1785 फीट की गहराई, अंदर 165 लोग और सिर्फ 2 लिफ्ट… झुंझुनूं के खदान की पूरी कहानी

 झुंझुनूं के कोलिहान खदान में 67 साल से खनन का काम हो रहा है. मंगलवार रात हादसे के बाद एनडीआरएफ ने लिफ्ट में फंसे लोगों का रेस्क्यू पूरा कर लिया है. लेकिन एक दुखद खबर आई. गंभीर रूप से जख्मी एक अधिकारी की मौत हो गई.

 
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राजस्थान के झुंझुनूं में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) की कोलिहान खदान है. मंगलवार को इस खदान में एक हादसा हुआ. रात के 8:30 बज रहे थे. कोलिहान खदान में लगभग 150 मजदूर काम कर रहे थे. 15 अधिकारी खदान में से लिफ्ट से ऊपर आ रहे थे. तभी लिफ्ट की चेन टूट गई और 1785 फीट नीचे गिर गई. लिफ्ट में सवार 15 अधिकारी फंस गए. तत्काल इसकी सूचना अधिकारियों को दी गई. स्थानीय पुलिस प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची. लगभग 16 घंटे से अधिक समय तक रेस्क्यू चलता रहा. गंभीर रूप से घायल एक अधिकारी की मौत हो गई है. वहीं, 4 अफसर गंभीर रूप से जख्मी हैं, जिन्हें जयपुर इलाज के लिए भेजा गया है. बाकीयों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

खदान में नीचे जाने के लिए लिफ्ट ही एक जरिया है. कोलिहान खदान में ऐसी दो लिफ्ट लगी हुई हैं. समय-समय पर अफसरों की टाम मजदूरों के काम का जायजा लेने खदान के अंदर जाती रहती है. यह प्रक्रिया लगभग हर रोज की है. मंगलवार को भी अफसरों की टीम खदान के अंदर गई थी.

किसी का पैर तो किसी का हाथ फ्रैक्चर हुआ

लिफ्ट में लगने वाली चेन बहुत मजबूत होती है. चेन लोहे की होती है और उच्च गुणवत्तावाली होती है. लिफ्ट ऊपर आने ही वाली थी कि चेन टूट गई. लिफ्ट पर सवार अधिकारी संभल तक नहीं पाए. इस हादसे में किसी का पैर तो किसी का हाथ फ्रैक्चर हुआ. सिर में भी हल्की चोटें आईं.

लिफ्ट में फंसे सभी लोगों को बाहर निकाला गया

एनडीआरएफ ने लिफ्ट में फंसे लोगों का रेस्क्यू पूरा कर लिया है. लेकिन एक दुखद खबर आई. गंभीर रूप से जख्मी एक अधिकारी की मौत हो गई, जिनका नाम उपेंद्र पाण्डेय है. हालांकि, 150 मजदूर अब भी खदान के अंदर ही हैं. उन्हें भी बाहर निकाला जाएगा.स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, लिफ्ट में फंसे अधिकारी जख्मी हो गए थे. उन्हें तत्काल मेडिकल सुविधा दी गई.

67 साल से हो रहा है खनन

झुंझुनूं के कोलिहान खदान में 67 साल से खनन का काम हो रहा है. यहां से निकला तांबा देश-विदेश में जाता है. यहां से अब तक 24 मिलियन टन अयस्क निकाला जा चुका है. अधिकारियों के मुताबिक, खदान में शारीरिक रूप से अस्वस्थ लोगों के जाने की अनुमति नहीं है. पहले हर मजदूर की मेडिकल जांच होती है, तभी उन्हें प्रवेश मिलता है. खदान में काम कर रहे हर मजदूर के रोज की अटेंडेंस का ब्योरा दर्ज किया जाता है. मजदूर कब इंट्री लेता है और कब बाहर निकलता है, इसकी जानकारी रजिस्टर में नोट की जाती है.