भिवानी जिले में शराब के कारोबार में बदमाशों की होती है अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी, पढ़ें पूरी खबर
भले ही कोई लाख दावा करे, लेकिन यह कटू सत्य है कि भिवानी जिले में खासकर राजस्थान बॉर्डर से सटे शराब के ठेकों में बदमाशों का अप्रत्यक्ष रूप से हाथ होता है।

भिवानी : भले ही कोई लाख दावा करे, लेकिन यह कटू सत्य है कि भिवानी जिले में खासकर राजस्थान बॉर्डर से सटे शराब के ठेकों में बदमाशों का अप्रत्यक्ष रूप से हाथ होता है। इस तरह के बदमाश चाहे जेल में बंद हों या जेल से बाहर। मगर राजस्थान बॉर्डर एरिया के शराब के अधिकतर ठेकों को चलाने के लिए शराब कारोबारियों को उनके इशारों पर नाचना ही पड़ता है। इसके लिए चाहे शराब कारोबारी या तो उन बदमाशों की हिस्सेदारी कर लें या फिर उनको मोटी रकम देकर उनको शांत रखें। यह बात यहां यूं ही नहीं लिखी जा रही, क्योंकि अभी हाल ही में जिले के राजस्थान के बॉर्डर एरिया के जो शराब ठेके आवंटित हुए हैं उनको भले ही किसी शराब कारोबारी ने ई-नीलामी से लिया हो, लेकिन उनमें हिस्सेदारों के नाम के रूप में अभी से कुछ बदमाशों के नाम शराब का धंधा करने वाले लोगों की जुबान पर आने लगे हैं।
बता दें कि डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने सोमवार को ही प्रदेश में शराब ठेकों की नीलामी के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। उनकी ओर से खासकर भिवानी, हिसार, रोहतक और यमुनानगर जिले में विशेष सुरक्षा प्रबंध करने को कहा है। उनके आदेशानुसार पुलिस कंट्रोल रूम पर सूचना मिलते ही संबंधित जिलों के पुलिस अधिकारियों को तत्काल सीलिंग प्लान बनाने और उससे संबंधित जानकारी संबंधित थानों और इंटर स्टेट बैंक पोस्ट के साथ सांझा करने के निर्देश दिए हैं।
65 में से 62 जोन की हो चुकी नीलामी
हालांकि इस साल सरकार की नई आबकारी नीति के तहत भिवानी व चरखी दादरी जिले के शराब के खुदरा ठेकों की ई-नीलामी 29 मई को करवाई गई। बोली दाताओं को 28 से 29 मई शाम 4 बजे तक ऑनलाइन बोलियों जमा करने का अवसर दिया गया था। उन बोलियों को उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति की उपस्थिति में खोला गया। उसमें भिवानी व चरखी दादरी जिलों के 65 जोन में से 62 जोन सफलतापूर्वक आवंटित किग गए। उससे विभाग को 436 करोड़ के रिजर्व मूल्य के बदले लगभग 478 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस मिली है। वहीं बाकि बचे 3 मुंढाल, गुरेरा व रानीला जोन की नीलामी इसी सप्ताह कराई जाएगी। मगर इसमें खास बात यह है कि इनमें से गुरेरा जोन को छोड़कर राजस्थान बॉर्डर के सभी शराब ठेकों या जोन की पहले ही झटके में सफलतापूर्वक ई-नीलामी हो गई। अब इनमें से खासकर बहल, झुप्पा और पहाड़ी के अलावा कुछ एकाध अन्य शराब ठेकों या जोन की बात करें तो उनके बोलीदाता भले ही कोई और हों, लेकिन उनके नामों को यहां शराब के धंधे से जुड़े लोगों के अलावा कोई नहीं जानता।
