हाथी से उतरे साइकिल पर चढ़े, क्या अखिलेश के ये नेता संसद तक पहुंचेंगे?
इंडिया गठबंधन के तहत अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. 80 लोकसभा सीटों में से समाजवादी पार्टी 63 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जिसमें से उसने 57 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. खास बात यह है कि पार्टी ने कई ऐसे लोगों को तवज्जो दी है जो दूसरे दलों से आए हैं. अखिलेश ने सूबे में करीब 8 सीटों पर बसपा से आए उम्मीदवारों को उतारा है तो वहीं कांग्रेस और बीजेपी से अलग हुए नेताओं को भी टिकट दिया है.
इंडिया गठबंधन के तहत सपा और कांग्रेस मिलकर यूपी में चुनाव लड़ रही हैं. सपा अपने कोटे की 63 सीटों से 57 सीट पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है, जिसमें बड़ी संख्या दूसरे दलों के आयातित नेताओं पर बड़ी संख्या में भरोसा जताया है. सपा ने दूसरे दलों से आए नेताओं में सबसे ज्यादा दांव बसपा के नेताओं पर खेला है. सूबे में करीब 8 सीटों पर बसपा से आए नेताओं को अखिलेश यादव ने उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस और बीजेपी से आए नेताओं पर भी विश्वास जताया है.
बसपा से आए नेताओं पर सपा का भरोसा
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बसपा से आए अफजाल अंसारी को गाजीपुर, राम शिरोमणि वर्मा को श्रावस्ती से टिकट दिया है. 2019 में दोनों ही नेता बसपा के टिकट पर सांसद चुने गए, लेकिन इस बार सपा की साइकिल पर सवार हो गए हैं. एक समय बसपा प्रमुख मायावती के करीबी रहे बाबूसिंह कुशवाहा को सपा ने जौनपुर से अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं बसपा संस्थापकों में शामिल रहे आरके चौधरी को मोहनलालगंज से सपा ने टिकट दिया है. इसी तरह संत कबीर नगर से बसपा के सांसद रहे भीष्म शंकर तिवारी को सपा ने डुमरियागंज सीट से प्रत्याशी बनाया है.
मायावती के करीबी रहे लालजी वर्मा ने 2022 के चुनाव से पहले बसपा का दामन थामा था, जिसके बाद सपा ने उन्हें विधानसभा का टिकट दिया और अब लोकसभा चुनाव मैदान में उतारा है. अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से उन्हें प्रत्याशी बनाया है. इसी तरह बसपा के दिग्गज नेता रहे इंद्रजीत सरोज के बेटे पुष्पेंद्र सरोज को कौशांबी लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. इंद्रजीत सरोज की रणनीति से कौशांबी में सपा ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सफाया कर दिया था. अब उनके बेटे पर अखिलेश यादव ने दांव खेला है.
हाथी से उतरे साइकिल पर सवार
सपा ने सलेमपुर सीट से पूर्व सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रहे वरिष्ठ नेता रमाशंकर राजभर को अपना प्रत्याशी बनाया है. रामशंकर राजभर 2009 में बसपा से सांसद चुने गए थे. 2017 में वह बसपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए थे. 2009 में राजभर ने हरिकेवल प्रसाद को हराया था. सपा ने उन्हें लेकर सलेमपुर सीट से दांव खेला है. इसके अलावा मेरठ लोकसभा सीट से योगेश वर्मा की पत्नि सरिता वर्मा को उम्मीदवार बनाया है. योगेश वर्मा बसपा से दिग्गज नेता रहे हैं और सरिता वर्मा बसपा से मेरठ की मेयर रह चुकी हैं. अब सपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाकर बड़ा दांव चला है.
अखिलेश यादव ने अकबरपुर सीट से राजाराम पाल को प्रत्याशी बनाया है, जो कांग्रेस छोड़कर सपा में आए हैं. कांग्रेस से पहले बसपा में रहे हैं और अकबरपुर सीट से सांसद भी रह चुके हैं. बस्ती लोकसभा सीट से सपा ने रामप्रसाद चौधरी को उम्मीदवार बनाया है, जो बसपा से आए हुए हैं. बसपा के दिग्गज नेता रहे हैं, लेकिन अब अखिलेश यादव के करीबी नेताओं में गिना जाता है. फर्रुखाबाद सीट से डॉ. नवल किशोर शाक्य को प्रत्याशी बनाया है, जो स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटी संघमित्रा के पति रहे हैं. हालांकि, उनका तलाक हो चुका है. स्वामी प्रसाद बसपा में थे तो नवल किशोर भी उनके साथ थे.
कांग्रेस से आए नेताओं पर जताया भरोसा
मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से हरेंद्र मलिक को प्रत्याशी बनाया है, जो कांग्रेस छोड़कर सपा में आए हैं. 2022 चुनाव से पहले हरेंद्र मलिक ने सपा का दामन थामा था और अब उन्हें लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है. उन्नाव लोकसभा सीट से सपा ने अनु टंडन को टिकट दिया है. टंडन कांग्रेस से सपा में आई हैं और 2009 में उन्नाव से सांसद रही हैं. गोरखपुर लोकसभा सीट से काजल निषाद को प्रत्याशी बनाया है, जो कांग्रेस से चुनाव लड़ चुकी हैं और अब सपा से किस्मत आजमा रही हैं. बरेली सीट से प्रवीण सिंह ऐरन को सपा ने प्रत्याशी बनाया है, जो कांग्रेस छोड़कर आए हैं.
बीजेपी से आए नेताओं को सपा का टिकट
अखिलेश यादव ने कांग्रेस और बसपा से आए हुए नेताओं को ही साइकिल की सवारी नहीं करा रहे हैं बल्कि बीजेपी से आए नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है. एटा से देवेश शाक्य को सपा ने प्रत्याशी बनाया है, जो बीजेपी छोड़कर सपा में आए हैं. इसी तरह बांदा से शिवशंकर सिंह पटेल को टिकट दिया है, जो बीजेपी से आए हुए हैं. आंवला लोकसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे नीरज मौर्य बीजेपी से आए हुए हैं. नीरज मौर्य और देवेश शाक्य ने 2022 के चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ सपा का दामन थामा था. माना जा रहा है कि मौर्य वोटों के सियासी समीकरण को देखते हुए उन पर अखिलेश ने भरोसा जताया है.