मेरठ हादसा: न दमकल वाहन, न JCB … तब मोहल्लेवाले बने फरिश्ता, घायलों की ऐसे की मदद

'जो अपनी मदद करता है ईश्वर भी उसकी मदद करता है....', वाकई में ऐसा देखा भी जाता है. मुश्किल परिस्थिति में हाथ पर हाथ रखे बैठे रहने से उस मुश्किल से बिल्कुल भी निपटा नहीं जा सकता है. इसलिए मेरठ में जब 3 मंजिला इमारत गिर गई तब पुलिस और प्रशासन को सूचित करके मोहल्ले के लोगों खुद ही रेस्क्यू करने में जुट गए. इस दौरान उन्होंने NDRF टीम के लोगों को बाइक पर बिठाया और फरिश्ते की तरह मुश्किल का सामना किया.

 
उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के मेरठ में लगातार हो रही बारिश के चलते एक दूध बेचने वाले विक्रेता का 3 मंजिला मकान भरभरा कर गिर गया. शुक्रवार करीब 5 बजे ये हादसा हुआ. लोगों ने पुलिस को सूचना दी. मोहल्ले के लोग पुलिस के भरोसे ही नहीं बैठे, बल्कि लोगों ने सक्रियता दिखाई और खुद मेरठ के जाकिर कालोनी गली नंबर 8 और आसपास के लोग रेस्क्यू करने में जुट गए. कुछ देर बाद पुलिस आई और फिर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया, थोड़ी देर में फिर से बारिश शुरू हो गई और तंग गलियां जल मग्न हो गईं.

तंग गलियां होने की वजह से गली के अंदर बड़ी जेसीबी नहीं आ सकी. जैसे-तैसे करके जेसीबी का छोटा साइज (बॉब) मंगाया गया. उससे मलवे को हटाने का काम शुरू हुआ. बारिश के कारण बिजली नहीं थी तो जनता फरिश्ता बनी और खुद ढो कर जेनरेटर की व्यवस्था कर घटना स्थल पर ले कर आई.

फरिश्ता बने लोग, रेस्क्यू टीमों के साथ जुट गए

रेस्क्यू के दौरान लेटर कटान और बॉब से मालवा हटाने का काम शुरू किया गया तो अंदर से लोग निकालना शुरू हुए. कभी बच्चे निकलते तो कभी बड़े, सभी को एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम निकलती और एंबुलेंस में डाल रही थी, लेकिन एंबुलेंस के निकलने की जगह न हुई तो लोगो ने ही स्ट्रेचर को हाथ में उठा लिया भाग-भाग कर लोगों को गली के बाहर मेन रोड पर खड़ी एंबुलेंस में रखा. जैसे-जैसे बारिश बढ़ती रही वैसे-वैसे गलियों में जल भराव हो गया और लोगों की संख्या भी बढ़ गई.

एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की गाड़ियां भी अंदर नहीं आ पाईं, मकान से मेन रोड की भी दूरी काफी थी, जिस वजह से पैदल जाने में समय लगता. इसलिए लोगों ने अपने-अपने टू व्हीलर निकाले और एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीम को टू व्हीलर में बैठा कर आने लगे. पूरी रात ऐसे ही लोगों ने मदद की. जब इलाके के नामची दूध व्यापारी साजिद की बॉडी निकली तो एंबुलेंस जाने का रास्ता नहीं मिला. लोगों ने 108 नंबर एंबुलेंस के कर्मचारी के साथ स्ट्रेचर उठाया और गली के करीब 500 मीटर बाहर खड़ी एंबुलेंस में लेकर गए. हालांकि, साजिद की अस्पताल तक जाने तक मौत हो गई.

इसमें 16 घंटे से रेस्क्यू जारी है. अभी मलबे में किसी के दबे होने की जानकारी नहीं है, लेकिन SDRF और NDRF की टीम ऑपरेशन में लगी है. टीम स्निफर डॉग्स की मदद से मलबे को हटाकर देख रही है कि कोई और तो नहीं दबा है. हादसा शनिवार शाम 5.15 बजे लोहिया नगर थाना क्षेत्र के जाकिर कॉलोनी में हुआ था. 3 मंजिला घर ढह गया था. इसमें परिवार के 15 लोग दब गए थे.

मां, 1 बेटा, दो बहू और पोता-पोती की मौत इस हादसे में हो गई है. नफीसा उर्फ नफ्फो (63) की मौत हो गई. इनके 3 बेटे साकिब (20), नईम (22), नदीम (26) घायल हैं, जबकि दो बहू नदीम की पत्नी फरहाना (20) और नईम की पत्नी अलीसा (18) की मौत हुई है. साकिब की बेटी रिजा (7) और नईम की 5 महीने की बेटी रिमसा की भी मौत हुई है. नफीसा का बड़े बेटे साजिद (40) की मौत हुई है. साजिद की बेटी सानिया (15) और बेटा साकिब (11) की भी मौत हो गई, जबकि पत्नी साइना (38) की हालत गंभीर है. मृतकों में 2 अन्य सेजाद की बेटी सिमरा (डेढ़ साल) और अबीद की बेटी आलिया(6) भी हैं. छह साल का सुफियान घायल है.