नॉडी, टॉम और पिंगू… महाराष्ट्र में पेंगुइन के नाम पर क्यों मचा सियासी बवाल?
मुंबई के रानीबाग चिड़ियाघर में जन्मे तीन पेंगुइन चूजों के अंग्रेजी नामकरण पर बीजेपी ने आपत्ति जताई है. बीजेपी का दावा है कि महाराष्ट्र में जन्मे पेंगुइन को मराठी नाम मिलना चाहिए. यह विवाद बीएमसी चुनावों से पहले राजनीतिक रंग ले चुका है. बीजेपी नेताओं ने चिड़ियाघर प्रशासन को पत्र लिखकर मराठी नाम रखने की मांग की है.

मुंबई के भायखला स्थित वीरमाता जीजाबाई भोसले प्राणी संग्रहालय (रानीबाग) में जन्मे नवजात पेंगुइन चूजों के नाम अंग्रेजी में रखने पर विवाद खड़ा हो गया है. ये विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब मुंबई में बीएमसी चुनाव नजदीक हैं और राजनीतिक दल पहचान और भाषा के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं.
बीजेपी नेताओं का कहना है कि महाराष्ट्र की धरती पर जन्मे इन पेंगुइनों को मराठी नाम दिया जाना चाहिए, ताकि महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान और मराठी भाषा का सम्मान बना रहे.
क्या है पूरा मामला?
मार्च 2025 में रानीबाग में रखे गए आठ पेंगुइनों ने तीन नवजात चूजों को जन्म दिया. प्राणी संग्रहालय प्रशासन ने इनका नाम नॉडी, टॉम और पिंगू रखा. यही बात बीजेपी नेताओं को नागवार गुजरी. भायखला विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी नेता निलेश बांकर ने इस पर आपत्ति जताते हुए चिड़ियाघर प्रशासन को दो पत्र भेजे.
बीजेपी के अनुसार, मराठी को हाल ही में शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला है, ऐसे में मराठी नामों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए थी. पत्र में लिखा गया है कि “इन पेंगुइनों को अंग्रेजी नाम देना मराठी भाषा के साथ अन्याय है. क्या यह मराठी भाषा के प्रति नफरत नहीं है?”
बीजेपी का विरोध
पत्रों में यह भी चेतावनी दी गई कि अगर प्रशासन ने मराठी नामकरण को लेकर सकारात्मक कदम नहीं उठाए, तो बीजेपी “मजबूत आंदोलन” करेगी. पत्रों की कॉपी मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, पालक मंत्री और बीएमसी अधिकारियों को भी भेजी गई है.
हालांकि, चिड़ियाघर प्रशासन की ओर से बीजेपी नेताओं को कोई आधिकारिक जवाब नहीं मिला, जिसके बाद निलेश बांकर और अन्य बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया.
बीजेपी का तर्क
बीजेपी नेताओं का कहना है कि इन पेंगुइनों का जन्म मुंबई में हुआ है. वे कहीं और से उड़कर नहीं आए क्योंकि पेंगुइन उड़ते नहीं हैं. ऐसे में वे जन्म से ही मूल निवासी यानी भूमिपुत्र हैं और उनका नाम मराठी में होना चाहिए.
विवाद के पीछे की बड़ी तस्वीर
मुंबई में लंबे समय से भाषा और सांस्कृतिक पहचान को लेकर राजनीति होती रही है. पहले ये मुद्दे लोगों और नौकरियों तक सीमित थे, अब यह जानवरों तक पहुंच गए हैं. पेंगुइन जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रजाति के पक्षियों को मराठी नाम देने की मांग को लेकर यह विवाद राजनीतिक, भाषाई और सांस्कृतिक बहस का विषय बन गया है. अब देखना होगा कि चिड़ियाघर प्रशासन इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या इन पेंगुइनों के नामों में कोई बदलाव किया जाएगा या नहीं.