हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी में बराबरी का मुकाबला, जानें कहां और कितने वोटों से विजयी हुए प्रत्याशी

देशभर सहित हरियाणा में लोकसभा चुनावों के नतीजे सामने आए। प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच टक्कर का मुकाबला देखने को मिला। वहीं नतीजे भी बराबरी के तौर पर सामने आए।
 
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 देशभर सहित हरियाणा में लोकसभा चुनावों के नतीजे सामने आए। प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच टक्कर का मुकाबला देखने को मिला। वहीं नतीजे भी बराबरी के तौर पर सामने आए। सबसे ज्यादा गुरूग्राम लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह को कुल 8 लाख 08 हजार 336 वोट मिले। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर को 75 हजार 079 वोटों से करारी मात दी। तो वहीं जीत की मार्जिन की बाते करें तो रोहतक सीट से दीपेंद्र हुड्डा ने 3 लाख 45 हजार 298 वोटों से जीत हासिल की है।

बता दें कि प्रत्येक मतगणना केंद्र में 3 अलग-अलग प्रवेश द्वार बनाए गए थे। मतगणना स्टाफ, मतगणना एजेंटों और ईवीएम मशीनों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार बनाए गए थे। तीनों प्रवेश द्वार सीसीटीवी की निगरानी में थे। मतगणना केंद्रो पर अग्निशमन और एंबुलेंस की भी तैनाती की गई थी। 

हरियाणा में लोकसभा चुनाव में सिरसा लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कुमारी सैलजा ने भाजपा प्रत्याशी डॉ अशोक तंवर को 2 लाख 68 हजार 497 मतों से शिकस्त दी है। अपनी इस जीत के बाद सैलजा पत्रकारों से मुखातिब हुई। जहां सैलजा ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी की गलत नीतियों से ही कांग्रेस को कामयाबी मिली है । वही कुमारी शैलजा ने कहा कि अब कांग्रेस की बारी हरियाणा की तैयारी है। साथ ही इस मौके पर कुमारी शैलजा ने सिरसा के लोगों सहित कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को जीत का श्रेय देते हुए उनका धन्यवाद भी किया।

सैलजा ने कार्यकर्ताओं को दिया जीत का श्रेय

वहीं कुमारी शैलजा ने सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और जनता और पार्टी हाईकमान का धन्यवाद किया। साथ ही भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा ने लोगों पर छूट की राजनीति ठोकने का काम किया। उन्होंने मीडिया को भी कंट्रोल करने का पूरा प्रयास किया। सैलजा ने कहा कि गलत खबरें लोगों पर थोपी गई, लेकिन लोकतंत्र अभी देश में जिंदा है और हमें इसे जिंदा रखना है और सिरसा के लोगों ने इसे जिंदा रखा है।

हरियाणा में भाजपा का नीचे आया 'ग्राफ'

हरियाणा में इस बार हुए संसदीय चुनाव में कई नए रिकॉर्ड स्थापित हुए हैं। भाजपा का 2019 का इतिहास दोहराने का सपना जहां टूट गया तो वहीं 10 में से 5 संसदीय सीटें जीतने से प्रदेश में कांग्रेस के नेताओं व कार्यकत्र्ताओं का हौसला भी बुलंद हुआ है। ऐसे में संसदीय चुनाव के ये नतीजे इसी साल अक्तूबर में प्रस्तावित हरियाणा विधानसभा चुनाव पर भी असर डाल सकते हैं। खास बात यह है कि 2014 के संसदीय चुनाव में 10 में से 7 एवं 2019 के चुनाव में 10 में से 10 सीटें जीतने वाली भाजपा ने इस बार के चुनाव में भी सभी 10 सीटें जीतने की रणनीति तो बनाई, मगर एंटी इनकेबेंसी के साथ किसानों की नाराजगी भाजपा को महंगी साबित हुई और इससे जहां हरियाणा में भाजपा का ग्राफ नीचे आया तो वहीं सीटें भी 'हाफ' होकर रह गई।