अब आर्गेनिक खाद बनाना हुआ आसान, बस इन चीजों का करें इस्तेमाल; किसान हो रहे मालामाल
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में किसान केमिकल युक्त हानिकारक रासायनिक खेती से दूर हटकर प्राकृतिक खेती की तरफ रुख कर रहे हैं. इसको लेकर जिला प्रशासन, कृषि विभाग किसानों की मदद कर रहा है. ऐसे किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है जो निमास्त्र ब्रह्मास्त्र जैसी पुरानी इंसानी शरीर के लिए लाभदायक खेती कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के किसानों का रुझान रसायन की खेती छोड़ जैविक खेती की ओर हो रहा है. जागरूक किसान दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली खराब वस्तुओं से खाद बनाकर प्राकृतिक विधि से खेती कर रहे हैं. जिले के कृषि अधिकारी किसानों को जैविक खेती के प्रति जागरूक कर रहे हैं. किसानों को ब्रह्मास्त्र और निमास्त्र विधि से रसायन मुक्त खेती करना सिखाया जा रहा है. किसान रासायनिक उर्वरक पर खर्च होने वाले लाखों रुपयों को भी बचा रहे हैं.
हरदोई के कृषि उपनिदेशक नंदकिशोर ने बताया कि निमास्त्र ब्रह्मास्त्र विधि जैसी कई जैविक विधियां खेती करने के लिए आधुनिक युग में उत्तम मानी जा रही है. इसकी पूरी जानकारी किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र के जरिए दी जा रही है. बहुत से किसान इसे अपना कर उन्नत खेती कर रहे हैं और रासायनिक खादों, कीटनाशकों पर पड़ने वाले खर्च को भी बचाकर आमदनी प्राप्त कर रहे हैं.
सरकार कर रही किसानों को प्रोत्साहित
हरदोई के जिला अधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने बताया कि जो किसान जैविक खेती के जरिए रसायन मुक्त खेती कर रहे हैं उन्हें सरकार के द्वारा समय-समय पर प्रोत्साहित किया जाता है निमास्त्र ब्रम्हास्त्र विधि सर्वोत्तम कीटनाशक है इसमें नीम गोमूत्र आदि का इस्तेमाल किया जाता है जो प्राकृतिक है वही गाय के गोबर से खाद बनाकर हम जैविक रूप से खेती करते हुए रसायन से पैदा होने वाले जहर से बच सकते हैं सरकार ऐसे किसानों को आगे बढ़ने पर फल दे रही है.
जानें क्या है ब्रह्मास्त्र और निमास्त्र विधि?
नंदकिशोर ने बताया कि पुरातन काल से किसान अपने आसपास मौजूद प्राकृतिक वस्तुओं के जरिए खेती की विधियों को सुगम और कम लागत वाला बनाकर चल रहा था. लेकिन आधुनिकता की दौड़ में रासायनिक केमिकल के इस्तेमाल से खेतों में पैदा होने वाली फसल की गुणवत्ता में मानव शरीर के लिए पोषण तत्वों की कमी हुई है. इसी को देखते हुए हरदोई के कुछ किसानों ने पुरानी एवं लाभकारी खेती की तरफ रुख किया. जिससे किसान की जेब पर भी वजन कम हुआ है. ऐसी ही खेती के तरीकों में ब्रह्मास्त्र और निमास्त्र विधि का इस्तेमाल किया जा रहा है.
इसके निर्माण के लिए गाय का गोबर, गोमूत्र, मूंग, अरहर, चना आदि का आटा, गन्ने का रस, गुड़ इत्यादि का इस्तेमाल होता है. यह पूरी तरीके से जैविक खेती पर आधारित है. इसमें किसी भी प्रकार का रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. उन्होंने बताया कि कीट पतंग एवं पौधों में लगने वाले कीड़ों से बचाव के लिए निमास्त्र का इस्तेमाल किसान कर रहे हैं. इसे बनाने के लिए नीम की पत्ती और अन्य चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके घोल को बनाकर फसल पर छिड़काव करने से कीट पतंग से मुक्ति मिल जाती है.