता के दुख दर्द को देखें.

हरियाणा सरकार ने अंबाला के डिप्टी कमिश्नर (DC) पार्थ गुप्ता को हटा दिया था. इस पर अनिल विज ने कहा कि यह आते-जाते रहते हैं, इससे कोई ताल्लुक नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं कुछ नहीं बोलता, मेरी क्या हैसियत है. मैं जो बोलता हूं, आत्मा से बोलता हूं और आत्मा की आवाज को दबाया नहीं जा सकता. इस तरह से अनिल विज ने नायब सिंह सैनी के खिलाफ सीधे मोर्चा खोल रखा है.

अनिल विज की नाराजगी की क्या वजह?

अनिल विज अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं और उनके निशाने पर सीएम नायब सिंह सैनी हैं. विज पहली बार नाराज नहीं हुए हैं बल्कि इससे पहले मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई वाली सरकार में भी मंत्री रहते हुए आक्रामक तेवर अख्तियार कर रखे थे. इसके बाद 2024 में नायब सिंह सैनी को खट्टर की जगह सीएम बनाया गया, तो अनिल विज नाराज हो गए थे. उस समय विधायक दल की बैठक से नाराज होकर अंबाला पहुंच गए थे और नायब सिंह सैनी के शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुए. नायब सिंह सैनी की पहली सरकार में अनिल विज ने मंत्री पद तक स्वीकार नहीं किया.

हरियाणा में बीजेपी की तीसरी बार सरकार बनी और नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री बने तो अनिल विज सरकार में शामिल हुए. ऊर्जा और परिवहन मंत्रालय का जिम्मा उन्हें मिला, लेकिन उनकी नाराजगी के पीछे क्या मुख्यमंत्री की कुर्सी है? 2024 में खट्टर ने सीएम कुर्सी छोड़ी तो अनिल विज को उम्मीद थी कि वरिष्ठता के आधार पर पार्टी उनके नाम पर विचार करेगी, लेकिन उस समय उनकी मुराद पूरी नहीं हो सकी. नायब सैनी के अगुवाई में काम करने के लिए तैयार तो हो गए, लेकिन सियासी संतुलन नहीं बना पा रहे.

सातवीं बार के विधायक अनिल विजय की नाराजगी की एक वजह यह भी है कि नायब सिंह सैनी उनसे काफी जूनियर हैं. अनिल विज हरियाणा में उन दिनों से बीजेपी की राजनीति कर रहे हैं, जब पार्टी के दो विधायक हुआ करते थे, जिसमें एक नाम विज का हुआ करता था. अनिल विज का अपना एक अलग सियासी रसूख है. हरियाणा में बीजेपी जब सियासी जमीन तलाश कर रही थी तब से अनिल विज विधायक बन रहे हैं, जबकि नायब सिंह सैनी मोदी लहर में पहली बार 2014 में विधायक बने हैं. यही वजह है कि अनिल विज ने सरकार के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया है.