दुनियाभर में बज रहा भारत के UPI का डंका, अफ्रीका और साउथ अमेरिका में जल्द होगी एंट्री

आज दुनिया के कई देशों में भारत के UPI का डंका बज रहा है. अब कई देशों में बिना कैश एक्सचेंज करवाए हम आसानी से यूपीआई के जरिये लेन-देन कर सकते हैं. ग्लोबल लेवल पर यूपीआई भारत की पहचान बन चुका है. वहीं अब जल्द ही साउथ अमेरिका और अफ्रीका में भी UPI की शुरुआत हो सकती है.

 
UPI

आज देश में हर दूसरा आदमी यूपीआई का इस्तेमाल कर रहा है. यूपीआई का डंका देश ही नहीं विदेशों में भी बज रहा है. कई देश भारत के डिजिटल पेमेंट सिस्टम UPI का इस्तेमाल कर रहे हैं. जल्द ही अफ्रीका और साउथ अमेरिका में भी इसकी शुरुआत हो सकती है. दरअसल, NPCI ने विदेशी कंपनी एनआईपील ने पेरू और नामीबिया के सेंट्रल बैंकों के साथ यूपीआई जैसा सिस्टम डेवलप करने का समझौता भी कर लिया है.

कब तक शुरू होगा इन देशों में UPI

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनआईपील के सीईओ रितेश शुक्ला ने बताया कि अफ्रीका और साउथ अमेरिका के कई देशों को भारत UPI के ब्लूप्रिंट देने को तैयार हैं. साथ ही पेरू और नामीबिया में यूपीआई की लॉन्चिंग 2027 में हो सकती है. एनपीसीआई देश में रिटेल पेमेंट सिस्टम की रेगुलेटर संस्था है. यह देश में यूपीआई चलाती है. अगस्त में 15 अरब यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए हैं.

UPI को विदेशों में पहुंचाने के लिए बनी थी NIPL

भारत के यूपीआई को विदेशों में पहुंचाने के लिए एनपीसीआई ने एनआईपील का गठन किया था. एक रिपोर्ट के अनुसार, एनआईपील की इस समय अफ्रीका और साउथ अमेरिका के 20 देशों के साथ यूपीआई को लेकर वार्ता चल रही है. पेरू और नामीबिया के सेंट्रल बैंकों के साथ हमारी डील इसी साल की शुरुआत में हो चुकी है. ये बैंक 2026 के अंत तक या 2027 की शुरुआत तक अपना यूपीआई जैसा सिस्टम लॉन्च कर सकते हैं.

अगले साल तक बढ़ेंगे इनके कर्मचारी

सूत्रों के हवाले से बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि रवांडा के साथ भी यूपीआई को लेकर गंभीर वार्ता हुई है. हालांकि, रितेश शुक्ला और बैंक ऑफ रवांडा ने इस बारे में कुछ भी स्पष्ट बताने से इंकार कर दिया. रितेश शुक्ला के अनुसार, एनआईपील अन्य देशों के रियल टाइम पेमेंट सिस्टम के साथ गठजोड़ भी कर रही है. इनमें सिंगापुर का पेनाऊ शामिल है. हम इस तरह के 7 गठजोड़ कर चुके हैं. एनआईपील के फिलहाल 60 सदस्य हैं. अब मार्च, 2025 तक इस टीम को बढ़ाया जाएगा. फिलहाल कंपनी के कुछ कर्मचारी सिंगापुर और मिडिल ईस्ट देशों में हैं.