गाजीपुर में मछुआरों को दिखा डॉल्फिन का बच्चा, पास गए तो पता चला कि टूट चुकी है सांस; आखिर कैसे हुई मौत?

डॉल्फिन के बच्चे के शव मिलने की सूचना वन विभाग के अधिकारियों को दी गई. लेकिन स्थानीय अधिकारी कई घंटे के बाद उस जगह पर पहुंचे. गंगा मित्रों का कहना है कि डॉल्फिन शिशु के शव का पोस्टमार्टम होना चाहिए था, जोकि नहीं हो सका.

 
उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में गंगा और गोमती नदी का संगम है. यहां खानपुर में नदी तट के पास डॉल्फिन मछली का एक मृत बच्चा मछुआरों को बहता हुआ दिखा. मछुआरे तत्काल उसे नदी से बाहर निकालकर लाए. इसकी सूचना वन विभाग को भी दी गई, लेकिन जब तक अधिकारी पहुंचते, तब तक मछुआरों ने डाल्फिन के बच्चे के शव को गंगा में प्रवाहित कर दिया. इसका एक वीडियो भी सामने आया है.

खानपुर थाना के पटना गांव के पास गंगा घाट है, जिसके आस-पास काफी संख्या में डाल्फिन पाई जाती हैं. यहां का शांत वातावरण डॉल्फिन को बहुत पसंद है. इस जगह को डॉल्फिन संरक्षण केंद्र बनाने के लिए कवायद जारी है. इसके लिए वन विभाग की टीम सहित देहरादून के जलीय वन्य संरक्षण समिति भी कई बार दौरा कर चुकी है.

वन विभाग के अधिकारियों को दी गई सूचना

डॉल्फिन के बच्चे के शव मिलने की सूचना गंगा मित्रों ने वन विभाग के अधिकारियों को दी. लेकिन स्थानीय अधिकारी कई घंटे के बाद उस जगह पर पहुंचे, तब तक गंगा मित्रों की ओर से शिशु डॉल्फिन को गंगा में प्रवाहित कर दिया गया. गंगा मित्रों का कहना है कि अगर डॉल्फिन का पोस्टमार्टम हो जाता तो यह पता चल पाता कि उसकी मौत का कारण क्या है. आशंका जताई जा रही है कि डाल्फिन के बच्चे की मौत संभवत: किसी बीमारी से हुई है.

वन विभाग के अधिकारी बोले

मछुआरों का कहना है कि इसके पहले भी एक डॉल्फिन के शव को कुत्तों और जानवरों ने नष्ट कर दिया था. डॉल्फिन संरक्षण केंद्र न बनाये जाने व मृत डॉल्फिन का पोस्टमार्टम न हो पाने से पशुप्रेमियों में नाराजगी है. वन विभाग के प्रभारी अधिकारी विवेक कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस मामले की जानकारी उन्हें मिली थी. उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को तत्काल मौके पर भेजा जो करीब 9:00 बजे के आसपास पहुंचे थे. तब तक गंगा मित्र और स्थानीय मछुआरों की ओर से मृत डॉल्फिन को गंगा में प्रवाहित कर दिया गया था.

करीब डेढ़ साल पहले गंगा नदी में खरौना से लेकर औड़िहार स्थित वाराहधाम तक अधिकारियों ने गहन निरीक्षण कर पटना गांव के पास गंगा नदी में डॉल्फिन केंद्र बनाने की बात कही थी. आधा दर्जन गंगा प्रहरियों के साथ वाराणसी के वन संरक्षक अधिकारी डॉ रवि कुमार और प्रभागीय निदेशक कुमारी स्वाति ने गंगा गोमती के संगम से औड़िहार तक नौकायन करके कुल 10 किलोमीटर की दूरी गंगा नदी में तय की और उतने क्षेत्र में निरीक्षण किया था. गाजीपुर के प्रभागीय निदेशक विवेक यादव ने बताया कि उक्त स्थान बाढ़ प्रभावित एरिया में शुमार है जिसके कारण यहां पर डॉल्फिन केंद्र बनाने में दिक्कतें आएंगी.