आम लोगों में बदमाशों के नाम सामने आ रहे मगर इन शराब ठेकों के बारे में अगर यहां के आम लोगों से बात की जाए तो यहां असल ठेकेदारों के नामों को शायद ही कोई जानता हो, लेकिन इनमें से कुछ ऐसे लोगों के नाम लिए जा रहे हैं जो हत्या जैसी संगीन वारदात को अंजाम देने के कारण जेल में बंद हैं या फिर वे जमानत पर जेल से बाहर आए हुए हैं। इनमें से एक नाम तो ऐसा लिया जा रहा है जो जेल में जाने से पहले अपने आपको लारेंस गैंग का बड़ा गुर्गा बताता था। इसके अलावा बताया जा रहा है कि उक्त बदमाश के अन्य साथियों की भी इन शराब ठेकों में पार्टनरशिप है। पाप से घृणा करो, पापी से नहीं 2023 में यहां के तत्कालीन एसपी अजीत सिंह शेखावत जो अब अंबाला के एसपी हैं उन्होंने यहां के बदमाश मिंटू मोडासिया द्वारा गांव की पंचायती जमीन पर गिराए अवैध निर्माण को व्हाया था तो उस मकान पर मिंटू मोडासिया ने लिखवाया हुआ था:-पाप से घृणा करो, पापी से नहीं। दूसरी ओर यह स्लोगन प्रदेश की जेलों के बाहर लिखा हुआ होता है, ताकि लोग अपराध से नफरत करें ना कि अपराध करने वालों से। मगर अब जिस तरह शराब के ठेकों में बदमाशों की अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी की बात सामने आ रही है तो उससे तो यही सावित होता है कि प्रत्यक्ष रूप से शराब ठेकेदार चाहे कोई भी हो वह भले ही पाप या अपरिधक बैकग्राउंड वाला ना हो, लेकिन उनके साथ जो अप्रत्यक्ष रूप से शराब ठेकेदारों की हिस्सेदारी में जिन बदमाशों के नाम सामने आ रहे हैं तो वे शराब ठेकेदार भी उस स्लोगन को चरितार्थ कर ही रहे हैं कि वे खुद कोई पाप ना करके पापियों यानि अपराधियों से किसी तरह की घृणा नहीं करते।
2023 में मिंटू मोडासिया का था अप्रत्यक्ष हाथ
अब डीजीपी ने खासकर इस मामले में भिवानी जिले का नाम यूं ही नहीं लिया। इसका कारण यह है भिवानी जिले के कई शराब ठेके या जौन कहें वे राजस्थान की सीमा से सटे हुए हैं। इनमें अगर हम साल 2023 की बात करें तो यहां के बहल जोन के शराब ठेकों पर अप्रत्यक्ष रूप से उस समय जमानत पर जेल से बाहर आए और हत्या जैसे कई संगीन मामलों में अब जेल में बंद मिंटू मोडासिया का नाम खूब सामने आया था। इसके चलते यहां यहां के तत्कालीन एसपी अजीत सिंह शेखावत ने । ने मिटू मोडासिया द्वारा अपने अपने गांव की पंचायती जमीन पर बनाए गए अवैध निर्माण को ढहाया था। उसके बाद उनके आदेश पर जिन शराब ठेकों में मिंटू मोडासिया की हिस्सेदारी की बात सामने आई तो तत्कालीन एसपी अजीत सिंह शेखावत ने यहां के। के कुछ शराब ठेकों को एक-दो दिन के लिए सील भी कराया था। मगर बाद में इन शराब ठेकों के जो सफल बोलीदाता थे उन्होंने अपनी दावेदारी जताई तो पुलिस को मजबूरन उन शराब ठेकों को खोलने दिया था। मगर उससे पहले मिंटू मोडासिया इस क्षेत्र में यहां के लगभग हर गांव में पैदा किए हुए अपने गुर्गों को उन शराब ठेकों को बांटकर वापस दिल्ली की तिहाड़ जेल में जा चुका था। इसलिए उस साल खासकर इस क्षेत्र के ग्रामीण शराब ठेके मिटू मोडियसया के गुगों ने ही चलाने का काम किया था।