दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर स्वर्ण पदक विजेता बेटी, सरकार भी साक्षी पूनिया को कर रही अनदेखी
गोहाना: 10 महीने पहले बेटियों की जिस भारतीय टीम ने देश की झोली में एशियाड गेम्स का कबड्डी का स्वर्ण पदक डाला था, उसी टीम की खिलाड़ी गोहाना की साक्षी पूनिया अपने हक के लिए दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर है। हरियाणा सरकार इसलिए अनदेखी कर रही है कि बेटी ने राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया। राजस्थान सरकार इसलिए सम्मानित नहीं कर रही है कि साक्षी का डोमीसाइल वहां का न होकर हरियाणा का है। साक्षी के पास ऐसे मामलों की लंबी लिस्ट है, जहां दूसरे प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हुए पदक जीतने वाले हरियाणा मूल के खिलाड़ियों को प्रदेश की सरकार ने पलकों पर बैठाया।
साक्षी पूनिया गोहाना के बिचपड़ी गांव की हैं। अक्टूबर 2023 में जब चीन में एशियाड हुआ, तब ये खिलाड़ी राजस्थान पुलिस में सब इंस्पेक्टर थीं। इसी नाते देश की कबड्डी टीम में उसने हरियाणा की जगह राजस्थान की नुमाइंदगी की। टीम भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में सफल रही। लेकिन तभी से साक्षी पूनिया को सम्मान के अपने अधिकार के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं। उसका कसूर केवल इतना है कि वो हरियाणा की ओर से नहीं खेली। अब साक्षी पूनिया राजस्थान पुलिस से भी त्यागपत्र दे चुकी है, लेकिन हरियाणा सरकार उसके आग्रह को स्वीकार नहीं कर रही है। ये खिलाड़ी सब संभव मंचों से अपनी आवाज बुलंद कर चुकी है।
बड़ोली से मिलीं साक्षी पूनिया
साक्षी पूनिया भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ोली से मिलीं। साक्षी पूनिया ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को सीएम को संबोधित ज्ञापन भी दिया। बड़ौली ने साक्षी को आश्वस्त किया कि हरियाणा सरकार उसे वंचित नहीं रहने देगी तथा उसे भी समुचित सम्मान प्रदान किया जाएगा।
साक्षी पूनिया अपने दादा रामबीर पूनिया और पापा रमेश पूनिया के साथ पत्रकारों से मुखातिब हुईं। साक्षी ने खुलासा किया कि उनकी खेल उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें हरियाणा सरकार वर्ष 2022 में भीम अवार्ड से सम्मानित कर चुकी है। उसी साल भारत सरकार ने भी अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया। उनका कसूर इतना भर है कि एशियाड के समय राजस्थान पुलिस की सब इंस्पेक्टर होने से उसने भारतीय कबड्डी टीम में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया। साक्षी पूनिया का कहना है कि एशियाड 2023 में वो अकेली ऐसी खिलाड़ी नहीं थी जो अपने प्रदेश की ओर से नहीं खेली। लेकिन हरियाणा सरकार जहां अन्य खिलाड़ियों को करोड़ों रुपए के कैश अवार्ड और नौकरी से सम्मानित कर चुकी है, वहीं उसके अधिकार से उसको वंचित रखा जा रहा है। एशियाड की स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी ने सीएम नायब सिंह सैनी से गुहार की कि वो उससे न्याय करें तथा उसे भी प्रदेश सरकार की नीति के रूप में एशियाड मे स्वर्ण पदक जीतने का सम्मान प्रदान करें।