राजपूतों की अनदेखी का उठाया खामियाजा’ श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना का BJP पर तंज

श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल मकराना ने कहा है कि राजपूतों की अनदेखी की वजह से बीजेपी को खामियाजा उठाना पड़ा है. बीजेपी सरकार के दौरान राजपूतों को साइडलाइन किया गया है. यही नहीं, मकराना ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर भी बयान दिया है.

 
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लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट मंगलवार को घोषित किए जा रहे हैं, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को पूर्ण बहुमत मिलते दिखाई नहीं दे रहा है. हालांकि उसके गठबंधन एनडीए को जीत जरूर मिल रही है. इस बीच राजस्थान से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है और वह सूबे की 11 सीटों पर हार का सामना कर रही है, जिसको लेकर श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल मकराना ने भगवा पार्टी पर निशाना साधा है और इसके पीछे राजपूतों की नाराजगी बताई है.

महिपाल मकराना ने कहा कि राजपूतों की अनदेखी और उनके लिए जो बयान दिया उसका खामियाजा बीजेपी ने उठाया है. अगर उत्तर प्रदेश से योगी को हटाया या छेड़ा तो विधानसभा चुनावों में इसका असर दिखा देंगे. देश के राजपूत नेताओं को साइडलाइन किया गया है. उनसे मंच पर गलत व्यवहार किया गया, आंख दिखाई, इस तरह का व्यवहार स्वीकार नहीं है.

‘बीजेपी ने राजेंद्र राठौड़ जैसे नेताओं को किनारे किया’

उन्होंने कहा कि राजस्थान में भी मुख्यमंत्री को बदला गया. साथ ही साथ राजेंद्र राठौड़ जैसे नेताओं को किनारे कर दिया गया. हम भाजपा के हैं, लेकिन रूपाला जैसे अगर सदन में आएंगे तो इसका भरपूर विरोध होगा. दरअसल, राजकोट लोकसभा सीट से बीजेपी की टिकट पर जीत हासिल करने वाले पुरुषोत्तम रुपाला ने बयान दिया था कि अलग-अलग राजपूत शासकों और अंग्रेजों के बीच सांठगांठ थी. उनके इस बयान को लेकर राजपूतों में रोष देखा गया था और जमकर विरोध हुआ. हालांकि रुपाला ने अपने बयान को लेकर कई बार माफी मांगी.

क्या वसुंधरा को सीएम न बनाने का है असर?

इधर, राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी के जीत दर्ज करने के बाद लगातार कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के एक बार फिर सूबे की कमान सौंपेगी. हालांकि कई दिनों तक चले मंथन के बाद पार्टी ने एक बड़ा फैसला लिया और नए चेहरे पर दांव खेला. बीजेपी ने भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया. कहा जा रहा है कि इस फैसले से बीजेपी के अंदरखाने नाराजगी देखी गई. राजपूतों नाराज चल रहे थे और वसुंधरा राजे भी सक्रिय रूप से लोकसभा चुनाव में नजर नहीं आईं.