ये गधा है या अजूबा… सूंघकर बता देता है कि बीवी कहां है?

आमतौर पर गधा के बारे में सुनकर दिमाग में बोझ ढोने के अलावा उसकी कुछ भी खासियत समझ नहीं आती, लेकिन नौचंदी के मेले में एक ऐसा गधा है जिसके बारे में जानकर सभी ये कहने पर मजबूर हो जाते हैं कि भई ये गधा नहीं बल्कि अजूबा है.

 
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उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक ऐसा गधा है जो लोगों को सूंघकर उनके बारे में सबकुछ जान जाता है. नौंचदी के मेले के सर्कस में आए लोग जब इस गधे से पूछते हैं कि भई इन जनाब की बीवी नहीं मिल रही हैं, कहां पर हैं? गधा सूंघते हुए उनकी बीवी के पास पहुंच जाता है. सर्कस में जब गधे से पूछा गया कि यहां इतनी भीड़ में डॉक्टर साहब कहां बैठे हैं? तो गधा सूंघते हुए उनतक भी पहुंच जाता है.

वैसे तो इस तरह का ज्यादातर करतब कुत्ता, गाय, भैंस में अमूमन दिख जाता है, लेकिन यहां तो गधा कमाल कर रहा है. गधे के इस करतब को देखकर जहां सर्कस में लोगों खूब मजा उठाते हैं तो वहीं हर कोई इससे हैरान भी है, आखिर गधे के अंदर इतना टैलेंट कैसे है?

बिना टिकट वालों को भी पकड़ता है

गधा अपनी सूंघने की शक्ति और ट्रेनिंग की के कारण सर्कस में ऐसे लोगों को पकड़ लेता है तो बिना टिकट के एंट्री लिए होते हैं. साथ ही अगर सवाल किया जाए कि यहां पर ऐसा कौन है जो बिना नहाए ही सर्कस देखने आ गया है, तो पन्नालाल गधा बिना नहाए लोगों की भी पोल खोलने का हुनर रखता है.

कैसे कर पा रहा ये अजूबा?

नौचंदी मेंले में एक बड़े सर्कस का आयोजन किया गया है. इस सर्कस को चलाने वाले रामलाल जी का एक शानदार गधा है, जिसका नाम पन्नालाल है. सर्कस में आए हर लोगों का सवाल रामलाल जी से होता है कि आखिर गधा सबकुछ कैसे जान जाता है? रामलाल जी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वो गधे को फेसरीडिंग करना सिखाते हैं. रामलाल जी ने बताया कि उनकी कई पीढ़ी जानवरों को ट्रेन करने और फेस रीडिंग सिखाने का काम करती आई है.

फिल्मों में पहुंचे जानवरों को किया ट्रेन

रामलाल जी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनके परिवार में सिर्फ गधा ही नहीं और भी कई जानवरों को फेस रीडिंग की ट्रेनिंग दी गई. इनकी पीढ़ी के ही लोगों की तरफ से ट्रेन किए गए जानवरों ने कई मशहूर फिल्मों में भी काम किया है. ये फिल्में मेरा नाम जोकर, फूल पत्थर, चौकीदार आदि हैं.