पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक से घबराया ये मुस्लिम देश…भूख से तड़पने की आ सकती है नौबत

भारत पाकिस्तान के तनाव का असर अब एशिया की थाली पर भी दिखाई देने लगा है. चावल, प्याज और अन्य आवश्यक खाद्य वस्तुएं इस तनाव के कारण खतरे में आ सकती हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भारत के पाक पर अटैक से सबसे ज्यादा एक मुस्लिम देश घबरा गया है.

 
भारत-पाकिस्तान तनाव

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता टकराव अब सिर्फ सीमा पर सिमटा मुद्दा नहीं रह गया है. इसका असर एशिया की थाली पर भी दिखाई देने लगा है. चावल, प्याज और अन्य आवश्यक खाद्य वस्तुएं इस तनाव के कारण खतरे में आ सकती हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भारत के पाक पर अटैक से सबसे ज्यादा एक मुस्लिम देश घबरा गया है. उसे डर है कि अगर दोनों देशो के बीच तनाव बढ़ा तो उसके देश में भूख से तड़पने की नौबत आ सकती है. आइए जानते हैं क्यों?

दरअसल, भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है, जबकि पाकिस्तान चौथे स्थान पर है. दोनों देश मिलकर दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों को चावल, प्याज और अन्य खाद्य सामग्री भेजते हैं. ऐसे में दोनों देशों के बीच किसी भी प्रकार की जंग या टकराव का असर सीधे इन वस्तुओं की आपूर्ति और कीमतों पर पड़ सकता है.

मलेशिया की चिंता

भारत द्वारा किए गए एयरस्ट्राइक और पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई के बाद मलेशिया सबसे अधिक चिंतित है. मलेशिया के फूड सिक्योरिटी मंत्री मोहम्मद साबू के हवाले से साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में कहा गया है कि अगर यह तनाव बंदरगाहों या डिलीवरी इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रभावित करता है, तो उनके देश की चावल की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है.

ये देश भारत पर निर्भर

मलेशिया, इंडोनेशिया और सिंगापुर जैसे देश चावल के लिए भारत और पाकिस्तान पर निर्भर हैं. मलेशिया अपनी कुल चावल की खपत का केवल 50% ही खुद पैदा करता है, जबकि बाकी उन्हें भारत, पाकिस्तान, वियतनाम और थाईलैंड से मंगवाना पड़ता है. अकेले भारत और पाकिस्तान से 40% चावल आता है.

आसमान छू सकते हैं चावल के दाम

मलेशिया के पास छह महीने का चावल का स्टॉक तो है, लेकिन असली समस्या कीमतों की है. भारत के सस्ते चावल ने ग्लोबल मार्केट में दबदबा बनाया हुआ है. अगर तनाव बढ़ता है, तो कीमतों में उछाल आ सकता है.

संकट और गहरा सकता है

मलेशिया पहले ही घरेलू चावल संकट का सामना कर रहा है. यदि भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव बढ़ा, तो यह संकट और गंभीर हो सकता है.

यूक्रेन युद्ध से मिली सीख

युद्ध का असर सिर्फ चावल या गेहूं तक सीमित नहीं रहता. यूक्रेन युद्ध के दौरान मलेशिया में चिकन की कीमतें बढ़ गई थीं क्योंकि फीड (मक्का) महंगा हो गया था. इससे सिंगापुर जैसे देशों को ब्राजील जैसे दूर के देशों से चिकन आयात करना पड़ा था.