बीजेपी ने बिहार चुनाव से पहले चला बड़ा दांव, दिलीप टीम के सहारे साधा सियासी समीकरण
बिहार विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी ने प्रदेश संगठन में बड़ा बदलाव किया है. नई टीम में सवर्णों के साथ-साथ ओबीसी और अतिपिछड़ा वर्ग को भी स्थान दिया गया है, जिससे जातिगत समीकरण साधने की कोशिश स्पष्ट दिखती है. पीएम मोदी के बिहार दौरे के बाद यह बदलाव बीजेपी की चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

बिहार विधानसभा चुनाव की भले ही औपचारिक ऐलान न हुआ हो, लेकिन सियासी हलचल बढ़ गई है. पीएम मोदी एक के बाद एक दौरे कर सियासी माहौल बनाने में जुटे हैं और बीजेपी ने अपने प्रदेश संगठन में बदलाव कर बड़ा सियासी दांव चला है. पीएम मोदी के बिहार दौरा के अगले ही दिन शनिवार को प्रदेश बीजेपी चीफ दिलीप जायसवाल की टीम के जरिए सियासी समीकरण साधने की कवायद की है, जिसमें पुराने और नए नेताओं का बैलेंस बनाया गया है, तो सवर्ण जातियों के साथ ओबीसी और अतिपिछड़े वर्ग की केमिस्ट्री बनाने का स्ट्रैटेजी मानी जा रही है.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों के नाम का ऐलान कर दिया है. बीजेपी में 35 सदस्यीय कमेटी में 13 प्रदेश उपाध्यक्ष, 14 प्रदेश मंत्री, 5 प्रदेश महामंत्री की घोषणा की है. इसके अलावा एक प्रदेश कोषाध्यक्ष और दो सह-कोषाध्यक्ष भी नियुक्त किए गए हैं. दिलीप जायसवाल टीम में 20 पदाधिकारियों को रिपीट किया गया है, जबकि 15 नए चेहरे को संगठन में मौका दिया गया है. इस तरह से दिलीप टीम में 60 फीसदी चेहरे सम्राट चौधरी की टीम के ही पदाधिकारी हैं.
बीजेपी के प्रदेश संगठन का गठन
बिहार बीजेपी संगठन में 13 उपाध्यक्ष बनाए गए हैं. इसमें सिद्धार्थ शंभू, एमएलसी प्रमोद चंद्रवंशी, राजेंद्र सिंह, अमृता भूषण, डॉ. धर्मशिला गुप्ता, सरोज रंजन पटेल, धीरेंद्र कुमार सिंह, संजय खंडेलिया, संतोष पाठक, बेबी कुमारी, ललिता कुशवाहा, अशोक सहनी और अनामिका पासवान का नाम शामिल हैं. ऐसे ही दिलीप जायसवाल की टीम शिवेश राम, राजेश वर्मा, राधामोहन शर्मा, लाजवंती झा और राकेश कुमार को महामंत्री बनाया गया है.
बीजेपी ने राकेश तिवारी को प्रदेश कोषाध्यक्ष बनाया है, तो आशुतोष शंकर सिंह और नितिन अभिषेक को प्रदेश सह कोषाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है. साथ ही बीजेपी ने 14 प्रदेश मंत्री भी बनाए हैं, जिसमें संतोष रंजन राय, रत्नेश कुमार कुशवाहा, संजय गुप्ता, त्रिविक्रम सिंह, धनराज शर्मा, नंदलाल चौहान, रीता शर्मा भीम साहू, अजय यादव, अनिल ठाकुर, मुकेश शर्मा, मनोज सिंह, शोभा सिंह और पूनम रविदास का नाम शामिल है.
बीजेपी ने साधा जातीय समीकरण
बिहार के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों के नाम का ऐलान करके जातीय समीकरण को साधने की कवायद की है. प्रदेश की बीजेपी के प्रदेश संगठन में सबसे ज्यादा सवर्ण जातियों को जगह मिली हैं. बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर ओबीसी के हाथ में सौंपी है और 15 सवर्ण नेताओं को प्रदेश संगठन में जगह दी है. प्रदेश संगठन में अतिपिछड़े वर्ग के 9 नेताओं को शामिल किया गया है, तो ओबीसी समुदाय के 7 नेताओं को प्रदेश संगठन में जगह मिली है. दलित समुदाय से चार नेताओं को बीजेपी ने संगठन में रखा है, जबकि मुस्लिम समुदाय से किसी को भी जगह नहीं मिली.
बीजेपी ने प्रदेश उपाध्यक्ष में दो राजपूत, तीन वैश्य, दो दलित, ब्राह्मण-भूमिहार एक-एक, कहार-कुर्मी-कुशवाहा-सहनी समुदाय से एक-एक हैं. प्रदेश महामंत्री के पांच सदस्यों में एक दलित, एक कायस्थ, एक भूमिहार,एक ब्राह्मण और एक कुर्मी समुदाय से बनाया है. प्रदेश मंत्री की लिस्ट देखें तो 3 भूमिहार, 3 राजपूत, एक यादव, एक नई, एक कुशवाहा,एक नोनिया, एक बढ़ाई, एक रविदासी (दलित) और एक साहू समुदाय से हैं. कोषाध्यक्ष में एक ब्राह्मण, एक कायस्थ, एक वैश्य समुदाय से हैं.
अगड़े और पिछड़े की सियासी केमिस्ट्री
बीजेपी ने विधानसभा चुनाव से पहले सियासी बैलेंस बनाने की कवायद की है इसलिए दिलीप जायसवाल की टीम में सवर्ण और अति पिछड़ी जातियों पर खास जोर दिया गया है. बीजेपी ने अपने कोर वोट बैंक सवर्णों को साधे रखने के साख-साथ अतिपिछड़े और पिछड़े वर्ग के साथ सियासी बैलेंस बनाए रखने की स्ट्रैटेजी संगठन में अपनाई है. बिहार में राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार, कायस्थ और वैश्य वोटर बीजेपी का परंपरागत मतदाता माना जाता है, जिसको संगठन में 40 फीसदी हिस्सेदारी दी है.
बिहार में जाति सर्वे के मुताबिक, 35 फीसदी आबादी अतिपिछड़े वर्ग की है, जिसे देखते हुए बीजेपी ने खास तवज्जो दी है. अतिपिछड़े समुदाय से आने वाले दिलीप जायसवाल ने ओबीसी कोटे को आधा कर दिया है, जबकि ईबीसी कोटे को पिछली बार से दोगुना कर दिया है. सवर्णों का दबदबा चौधरी के साथ-साथ जायसवाल की टीम में भी बरकरार है. बीजेपी ने गैर-यादव ओबीसी को साधने का दांव चला है. प्रदेश संगठन में यादव समुदाय से सिर्फ एक सदस्य को शामिल किया है. इस तरह से बीजेपी ने अगड़े और पिछड़े की सियासी केमिस्ट्री बनाने की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है.