EVM के साथ छेड़छाड़ नहीं हुई, गिनती से पहले कैसे चेक करते हैं?

 मतगणना के दिन स्ट्रॉन्ग रूम से मशीनों को निकालकर काउंटिंग हॉल ले जाया जाता है. यहां उम्मीदवार अपने-अपने मतगणना एजेंट और इलेक्शन एजेंट के साथ मौजूद रहते हैं. गिनती शुरू होने से पहले ये जांच करते हैं कि EVM मशीन के साथ छेड़छाड़ तो नहीं हुई है.

 
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सात चरणों में संपन्न हुए मतदान के बाद सभी की नजर अब 4 जून के चुनाव परिणामों पर है. देश की 18वीं लोकसभा के लिए मतगणना सुबह 8 बजे से शुरू हो जाएगी. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से वोटों की गिनती की प्रक्रिया आसान और तेज हो गई है. लेकिन चुनाव के समय नेताओं की तरफ से ईवीएम की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े होते हैं. ऐसे में मतगणना से पहले यह कैसे सुनिश्चित किया जाता है कि EVM के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है? आइए समझते हैं.

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 64 के अनुसार, वोटों की गिनती संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) द्वारा या उसके पर्यवेक्षण/निर्देशन के अधीन होती है. वोटों की गिनती एक बड़े हॉल में की जाती है, जिसमें अलग-अलग कई टेबल लगाई जाती हैं. यहीं पर जिला मुख्यालयों या आरओ मुख्यालयों पर बनाए गए स्ट्रॉन्ग रूम से ईवीएम मशीनों को लाकर रखा जाता है.

EVM की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है?

EVM मशीन के साथ छेड़छाड़ न हो पाए, इसके लिए कई स्तर पर उनकी जांच और सुरक्षा की जाती है. सबसे पहले, BEL/ECIL के इंजीनियर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के सामने प्रत्येक EVM की तकनीकी और भौतिक जांच करते हैं. इसके लिए कुछ मशीनों में मॉक पोल किया जाता है. अगर इस दौरान कोई मशीन खराब पाई जाती है, तो उसे फैक्टरी में वापस भेज दिया जाता है.

वोटिंग होने के बाद, EVM मशीन को सील करके स्ट्रॉन्ग रूम भेज दिया जाता है. चुनाव आयोग के मुताबिक, जिस कमरे को स्ट्रॉन्ग रूम बनाया जाता है, वहां सिर्फ एक दरवाजा होना चाहिए. वहां पहुंचने का कोई भी दूसरा रास्ता नहीं होना चाहिए. कमरे में डबल लॉक सिस्टम होता है. EVM और VVPAT मशीन रखने के बाद स्ट्रॉन्ग रूम लॉक कर दिया जाता है. इसकी एक चाभी इसके इंचार्ज और एक ADM या इससे ऊपर के पद वाले अधिकारी के पास रहती है. इसके अलावा स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा में 24 घंटे CAPF जवान तैनात रहते हैं. कमरे की निगरानी 24 घंटे सीसीटीवी कैमरों से भी होती है.

मतगणना के दिन फिर होती है EVM मशीन की जांच

मतगणना के दिन स्ट्रॉन्ग रूम से मशीनों को निकालकर काउंटिंग हॉल ले जाया जाता है. यहां उम्मीदवार अपने-अपने मतगणना एजेंट और इलेक्शन एजेंट के साथ मौजूद रहते हैं. पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इन मशीनों को काउंटिंग हॉल में टेबल पर रखा जाता है. यहां उन्हें मशीन के कैरिंग केस और मशीन को जांचने का मौका दिया जाता है. हालांकि, इस दौरान वो मशीन को छू नहीं सकते. मशीन और उनके बीचे एक जाली सी लगी रहती है. गिनती शुरू होने से पहले उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों को EVM पर लगी सील और उसके कंट्रोल यूनिट (जिसमें वोट दर्ज होते हैं) की यूनिक आईडी दिखाई जाती है.

अगर निरीक्षण के दौरान उम्मीदवार या उनके एजेंट की जांच में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो उस मशीन में दर्ज वोट नहीं गिने जाते और आगे की कार्रवाई के लिए मामले की रिपोर्ट चुनाव आयोग को जाती है.