पुणे पोर्शे हिट एंड रन: रईसजादे के दोस्तों का खुलासा- पब में पी थी 90 हजार रुपये की शराब
पुणे पोर्शे कार हादसे में नया खुलासा हुआ है. पहले तक कहा जा रहा था कि घटना वाली रात को आरोपी नाबालिग ने दोनों पब में 48 हजार रुपये खर्च किए थे. लेकिन जब पुलिस ने नाबालिग के 15 दोस्तों के बयान लिए तो पता चला कि उस दिन उन लोगों ने पब में 90 हजार रुपये खर्च किए थे. नाबालिग आरोपी ने 48 हजार दिए थे. जबकि, बाकी के पैसे उसके दोस्तों ने दिए थे.
पुणे के पोर्शे कांड को भला कौन भूल सकता है. पोर्शे कार चला रहे नाबालिग रईसजादे ने पिछले महीने बाइक सवार दो इंजीनियरों को कुचल दिया था. इस कारण दोनों इंजीनियरों की मौत हो गई थी. मामले में अभी भी जांच जारी है. इस बीच अब चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. 18-19 मई की रात को नाबालिग आरोपी और उसके 15 दोस्तों ने दोनों पब (Pub) में 90 हजार रुपये खर्च किए थे. नाबालिग आरोपी ने 48 हजार रुपये खर्च किए. जबकि, बाकी के 42 हजार रुपये उसके दोस्तों ने दिए. मामले में पुणे क्राइम ब्रांच ने नाबालिग के इन 15 दोस्तों के बयान दर्ज किए हैं.
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) ने 17 साल के नाबालिग की रिमांड होम 25 जून तक बढ़ाई है. वह 12 जून तक निगरानी गृह में रिमांड पर था. पुणे पुलिस ने अभियोजकों के माध्यम से नाबालिग की सुरक्षा का हवाला देते हुए निगरानी गृह में उसकी हिरासत अवधि को 14 दिनों के लिए बढ़ाने की मांग की थी.
उन्होंने बोर्ड को यह भी बताया कि वर्तमान समय में नाबालिग की रिहाई से मामले की चल रही जांच और 19 मई की दुर्घटना के बाद लिए गए उसके रक्त के नमूनों की कथित अदला-बदली समेत अन्य संबंधित मामलों में बाधा आ सकती है. बचाव पक्ष ने पुणे पुलिस की रिमांड बढ़ाने की याचिका का विरोध किया और बोर्ड से कहा कि नाबालिग को निगरानी गृह से रिहा किया जाना चाहिए.
अनीश-अश्विनी की मौत
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जेजेबी ने नाबालिग की 25 जून तक निगरानी गृह में रहने की अवधि बढ़ा दी. 19 मई की सुबह बिल्डर विशाल अग्रवाल के बेटे नाबालिग द्वारा चलाई जा रही पोर्शे कार ने कल्याणी नगर में एक बाइक को टक्कर मार दी थी. इसमें मध्य प्रदेश के रहने वाले आईटी इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई थी.
पुलिस की मानें तो नाबालिग शराब के नशे में गाड़ी चला रहा था. सरकारी ससून जनरल अस्पताल में कथित तौर पर उसके रक्त के नमूनों की अदला-बदली से संबंधित मामले में लड़के के माता-पिता पुलिस हिरासत में हैं. नाबालिग के माता-पिता के अलावा पुलिस ने उसके दादा सुरेंद्र अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया है. दादा पर आरोप है कि उन्होंने ड्राइवर का अपहरण कर और उस पर दुर्घटना का दोष लेने के लिए दबाव डाला गया.
तीन अलग-अलग मामले दर्ज
मामले में गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों में ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टर और एक कर्मचारी शामिल हैं, जिन पर नाबालिग के रक्त के नमूनों को उसकी मां के नमूनों से कथित तौर पर बदलने का आरोप है. पुलिस ने दुर्घटना के संबंध में तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं. इन मामलों में दुर्घटना के संबंध में एक प्राथमिकी और दूसरा मामला उस पब के खिलाफ है, जिसने कथित तौर पर नाबालिग को शराब परोसी थी. पुलिस ने लड़के के पिता पर बिना वैध लाइसेंस के उसे कार चलाने की अनुमति देने का मामला दर्ज किया है. तीसरा मामला परिवार के ड्राइवर को गलत तरीके से बंधक बनाने और जानलेवा दुर्घटना का दोष अपने ऊपर लेने के लिए मजबूर करने से जुड़ा है.