10 साल की लड़की ने मांगी सबरीमाला मंदिर जाने की परमिशन, कोर्ट ने दिया ये जबाव

केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल तक की उम्र वाली लड़कियों की एंट्री बैन है. इसे लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. इस बीच 10 साल की एक लड़की ने केरल हाईकोर्ट में याचिका डाली कि वो मंदिर जाना चाहती है. लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही कोर्ट ने इसके पीछे का कारण भी बताया.

 
सबरीमाला मंदिर

केरल के कोच्चि यानी एरनाकुलम में हाईकोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में एंट्री को लेकर फैसला सुनाया है. 10 साल की लड़की मंदिर जाना चाहती थी. इसके लिए उसने याचिका डाली. लेकिन कोर्ट ने बच्ची की इस याचिका को खारिज कर दिया है. दलील दी कि सबरीमाला में महिलाओं की एंट्री को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. इसलिए 10 से लेकर 50 साल तक की उम्र वाली महिलाओं को मंदिर में जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

कर्नाटक की रहने वाली इस लड़की ने दलील दी थी कि उसकी उम्र अभी 10 साल है और उसे अभी पहला मासिक धर्म नहीं हुआ है. वह पहले से ही सबरीमाला मंदिर जाना चाहती थी. लेकिन कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण वो ऐसा न कर सकी. फिर उसके पिता की भी तबीयत खराब रहने लगी. जिस कारण वह मंदिर नहीं जा सकी. लेकिन वह अब भगवान अयप्पा के दर्शन करना चाहती है. लड़की की इस याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.

मंदिर को लेकर क्या है मान्यता?

यह मंदिर लगभग 800 साल पुराना है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी हैं. इसी वजह से युवा महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. 2006 में मंदिर के मुख्य ज्योतिषि परप्पनगडी उन्नीकृष्णन ने कहा था कि मंदिर में स्थापित अयप्पा अपनी ताकत खो रहे हैं. वह नाराज हैं क्योंकि मंदिर में किसी युवा महिला ने प्रवेश किया है. इसके बाद कन्नड़ एक्टर प्रभाकर की पत्नी जयमाला ने दावा किया था कि उन्होंने अयप्पा की मूर्ति को छुआ और उनकी वजह से अयप्पा नाराज हुए.

उन्होंने कहा था कि वह प्रायश्चित करना चाहती हैं. जयमाला ने दावा किया था कि 1987 में अपने पति के साथ जब वह मंदिर में दर्शन करने गई थीं तो भीड़ की वजह से धक्का लगने के चलते वह गर्भगृह पहुंच गईं और भगवान अयप्पा के चरणों में गिर गईं. जयमाला के इस दावे के बाद मंदिर में महिलाओं की एंट्री बैन होने के इस मुद्दे पर लोगों का ध्यान गया. 2006 में राज्य के यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की.

सुप्रीम कोर्ट में फैसला पेंडिंग

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दो पक्ष हैं. एक पक्ष जिसका कहना है कि महिलाओं को बराबरी का हक मिलना चाहिए और उनकी एंट्री मंदिर में होनी चाहिए, क्योंकि उन्हें भी पूजा करने का हक है. वहीं, दूसरा पक्ष सालों से चली आ रही परंपरा से छेड़छाड़ नहीं चाहता है. इस पक्ष का कहना है कि चूंकि भगवान अयप्पा एक ब्रह्मचारी थे तो ऐसे में इस मंदिर में महिलाओं की एंट्री नहीं होनी चाहिए. फिलहाल ये मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है.

क्या है मंदिर की कहानी?

सबरीमाला मंदिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है रामायण कथाओं में जिस शबरी के आदर और श्रद्धा से भगवान राम ने जूठे फल खाए थे, बाद में उसी शबरी के नाम पर सबरीमाला मंदिर का नाम पड़ा है. क्योंकि भगवान अयप्पा को शिव भगवान और हरि यानी विष्णु भगवान का पुत्र भी माना जाता है. इसलिए रामायण से जुड़ा मंदिर का इतिहास इस बात को बताता है कि ये मंदिर कितना प्राचीन है. इस मंदिर में श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर पहुंचते हैं. इसमें भगवान को चढ़ाई जाने वाली चीजें होती हैं. धार्मिक मान्यता है कि श्रद्धालु जो भी इच्छा लेकर मंदिर आते हैं, उनकी वे इच्छाएं पूरी होती हैं.