सरयू पर संकट! घट गया नदी का पानी, घुटने भर पानी में स्नान को मजबूर लोग

अयोध्या में सरयू नदी का जलस्तर लगातार घटता जा रहा है. हर साल गर्मियों में यही स्थिति बनती है, लेकिन इस बार यह कुछ ज्यादा ही गंभीर नजर आ रही है. सरयू घाटों पर बढ़ती रेत और घटता पानी न केवल आध्यात्मिक आस्था को चोट पहुंचा रहा है, बल्कि पर्यावरणीय असंतुलन की भी चेतावनी दे रहा है.

 
अयोध्या

अयोध्या में सरयू नदी की पावन धारा इस समय संकट में है. गर्मी की शुरुआत होते ही नदी का जलस्तर लगातार घटता जा रहा है. हालात ऐसे बन गए हैं कि श्रद्धालुओं को आचमन और स्नान के लिए तपती धूप में रेत के टापू पार करने पड़ रहे हैं. श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या, जहां सरयू नदी को जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी माना जाता है. वहीं अब घाटों पर सरयू की जलधारा दूर होती जा रही है.

यहां राम की पैड़ी, बाबूगढ़ी, जानकी घाट और गुप्तार घाट जैसे प्रमुख घाटों पर श्रद्धालु घुटने भर पानी में स्नान को मजबूर हैं. बीते दिनों में सरयू के जलस्तर में लगातार गिरावट दर्ज की गई है. 28 अप्रैल को जहां इस नदी का जलस्तर 88.14 मीटर था, वहीं 1 मई को यह घटकर 88.06 मीटर पर आ गया. रोजाना लगभग चार सेंटीमीटर की गिरावट चिंताजनक है.

इस स्थिति से संत समाज भी गहरी चिंता में

इस स्थिति ने न केवल आम श्रद्धालुओं को प्रभावित किया है, बल्कि संत समाज भी गहरी चिंता में है. नित्य सरयू आरती सेवा समिति के अध्यक्ष शशिकांत दास ने टीवी 9 भारतवर्ष से बात करते हुए कहा, ‘सरयू की धारा बहुत पीछे चली गई है. यह भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है. समय रहते इसका समाधान जरूरी है.’ वहीं हनुमानगढ़ी के संत देवेशाचार्य ने इसे “सरयू की आत्मा पर संकट” बताया.

सरयु का घटना पानी दे रहा ये चेतावनी

सरयू की जलधारा को पोषण देने वाली सहायक नदी सियागुंठी पूरी तरह सूख चुकी है. हर साल गर्मियों में यही स्थिति बनती है, लेकिन इस बार यह कुछ ज्यादा ही गंभीर नजर आ रही है. सरयू घाटों पर बढ़ती रेत और घटता पानी न केवल आध्यात्मिक आस्था को चोट पहुंचा रहा है, बल्कि पर्यावरणीय असंतुलन की भी चेतावनी दे रहा है.

सरयू है अयोध्या की पहचान

बता दें कि सरयू अयोध्या की पहचान है. इसकी स्थिति पर आज हर वह व्यक्ति चिंतित है जो इस पवित्र धरती से प्रेम करता है. अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन और पर्यावरण से जुड़े विभाग समय रहते इस संकट पर कोई ठोस कदम उठाएंगे? या फिर श्रद्धालुओं को यूं ही रेत में धूप झेलते हुए स्नान करना पड़ेगा.