हरियाणा में भाजपा का नीचे आया 'ग्राफ', सीटें हुईं 'हाफ'...नहीं चला मोदी का जादू

हरियाणा में इस बार हुए संसदीय चुनाव में कई नए रिकॉर्ड स्थापित हुए हैं। भाजपा का 2019 का इतिहास दोहराने का सपना जहां टूट गया तो वहीं 10 में से 5 संसदीय सीटें जीतने से प्रदेश में कांग्रेस के नेताओं व कार्यकत्र्ताओं का हौसला भी बुलंद हुआ है। ऐसे में...
 
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हरियाणा में इस बार हुए संसदीय चुनाव में कई नए रिकॉर्ड स्थापित हुए हैं। भाजपा का 2019 का इतिहास दोहराने का सपना जहां टूट गया तो वहीं 10 में से 5 संसदीय सीटें जीतने से प्रदेश में कांग्रेस के नेताओं व कार्यकत्र्ताओं का हौसला भी बुलंद हुआ है। ऐसे में संसदीय चुनाव के ये नतीजे इसी साल अक्तूबर में प्रस्तावित हरियाणा विधानसभा चुनाव पर भी असर डाल सकते हैं। खास बात यह है कि 2014 के संसदीय चुनाव में 10 में से 7 एवं 2019 के चुनाव में 10 में से 10 सीटें जीतने वाली भाजपा ने इस बार के चुनाव में भी सभी 10 सीटें जीतने की रणनीति तो बनाई, मगर एंटी इनकेबेंसी के साथ किसानों की नाराजगी भाजपा को महंगी साबित हुई और इससे जहां हरियाणा में भाजपा का ग्राफ नीचे आया तो वहीं सीटें भी 'हाफ' होकर रह गई।


देवीलाल परिवार के 4 सदस्य हारे, अभय की जमानत जब्त

खास बात यह है कि इस बार चौ. देवी लाल परिवार के चार सदस्यों ने ससदीय चुनाव लड़ा और चारों को ही हार का सामना करना पड़ा। हिसार ससदीय सीट से चौ. देवीलाल के बेटे व भाजपा उम्मीदवार चौ. रणजीत सिंह को कांग्रेस के जयप्रकाश के सामने हार का सामना करना पड़ा। हिसार सीट पर चौ, देवीलाल की पौत्रवधुओं जजपा उम्मीदवार नैना चौटाला व इनैलो से सुनैना चौटाला भी मैदान में थीं, मगर हिसार के मतदाताओं ने दोनों को ही नकार दिया और दोनों की जमानत जब्त हो गई। इसी प्रकार से चौ. देवीलाल के पौत्र अभय सिंह चौटाला इनेलो की टिकट पर कुरुक्षेत्र से चुनाव मैदान में थे, मगर उनका भी कुरुक्षेत्र के मतदाताओं ने साथ नहीं दिया और वे भी अपनी जमानत नहीं बचा सके।

पिता के बाद चौथी बार रोहतक, सांसद चुने गए दीपेंद्र हुड्डा

दीपेंद्र हुड्स चौथी बार रोहतक से सासद चुनेगए है। दीपेंद्र के पिता भूपेंद्र हुड़ा के अक्तूबर 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ तो उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने यहा से जीत हासिल की। इसके बाद दीपेंद्र ने 2009 व 2014 के चुनाव में जीत दर्ज कर अपने पिता की तरह जीत की हैट्रिक लगाई। 2019 के संसदीय चुनाव में दीपेंद्र भाजपा के डा. अरक्षवद शर्मा के सामने चुनाव हार गए। परंतु अब की बार दीपेंद्र ने रिकार्ड मतों से जीत दर्ज करके अपने पिता के रिकार्ड की बराबरी कर ली है।

कृष्ण पाल गुज्जर व धर्मवीर ने लगाई जीत की हैट्रिक

कृष्ण पाल गुज्जर ने फरीदाबाद से जबकि धर्मवीर ने भिवानी- महेंद्रगढ़ से जीत की हैट्रिक लगाई है। 2014 में गुज्जर पहली बार फरीदाबाद से सांसद चुने गए और दूसरी बार 2019 में वे फरीदाबाद से फिर से सांसद निर्वाचित हुए और केंद्र में मंत्री भी बने और अब एक बार फिर गुज्जर फरीदाबाद से सांसद चुने गए हैं। इसी तरह से साल 2014 के चुनाव में भिवानी-महेंद्रगगढ़ संसदीय सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए। धर्मवीर सिंह ने इनैलो के बहादुर सिंह को हराया। मई 2019 में धर्मवीर सिंह ने मोदी लहर के बीच काग्रेस की श्रुति चौधरी को 4 लाख 44 हजार वोटों के बड़े और रिकॉर्ड अंतर से हराया। अब इस चुनाव में धर्मवीर सिंह कांग्रेस के राव दान सिंह को हराकर तीसरी बार सांसद निर्वाचित हुए है।


26 वर्षों बाद सैलजा ने सिरसा से की धमाकेदार वापसी

खास बात यह है कि 26 साल के लंबे अंतराल के बाद कुमारी सैलजा ने न केवल अपनी पुरानी सियासी कर्मभूमि सिरसा के चुनावी मैदान में दस्तक दी, बल्कि बड़े अंतर से जीत हासिल कर धमाकेदार वापसी की है। उल्लेखनीय है कि कुमारी सैलजा के पिता चौ. दलबीर सिंह 1967, 1971, 1980 और 1984 में सिरसा से सांसद रह चुके है। इसी तरह से सैलजा भी सिरसा सीट से 1991 और 1996 में सासद चुनी गई और अब तीसरी बार यहां से सांसद बनी हैं। खास बात यह है कि कुमारी सैलजा अपने पिता चौ. दलबीर सिंह के बाद सबसे अधिक तीन बार सिरसा से सासद चुनी गई हैं। उनके पिता चौ. दलबीर सिंह साल चार बार सिरसा से सांसद रह चुके हैं।