वो पूर्व IPS जो चुनाव में बना खालिस्तानियों का ‘चौधरी’, अमृतपाल के लिए बुलंद कर रहा आवाज

पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट चर्चा में है. इस सीट से खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह किस्मत आजमा रहा है. वह निर्दलीय लड़ रहा है. अमृतपाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है. उसने जब खडूर साहिब से चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो ये सीट हॉट सीट बन गई है. लोग इस निर्वाचन क्षेत्र का इतिहास खंगालने लगे. 1989 में भी यहां की जनता ने खालिस्तान समर्थक को लोकसभा में भेज चुकी है. हालांकि तब ये सीट तरनतारन के नाम से जानी जाती थी.

 
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देश में लोकसभा का चुनाव जारी है और इसमें कई खालिस्तान समर्थक भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. सिखों के लिए अलग राष्ट्र की मांग करने वाले खालिस्तान समर्थक लोकसभा में अपनी आवाज उठाना चाहते हैं और इन खालिस्तान समर्थकों को एकजुट करने में जुटे हैं. पूर्व IPS अफसर सिमरनजीत सिंह मान. पंजाब पुलिस में करीब 17 साल नौकरी करने वाले सिमरनजीत सिंह मान खडूर साहिब सीट से चुनाव लड़ रहे खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह का सपोर्ट कर रहे हैं. अमृतपाल असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है और वह बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रहा है.

अमृतपाल जिस खडूर साहिब सीट से चुनाव लड़ रहा है, वहां से कभी सिमरनजीत सिंह मान भी चुनाव जीत चुके हैं. 1989 में वह यहां से जीतकर संसद पहुंचे थे. हालांकि तब ये सीट तरनतारन के नाम से जानी जाती थी.सिमरनजीत सिंह मान IPS रह चुके हैं. वह अभी भी सांसद हैं. 2022 में संगरूर में हुए उपचुनाव में उनको जीत मिली थी. सिमरनजीत सिंह शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष हैं. वह तीन बार सांसद रह चुके हैं. पहली बार 1989 में तरनतारन से जीतकर वह लोकसभा पहुंचे थे. इसके बाद दो बार वह संगरूर से जीते. 1999-2004 तक वह इस सीट से सांसद रहे. उनकी पहचान खालिस्तान समर्थक के तौर पर रही है.

सिमरनजीत के पिता रह चुके हैं विधानसभा के अध्यक्ष

20 मई, 1945 को शिमला में जन्मे सिमरनजीत सिंह मान के पिता जोदिंगर सिंह मान पंजाब विधानसभा के स्पीकर रह चुके हैं. 1967 में सिमरनजीत सिंह भारतीय पुलिस सेवा से जुड़े और उन्हें पंजाब कैडर मिला. वह पंजाब के राज्यपाल के एडीसी भी रह चुके हैं. सिमरनजीत सिंह मान लुधियाना के ASP, फिरोजपुर के SP, फरीदकोट के SSP रह चुके हैं. 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में उन्होंने पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया.

सिमरनजीत सिंह मान पर पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या की साजिश रचने का आरोप भी लगा था. 29 नवंबर, 1984 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. 5 साल वह भागलपुर जेल में रहे. जेल में रहते ही उन्होंने अपने पहले चुनाव में जीत हासिल की थी. सिमरनजीत खालिस्तान के समर्थक हैं. उनकी पार्टी SAD (A) भारत और पाकिस्तान के बीच एक बफर राज्य के रूप में खालिस्तान बनाने की मांग करती आई है. सिमरनजीत सिंह की पार्टी जरनैल सिंह भिंडरावाले की विचारधारा को आगे बढ़ाती है.

खडूर साहिब से वापस लिया उम्मीदवार

सिमरनजीत सिंह ने इस चुनाव में अमृतपाल का समर्थन करने का ऐलान किया है. उन्होंने खडूर साहिब से अपना उम्मीदवार भी वापस ले लिया है. सिमरनजीत सिंह मान और अमृतपाल भारतीय संविधान में विश्वास नहीं करते, लेकिन वे उसी संविधान के तहत चुनाव लड़ रहे हैं. कट्टरपंथी खालिस्तानी तत्वों के चुनाव लड़ने के फैसले के पीछे की रणनीति सिर्फ संसद में प्रवेश करना नहीं बल्कि खुद को एकजुट करना है. खडूर साहिब में कट्टरपंथी सिख वोटों को एकजुट करने के लिए सभी खालिस्तान समर्थकों ने हाथ मिलाया है और सिमरनजीत सिंह मान अलगाववादी गुटों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं.