3.70 करोड़ लागत, 2 साल में बनकर हुआ तैयार… उद्घाटन से पहले ही दरक गया UP का पहला स्काई ग्लास वाक ब्रिज

चित्रकूट के मानिकपुर तहसील के तुलसी वॉटरफॉल पर 3.70 करोड़ की लागत से गाजीपुर की पवनसुत कंट्रेक्शन कंपनी ने यूपी का पहला स्काई वाक ब्रिज बनाया था जिसमें स्टार्ट होने के पहले से ही दरार आ गई थीं. इसके बाद जिलाधिकारी ने कार्यदाई संस्था को ब्लैक लिस्ट करने के निर्देश दिए और एनआईटी प्रयागराज की टेक्निकल जांच के बाद ही उसे हैंड ओवर लेने की बात कही थी.

 
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यूपी के चित्रकूट में बने प्रदेश के पहले स्काई ग्लास ब्रिज में आईं दरारों को लेकर अब एक बड़ा खुलासा हुआ है. इस ग्लास ब्रिज में मानसून की पहली बारिश में ही दरारें आ गईं थीं जिसके बाद प्रशासन ने जांच की मांग की थी. अब इस मामले में सपा से सदर विधायक अनिल प्रधान ने वन विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार करने का गंभीर आरोप लगाया है.

चित्रकूट के मानिकपुर तहसील के तुलसी वॉटरफॉल पर 3.70 करोड़ की लागत से गाजीपुर की पवनसुत कंट्रेक्शन कंपनी ने यूपी का पहला स्काई वाक ब्रिज बनाया था जिसमें स्टार्ट होने के पहले से ही दरार आ गई थीं. इसके बाद जिलाधिकारी ने कार्यदाई संस्था को ब्लैक लिस्ट करने के निर्देश दिए और एनआईटी प्रयागराज की टेक्निकल जांच के बाद ही उसे हैंड ओवर लेने की बात कही थी.

स्काई ग्लास ब्रिज में आई दरार

इसके बाद स्काई ग्लास ब्रिज में आई दरार की मरम्मत का काम कार्यदाई संस्था ने शुरू किया था, लेकिन ऐसे में चित्रकूट के सदर विधायक अनिल प्रधान ने वन विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए बड़ा खुलासा किया. उन्होंने बताया है कि जिस कंपनी ने इस ब्रिज को बनाया है उस कंपनी को काम पूरा होने से पहले ही पूरा भुगतान कर दिया गया है जबकि उसका 10 प्रतिशत से ज्यादा का काम अधूरा है. काम इतना गुणवत्ता हीन है कि पहली ही बारिश में पुल में दरार आ गई है.

‘पुल की गुणवत्ता से हुआ समझौता’

वन विभाग के अधिकारियों ने कमीशन के चक्कर में पुल की गुणवत्ता से समझौता किया है और यहां तक कि काम पूरा हुए बिना ही कमीशन लेकर कंपनी को पूरा भुगतान कर दिया गया. इस पूरे मामले में वन विभाग के अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त है जो लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. वन विभाग के अधिकारियों ने स्काई ब्रिज की गुणवत्ता से समझौता कर मानक विहीन स्काई ब्रिज का निर्माण कराया है. वहीं इस मामले में फोन पर वन विभाग के अधिकारियों ने कंपनी को पूरा भुगतान होने की बात बताई है लेकिन सदर विधायक ने लगाए गए आरोपों पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया है.