सुरक्षा वाहिनी से सियासी संदेश…पिता मुलायम की गलती को सुधारने में जुटे अखिलेश

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ये समझ चुके हैं कि बिना महिलाओं के समर्थन के सत्ता में वापसी असंभव है. सात सालों से अखिलेश यादव यूपी की सत्ता से बाहर हैं. लोकसभा में 37 सीटें पार्टी के हिस्से में आई. अब विधानसभा चुनाव साल 2027 में है.

 
अखिलेश यादव

समाजवादी सबला सुरक्षा वाहिनी…रक्षाबंधन के मौके पर अखिलेश यादव ने इस नाम से एक फ़्रंट बनाने की घोषणा की है. उनके इस ऐलान के पीछे उनका कामयाब PDA वाला फार्मूला है. महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर अखिलेश यादव अब समाजवादी पार्टी की एक नई छवि गढ़ने की तैयारी में हैं.

कभी गठबंधन के नाम पर तो कभी सोशल इंजीनियरिंग के रूप में अखिलेश यादव राजनीति में प्रयोग करते रहते हैं. इस बार सुरक्षा वाहिनी बनाकर उनकी नज़र महिला वोटरों पर है. योगी सरकार में बेहतर क़ानून व्यवस्था को लेकर महिलाएं बीजेपी के समर्थन में रही हैं. अखिलेश यादव इस ट्रेंड को बदलने के प्रयास में हैं. लड़कों से गलती हो जाती है वाली छवि को किनारे लगाना चाहते हैं.

अखिलेश यादव ने दिया PDA का नारा

लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने PDA का नारा दिया था. इस नारे के साथ ही उनकी कोशिश MY वाली इमेज को बदलने की थी. लगातार चार चुनाव हार चुके अखिलेश को समझ में आ गया था कि राजनीति बदल चुकी है. मुस्लिम और यादव वोट के दम पर बीजेपी को हराना अब नामुमकिन है.

PDA ने पलट दी चुनाव की बाजी

बीजेपी के सामाजिक समीकरण के आगे मुसलमान और यादव वाला MY वोट बैंक पीछे छूट चुका था. इसीलिए यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री इस चुनाव में PDA फ़ार्मूला लेकर आए. शुरुआत में अखिलेश यादव को भी उम्मीद नहीं थी कि उनका PDA चुनाव की बाज़ी पलट देगा. इसीलिए वे इसका मतलब बदलते रहे. उन्होंने P के लिए पिछड़ा और D के लिए हमेशा दलित शब्द का इस्तेमाल किया. जब भी A को डिकोड करने की बारी आई, वे गोल पोस्ट बदलते रहे.

समाजवादी पार्टी की ताकत

अखिलेश यादव ने PDA में A को कभी अल्पसंख्यक कहा. को कभी अगड़ा कहा. कई बार उन्होंने इसे आधी आबादी भी बताया. इस बार के चुनाव में समाजवादी पार्टी को गैर यादव ओबीसी समाज का वोट मिला. दलित वोटरों के एक बड़े हिस्से ने अखिलेश यादव का साथ दिया. मुसलमान तो हमेशा से समाजवादी पार्टी की ताकत रहे हैं.

विधानसभा चुनाव पर नजर

लोकसभा चुनाव में अब तक के सबसे अच्छे प्रदर्शन के बाद अखिलेश यादव की नजर अगले विधानसभा चुनाव पर है. वो ये जानते हैं कि समाजवादी पार्टी कभी भी महिलाओं की पहली पसंद नहीं रही. इसकी वजह पार्टी की पुरानी छवि है. बीजेपी और बीएसपी की सबसे बड़ा आरोप एक जैसा है. दोनों ही पार्टियां समाजवादी पार्टी को गुंडों की पार्टी कहती रही है. चढ़ गुंडों की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर. इसी नारे के दम पर बीएसपी ने समाजवादी पार्टी को हरा दिया था.

मुलायम सिंह यादव का बयान

कोलकाता में जूनियर डॉक्टर के रेप के बाद से देश भर के लोग आक्रोश में हैं. यूपी में भी अयोध्या रेप कांड समेत कई घटनाओं में समाजवादी पार्टी के नेता आरोपों के घेरे में हैं. महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में समाजवादी पार्टी को डिफेंसिव होना पड़ता है. मुलायम सिंह यादव का विवादित बयान आज भी पार्टी का पीछा नहीं छोड़ पा रही है. रेप के एक मामले में उन्होंने कह दिया था कि लड़के हैं, लड़कों से ग़लतियां हो जाती हैं. समाजवादी पार्टी के लिए मुलायम सिंह यादव का ये बयान गले की फांस बन चुका है.

महिलाओं का समर्थन

अखिलेश यादव जानते हैं कि महिलाओं के समर्थन बिना सत्ता में वापसी असंभव है. सात सालों से अखिलेश यादव यूपी की सत्ता से बाहर हैं. लोकसभा में 37 सीटें पार्टी के हिस्से में आई. विधानसभा चुनाव साल 2027 में है. इससे पहले अखिलेश यादव आधी आबादी का दिल जीतने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. उनकी पत्नी और लोकसभा सांसद डिंपल यादव भी इस मिशन में उनके साथ हैं. फ़ार्मूला बस इतना है कि कोशिश करने में क्या हर्ज है. इसीलिए सबला सुरक्षा वाहिनी, आधी आबादी की पूरी आज़ादी का नारा दिया गया है.