पहलगाम अटैक के बाद कश्मीर में पहला बड़ा आयोजन, खीर भवानी मेले में जुट रहे श्रद्धालु, जानिए कैसा है उत्साह और जमीनी हालात
मेले में शामिल होने श्रद्धालु राजेश ज्योत्सी कहते हैं, "माता खीर भवानी हमारी कुल देवी हैं और उनके दर्शन करना हमारा पवित्र कर्तव्य है. हमें किसी बात का डर नहीं है. यह हमारी धरती है. इस तरह के हमले होते रहते हैं, लेकिन यहां की व्यवस्था बेहतरीन हैं.

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद जहां भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया तो वहीं कश्मीर घाटी में पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आ गई. वहां हलचल भी काफी सीमित हो गई. लेकिन अब हमले के बाद कश्मीर स्थित गांदरबल में खीर भवानी मेले के रूप में पहला बड़ा आयोजन हो रहा है. इसके लिए सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं.
खीर भवानी मेले का आयोजन कल मंगलवार को गांदरबल के तुलमुल्ला, कुलगाम के मंजगाम और देवसर, कुपवाड़ा के टिक्कर में तथा अनंतनाग के लोगरीपोरा पांच रागन्या भगवती मंदिरों में किया जाएगा. मेले से पहले तैयारियों का जायजा लेते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख नलिन प्रभात ने रविवार को माता खीर भवानी मंदिर में दर्शन किया और मेले की सुरक्षा को लेकर तैयारियों की समीक्षा भी की.
60 बसों के काफिले से घाटी पहुंचे श्रद्धालु
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सैकड़ों की संख्या में लोग, जिनमें अधिकतर कश्मीरी पंडित हैं, कल रविवार की सुबह 60 बसों के काफिले में घाटी के लिए रवाना हुए. वे वहां खीर भवानी मेले में हिस्सा लेंगे जो समुदाय का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और रहने को लेकर सभी प्रबंध कर लिए गए हैं. हालांकि उन्होंने यह भी माना कि पिछले साल की तुलना में इस बार मेले में श्रद्धालुओं की संख्या कम है.
जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक (DGP) नलिन प्रभात के साथ गांदरबल जिले के कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मंदिर में मौजूद रहे. अधिकारियों ने मंदिर में माता रागन्या देवी के दर्शन भी किए. घाटी और देश के अन्य हिस्सों से आए कश्मीरी पंडित भारी संख्या में तुलमुल्ला स्थित खीर भवानी मंदिर में एकत्र हुए.
कश्मीरी पंडितों के लिए खास मंदिर
श्रीनगर के पास प्रसिद्ध रागन्या देवी मंदिर में माता खीर भवानी का मेला हर साल लगता है. मेले को लेकर कड़ी सुरक्षा इंतजाम के बावजूद इस साल श्रद्धालुओं की संख्या कम दिख रही है. पिछले कई सालों की तरह इस बार भीड़ नहीं दिख रही. माना जा रहा है कि श्रद्धालुओं की संख्या में कमी की वजह पहलगाम आतंकी हमला और फिर भारत-पाकिस्तान के बीच हुई सैन्य कार्रवाई है.
खीर भवानी मंदिर कश्मीरी पंडितों के लिए बेहद खास मंदिर है. कश्मीरी पंडितों के बीच इस मंदिर की खास मान्यता है. हर साल ज्येष्ठ अष्टमी के अवसर पर गांदरबल में खीर भवानी मंदिर में मेले का आयोजन होता है. यह देवी खीर भवानी को समर्पित है, जो कश्मीरी हिंदुओं की कुल देवी भी मानी जाती है. मंदिर में देवी को खीर चढ़ाई जाती है.
घाटी में ठहरने-खाने का प्रबंधः राहत आयुक्त
राहत आयुक्त (प्रवासी) अरविंद करवानी ने कल रविवार को जम्मू के डीसी सचिन कुमार वैश्य और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर जम्मू के बाहरी इलाके नगरोटा से सड़क परिवहन निगम (आरटीसी) की बसों के काफिले को हरी झंडी दिखाई. श्रद्धालु मंगलवार को मंदिरों में दर्शन करेंगे और एक दिन बाद जम्मू लौट आएंगे.
जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) जोगिंदर सिंह ने कहा कि तीर्थयात्रियों के लिए सभी आवश्यक सुरक्षा व्यवस्थाएं की गई हैं. वहीं राहत आयुक्त करवानी ने बताया, “तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और रास्ते में तथा घाटी में ठहरने-खाने के संबंध में सभी तरह की तैयारी की गई हैं.”
मेले को लेकर क्या कह रहे हैं श्रद्धालु
एक श्रद्धालु राकेश कौल ने बताया, माता खीर भवानी के साथ हमारा संबंध सदियों पुराना है. हम इस यात्रा के लिए पूरा साल इंतजार करते हैं. पिछले 36 सालों से बने डर के हालात के बावजूद लोग यहां पर आ रहे हैं. स्थिति कठिन जरूर है, लेकिन भगवान में हमारी आस्था और भी मजबूत है. लोगों को निश्चित रूप से यहां आना चाहिए और इसका अनुभव करना चाहिए.
मेले में शामिल हो रहे एक अन्य श्रद्धालु राजेश ज्योत्सी ने कहा, “माता खीर भवानी हमारी कुल देवी हैं और उनके दर्शन करना हमारा पवित्र कर्तव्य है. हमें किसी बात का डर नहीं है- यह हमारी धरती है. इस तरह के हमले होते रहते हैं, लेकिन यहां की व्यवस्थाएं बेहतरीन हैं. मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि वे यहां आएं और माता का आशीर्वाद लें.”
पहली बार मेले में शामिल हो रहीं सरोज ने भी यही बात कही. उन्होंने कहा, “यह मेरी पहली यात्रा है. मैंने इस जगह के बारे में बहुत कुछ सुना था. हमें डर नहीं है. ये हमले केवल डर पैदा करने के लिए हैं, और हमें मजबूती से खड़े रहना चाहिए. मुझे किसी तरह का डर नहीं है. ‘माता’ के दर्शन करने में कोई डर नहीं है. पहलगाम का आतंकी हमला दुर्भाग्यपूर्ण था, लेकिन पर्यटकों को वहां जाना चाहिए. हमें डरना नहीं चाहिए.”