BCCI ने अचानक लिया बड़ा फैसला, हटा दिया इम्पैक्ट प्लेयर का रूल

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने इम्पैक्ट प्लेयर के रूल को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. इस नियम को एक टूर्नामेंट से हटा दिया गया है. बीसीसीआई ने अपने इस फैसले की जानकारी सभी टीमों को दे दी है. आईपीएल के पिछले सीजन के दौरान भी ये नियम काफी विवादों में रहा है.

 
Impact player rule

आईपीएल के पिछले सीजन के दौरान इम्पैक्ट प्लेयर का रूल काफी विवादों में रहा था. कई बड़े खिलाड़ियों ने इस नियम के खिलाफ बयान दिए थे. हालांकि इंडियन प्रीमियर लीग के अगले सीजन में ये नियम जारी रहेगा. इसी बीच भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने एक बड़ा फैसला लिया है. बीसीसीआई ने एक घरेलू टूर्नामेंट से इम्पैक्ट प्लेयर का रूल हटाने का फैसला लिया है. बता दें, ये वही टूर्नामेंट है जहां से बीसीसीआई ने इम्पैक्ट प्लेयर के रूल की शुरुआत की थी.

BCCI ने हटाया इम्पैक्ट प्लेयर का रूल

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी से इम्पैक्ट प्लेयर नियम को हटा दिया है. सैयद मुश्ताक अली की शुरुआत 23 नवंबर से होने जा रही है, जो 15 दिसंबर तक खेली जाएगी. बीसीसीआई ने राज्य संघ को एक संदेश के जरिए इम्पैक्ट प्लेयर नियम के फैसले की पुष्टि की है. बीसीसीआई ने कहा, ‘कृपया ध्यान दें कि बीसीसीआई ने मौजूदा सीजन के लिए इम्पैक्ट प्लेयर के प्रावधान को हटाने का फैसला किया है.’ वहीं, हाल ही में बीसीसीआई ने आईपीएल फ्रेंचाइजियों को सूचित किया कि आईपीएल के आगामी सीजन के लिए इस नियम को बरकरार रखा जाएगा.

सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी से ही हुई थी नियम की शुरुआत

इम्पैक्ट प्लेयर नियम का इस्तेमाल सबसे पहले मुश्ताक अली ट्रॉफी में किया गया था. इसके बाद आईपीएल 2023 में इसकी एंट्री हुई थी. इस नियम के तहत मैच के दौरान प्लेइंग-11 में से किसी एक प्लेयर को बाहर कर, उसकी जगह नया खिलाड़ी शामिल किया जा सकता है. यानी एक टीम 12 खिलाड़ियों का इस्तेमाल कर सकती है. इम्पैक्ट प्लेयर नियम के मुताबिक, टॉस के बाद दोनों टीमों को अपने प्लेइंग इलेवन के अलावा इम्पैक्ट खिलाड़ियों का नाम देना होता है, जिनमें से एक का वह बतौर इम्पैक्ट प्लेयर इस्तेमाल करना चाहते हैं. यह खिलाड़ी मैच में किसी भी समय प्लेइंग 11 में किसी किसी भी खिलाड़ी की जगह शामिल हो सकता है.

इस नियम के चलते आईपीएल में भी कई हाई स्कोरिंग मैच खेलने को मिले थे, लेकिन ये नियम ऑलराउंडर्स से बिल्कुल भी मेल नहीं खाता. टीमें ऑलराउंड खिलाड़ियों की तुलना में विशेषज्ञ बल्लेबाजों और गेंदबाजों को प्राथमिकता देती हैं. जिसके चलते कई ऑलराउंडर्स ने इस नियम के खिलाफ अवाज उठाई थी. हालांकि आईपीएल में ये नियम अभी भी जारी रहेगा.