जम्मू-कश्मीर में सत्ता की अब फाइनल लड़ाई, हिंदू वोटरों का मूड तय करेगा बीजेपी-कांग्रेस का भविष्य?
जम्मू-कश्मीर में तीसरे और फाइनल चरण की वोटिंग 5 अक्टूबर को होनी है. इस चरण की 40 सीटों में से 24 सीटें जम्मू रीजन तो 16 सीटें कश्मीर इलाके की है. कश्मीर में मुस्लिम तो जम्मू में हिंदू वोटर अहम रोल प्ले करते हैं. इस तरह जम्मू-कश्मीर के अंतिम चरण के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के सियासी भविष्य का फैसला हिंदू मतदाता करेंगे.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दो चरण की 50 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है और अब बारी तीसरे यानी अंतिम चरण की वोटिंग होनी है. जम्मू-कश्मीर के फाइनल चरण में 40 सीटों पर वोटिंग होनी है, जिसमें 415 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 5 अक्टूबर को मतदाता करेंगे. इस चरण की 40 सीटों में से 24 सीटें जम्मू रीजन तो 16 सीटें कश्मीर इलाके की है. यही वजह है कि इस फेज में असल इम्तिहान बीजेपी और कांग्रेस का है, क्योंकि जम्मू बेल्ट में इन्हीं दोनों दलों का सियासी आधार है. इस तरह जम्मू रीजन के इलाके में उसका ही पलड़ा भारी रहेगा, जो हिंदू मतदाताओं के दिल में जीतने में कामयाब रहेगा.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे फेज की 40 सीटें दो रीजन में बंटी हुई है. कश्मीर रीजन की 16 सीटें- करनाह, त्रेगम, कुपवाड़ा, लोलब, हंदवाड़ा, लंगेट, सोपोर, रफियाबाद, उरी, बारामुला, गुलमर्ग, वागोरा-क्रीरी, पट्टन, सोनावारी, बांदीपुरा और गुरेज (एसटी) सीट शामिल हैं. वहीं, जम्मू क्षेत्र की 24 सीटें, उसमें उधमपुर पश्चिम, उधमपुर पूर्व, चेनानी, रमनगर (एससी), बानी, बिलावर, बसोहली, जसरोटा, कठुआ (एससी), हीरानगर, रामगढ़ (एससी), सांबा, विजयपुर, बिश्नाह (एससी), सुचेतगढ़ (एससी), आरएस पुराजम्मू साउथ, बाहू, जम्मू ईस्ट, नगरोटा, जम्मू वेस्ट, जम्मू नॉर्थ, मरह (एससी), अखनूर (एससी)और छंब सीट शामिल हैं.
हिंदू मतदाताओं के हाथों में सत्ता की चाबी
फाइनल चरण के चुनाव में कश्मीर रीजन से ज्यादा जम्मू क्षेत्र की सीटें है. कश्मीर की सियासत में मुस्लिम वोटर अहम हैं तो जम्मू में हिंदू वोटर अहम रोल प्ले करते हैं. इस तरह जम्मू-कश्मीर के अंतिम चरण के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के सियासी भविष्य का फैसला हिंदू मतदाता करेंगे. यही वजह है कि बीजेपी ने हिंदुत्व का चेहरा माने जाने वाले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को चुनावी प्रचार में उतारकर हिंदू वोटों पर अपनी पैठ जमाए रखने का दांव चला है. सीएम योगी ने गुरुवार को रामगढ़ में जनसभा संबोधित किया तो शुक्रवार को दो रैलियां की है. इसके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर पीएम मोदी जम्मू क्षेत्र की सीटों पर प्रचार करके बीजेपी के मजबूत दुर्ग को बचाए रखने का दांव चलेंगे.
बीजेपी के सामने गढ़ बचाने की चुनौती
दस साल पहले बीजेपी जम्मू-कश्मीर की सियासत में किंगमेकर बनकर उभरी थी तो उसमें जम्मू रीजन की सीटों का अहम रोल था. बीजेपी 2014 के चुनाव में 25 सीटें जीतकर सरकार में साझीदार बनी थी. बीजेपी ने पीडीपी को समर्थन दिया था. इसीलिए जम्मू को बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है, जहां पर उसका वर्चस्व अभी भी कायम है. तीसरे चरण की जिन 40 सीटों पर चुनाव है, उसमें 24 सीटें जम्मू रीजन की है. बीजेपी तीसरी चरण की 17 सीटें पर 2014 में जीतने में सफल रही थी, ये सभी सीटें जम्मू रीजन की थी. कश्मीर के रीजन में बीजेपी का कोई प्रभाव नहीं है, जिसके चलते पार्टी का पूरा दारोदमार जम्मू रीजन और हिंदू वोटर्स पर टिका हुआ है.
जम्मू रीजन में इस बार बीजेपी की सियासी राह में कुछ मुश्किलें भी है. जम्मू क्षेत्र की 24 सीटों पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवार उतार रखे हैं, जिनमें से 19 सीट पर उसे कांग्रेस से मुकाबला करना पड़ रहा है और पांच सीटों पर नेशनल कांग्रेस से दो-दो हाथ करना होगा. जम्मू वाले इलाके में पीडीपी और कश्मीर की दूसरी पार्टियों का कोई खास सियासी आधार नहीं है, लेकिन गुलाम नबी आजाद की पार्टी का जरूर सियासी आधार है. गुलाम नबी आजाद की पार्टी के उम्मीदवारों के चुनाव में उतरने से कांग्रेस की जरूर टेंशन बढ़ सकती है.
कांग्रेस-नेशनल कॉफ्रेंस गठबंधन के लिए गुलाम नबी की पार्टी चिंता बढ़ा रही है तो बीजेपी के लिए पैंथर्स पार्टी जरूर टेंशन बनी है. जम्मू रीजन में हिंदू वोटों के चलते ही नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसी पार्टियां अपनी जड़े नहीं जमा पाईं. कांग्रेस और पैंथर्स पार्टी के इर्द-गिर्द रहा हिंदू वोटबैंक सिमटता रहा, लेकिन 2014 के बाद से बीजेपी के साथ हैं. कांग्रेस की स्थिति पहले से बेहतर हुई है, जिसकी वजह से बीजेपी के लिए कुछ सीटों पर टेंशन बढ़ सकती है. कांग्रेस की साथी नेशनल कॉफ्रेंस चाहती है कि राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस के दूसरे नेता तीसरे चरण में ताकत लगाएं ताकि जम्मू क्षेत्र में बीजेपी को मात दी जा सके.
तीसरे चरण की 40 सीटों का सियासी गणित
जम्मू-कश्मीर के तीसरे चरण की 40 में से 24 सीटें जम्मू और 16 सीटें कश्मीर की है. 214 में कश्मीर के इलाके की 16 सीटों पर पीडीपी का राजनीतिक पलड़ा भारी रहा तो जम्मू क्षेत्र की 24 सीटों पर बीजेपी का दबदबा रहा है. कांग्रेस और नेशनल कॉफ्रेंस का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा था. अनुच्छेद 370 और परिसीमन के बाद सियासी हालात बदल गए हैं. जम्मू और कश्मीर के बीच सीटों का बहुत अंतर नहीं रह गया है. कश्मीर क्षेत्र में इस बार पीडीपी को कई चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है तो नेशनल कॉफ्रेंस के पक्ष में माहौल बना है, लेकिन निर्दलीय और अन्य पार्टियों ने टेंशन बढ़ा दी है. जम्मू में बीजेपी के सामने कांग्रेस ही चुनौती है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच जम्मू में किसका पलड़ा भारी रहता है?