रिश्वत के केस में 11 साल बाद ऐसे बरी हुए SDO और JE, मांगे थे बस 5 हजार रूपए

कैथल: अदालत ने लगभग 11 साल पुराने रिश्वत मांगने के एक मामले में नहर विभाग के एक जेई और एसडीओ को शक का लाभ देते हुए आरोपमुक्त कर दिया है। इन दोनों पर एक ठेकेदार से पांच हजार रुपये रिश्वत मांगने का आरोप था। इस बारे में ठेकेदार गांव कौलेखां निवासी सुरेंद्र सिंह ने स्टेट विजिलेंस ब्यूरो अंबाला में मुकदमा दर्ज करवाया था। बचाव पक्ष की ओर से जेई बलवंत सिंह की पैरवी एडवोकेट सचिन जैन और एसडीओ बलजीत सिंह की पैरवी एडवोकेट मंदीप सिंह ने की।
केस के मुताबिक शिकायतकर्ता ठेकेदार ने शेरगढ़-गुहणा लिंक चैनल 1 का काम लिया हुआ था। यह काम पूरा करके उसने वर्ष 2013 में विभाग को दे दिया, जिसकी 4.50 लाख रुपये राशि उसे मिल गई थी। इसी काम की फाइनल पेमेंट लगभग एक लाख रुपये बकाया पड़ी थी। आरोप था कि इसके लिए ठेकेदार जेई बलवंत सिंह को मिला। जेई ने उसे एसडीओ बलजीत सिंह से मिलने को कहा। एसडीओ ने कहा कि यह राशि भुगतान करवाने के लिए पांच से छह हजार रुपये लगेंगे। एसडीओ ने पांच हजार लेकर उसे अपने दफ्तर बुलाया। इस बात की शिकायत ठेकेदार ने इंस्पेक्टर विजिलेंस कैथल को कर दी।
उसने इंस्पेक्टर को 500-500 रुपये के 10 नोट पेश कर दिये। विजिलेंस ने रेडिंग पार्टी तैयार की और बलवंत सिंह को ठेकेदार से पांच हजार रुपये लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। इस पर विजिलेंस ने एफआइआर दर्ज करके उसे और एसडीओ को गिरफ्तार कर लिया। एडीजे अमित गर्ग ने दोनों आरोपितों को शक का लाभ देते हुए बरी कर दिया।