5 साल में बदल गई नीतीश कुमार की किचन कैबिनेट, JDU में सवर्ण नेता हुए पावरफुल

पिछले 20 साल में यह पहली बार है, जब जेडीयू के टॉप लीडरशिप में सवर्ण नेताओं का दबदबा बढ़ गया है. राष्ट्रीय स्तर पर जेडीयू के पास जो 4 बड़े पद हैं, उनमें से 3 पर सवर्ण नेताओं का ही दबदबा है.

 
JDU

2025 विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने संजय कुमार झा को जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है. जेडीयू संगठन में नीतीश कुमार के बाद झा सबसे पावरफुल रहेंगे. संजय झा को मिली जिम्मेदारी के बाद जेडीयू में राष्ट्रीय स्तर पर नीतीश कुमार के किचन कैबिनेट में भी बड़ा बदलाव हुआ है.

पिछले 20 साल में यह पहली बार है, जब जेडीयू के टॉप लीडरशिप में सवर्ण नेताओं का दबदबा बढ़ गया है. राष्ट्रीय स्तर पर जेडीयू के पास जो 4 बड़े पद हैं, उनमें से 3 पर सवर्ण नेताओं का ही दबदबा है. जेडीयू की टॉप लीडरशिप में अकेले नीतीश कुमार पिछड़े वर्ग के नेता रह गए हैं.

5 साल पहले नीतीश के किचन कैबिनेट में कौन-कौन थे?

2019 लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय स्तर पर नीतीश के किचन कैबिनेट में आरसीपी सिंह, ललन सिंह, उपेंद्र कुशवाहा शामिल थे. आरसीपी के पास केंद्रीय मंत्री, ललन सिंह के पास राष्ट्रीय अध्यक्ष और उपेंद्र कुशवाहा के पास संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष पद था.

आरसीपी राज्यसभा में तो ललन सिंह लोकसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता थे. पार्टी के भीतर आरसीपी कुर्मी, ललन सिंह भूमिहार और उपेंद्र कुशवाहा कोइरी बिरादरी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. कोइरी-कुर्मी बिहार में जेडीयू का कोर वोटर माना जाता है.

भारत की राजनीति में राजीव गांधी के वक्त किचन कैबिनेट शब्द सुर्खियों में आया था. किचन कैबिनेट का अर्थ होता है करीबी नेताओं का एक समूह, जो किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर निर्णय लेता है.