जंग से डिस्टर्ब हुआ दुनिया का बड़ा गेमचेंजर प्रोजेक्ट, लेकिन भारत और सऊदी ने नहीं खींचे कदम
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया के सबसे बड़े गेमचेंजर प्रोजेक्ट को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं. उन्होंने बताया है कि मिडिल ईस्ट में जारी संघर्ष के बावजूद ईस्टर्न क्षेत्र में यह प्रोजेक्ट प्रगति कर रहा है.
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रोम मेडिटेरियन डायलॉग के 10वें एडिशन में पश्चिमी एशिया के हालात पर चिंता जताई है. विदेश मंत्री ने कहा है कि जंग के मैदान से कोई समाधान नहीं निकलने वाला, साथ ही उन्होंने भारत को खाड़ी देशों और यूरोप से जोड़ने वाले प्रोजेक्ट को लेकर सकारात्मक संकेत भी दिए हैं.
उन्होंने कहा है कि मिडिल ईस्ट का संघर्ष भले ही IMEEC (इंडिया-मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर) के लिए बाधाएं खड़ी कर रहा हो लेकिन यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पूर्वी क्षेत्र में प्रगति कर रहा है. उन्होंने आने वाले समय में कनेक्टिविटी को आपसी संबंधों के लिए महत्वपूर्ण एलिमेंट बताया.
नहीं रुकेगा IMEEC प्रोजेक्ट
सितंबर 2023 में जब भारत ने G20 की मेजबानी की थी, उस दौरान IMEEC प्रोजेक्ट का ऐलान किया गया था. विदेश मंत्री के मुताबिक यह प्रोजेक्ट गेमचेंजर साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि, ‘मिडिल ईस्ट में जारी वर्तमान संघर्ष यकीनन एक बड़ा संकट है, लेकिन पूर्वी क्षेत्र में IMEEC प्रोजेक्ट के कार्य में प्रगति हो रही है , खास तौर पर भारत, यूएई और सऊदी अरब के बीच में.’
भारत को खाड़ी देशों से जोड़ेगा IMEEC
दरअसल 9 सितंबर को हुए IMEEC समझौते पर भारत समेत सऊदी अरब, यूएई, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, इटली, फ्रांस और जर्मनी ने हस्ताक्षर किए थे. इस प्रोजेक्ट के दो हिस्से हैं- ईस्टर्न कॉरिडोर और नॉर्दर्न कॉरिडोर. ईस्टर्न कॉरिडोर के जरिए भारत की कनेक्टिविटी खाड़ी देशों से होगी, वहीं नॉर्दर्न कॉरिडोर खाड़ी देशों को यूरोप से जोड़ेगा.
इस तरह से इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत की कनेक्टिविटी खाड़ी देशों और यूरोप तक होगी. यही वजह है कि इस प्रोजेक्ट को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की काट माना जा रहा था. लेकिन जंग के चलते इस प्रोजेक्ट के भविष्य को लेकर आशंकाएं जताई जा रही थीं. लेकिन अब विदेश मंत्री ने साफ कर दिया है कि पूर्वी हिस्से (ईस्टर्न कॉरिडोर) का काम आगे बढ़ रहा है.
जंग के मैदान से नहीं निकलेगा समाधान
रूस-यूक्रेन युद्ध और मिडिल ईस्ट के संघर्ष का जिक्र करते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि यह साफ है कि जंग के मैदान से कोई समाधान नहीं निकलेगा, भारत का हमेशा से यह रुख रहा है कि इस युग में जंग से किसी भी विवाद का समाधान नहीं निकाला जा सकता. उन्होंने जल्द से जल्द डायलॉग और डिप्लोमेसी के रास्ते से समाधान निकालने पर ज़ोर दिया.
उन्होंने कहा कि, ‘दो मोर्चों पर बड़े संघर्ष जारी हैं और सप्लाई चेन असुरक्षित है. खास तौर पर समुद्री कनेक्टिविटी बाधित हो गई है.’ जयशंकर ने कहा कि वर्तमान ट्रेंड को देखते हुए आने वाले समय में हमारे संबंधों का नया महत्वपूर्ण तत्व जो होगा वह होगी कनेक्टिविटी.
इजराइल-फिलिस्तीन विवाद के समाधान पर ज़ोर
इसके अलावा विदेश मंत्री I2U2 (इंडिया-इजराइल-यूएई-यूएस) की ओर भी ध्यान आकर्षित करते हुए जानकारी दी है, कि I2U2 आने वाले दिनों और ज्यादा सक्रिय होगा. उन्होंने मिडिल ईस्ट के हालातों पर ध्यान केंद्रित करते हुए हालात को काफी चिंताजनक बताया और कहा कि, ‘भारत ने एकसुर में आतंकवाद और बंधक बनाने की निंदा की है, लेकिन सैन्य ऑपरेशन के दौरान बड़े पैमाने पर नागरिकों की मौत को भी स्वीकार नहीं किया जा सकता.
अंतरराष्ट्रीय मानवीय नियमों को ताक पर नहीं रखा जा सकता.’ विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि तत्कालीन जरूरत के साथ हम सभी को सीजफायर का समर्थन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा फिलिस्तीन-इजराइल विवाद के निपटारे के लिए एक बार फिर दो राष्ट्र समाधान पर जोर दिया है.