जो मर गया, उसके नाम कर दी जमीन; कानपुर में अफसरों का फर्जीवाड़ा; अब कोर्ट ने दिया ये आदेश
उत्तर प्रदेश के कानपुर ने फर्जीवाड़े का ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें खुद अधिकारी शामिल हैं. पीड़ित ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों ने मिलीभगत करके उनकी जमीन उनकी मृतक मां के नाम कर दी. इसके बाद जब ये मामला कोर्ट पहुंचा, तो कोर्ट ने अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए.
उत्तर प्रदेश से फर्जीवाड़े का ऐसा मामले सामने आया है, जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल उत्तर प्रदेश के कानपुर में अधिकारियों ने मिलीभगत करके मृतक के नाम जमीन चढ़ा दी. यानी जो शख्स दुनिया में ही नहीं है. उसी के नाम पर जमीन कर दी है. इसके बाद जब ये मामला कोर्ट पहुंचा, तो कोर्ट ने इस मामले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए.
दरअसल महाराजपुर निवासी झर्री ने कोर्ट में अर्जी देते हुए बताया था कि उनकी मां नन्ही की तीन बेटियां चमेली, झर्री और ननकी हैं. मां की मौत के बाद बिठूर के नायब तहसीलदार ने 21 जनवरी 2012 को नन्ही का नाम हटाकर तीनों बेटियों का नाम खतौनी में दर्ज किया था. 15 जून 2016 को कार्यरत नायब तहसीलदार बिठूर ने पारिवारिक विरोधियों से मिलकर तीनों बहनों का पक्ष सुने बिना ही एक सितंबर 2017 को उनका नाम काटकर मृत नन्हीं का नाम खतौनी में दर्ज कर दिया. यानी मरी हुई मां के नाम पर जमीन लिख दी.
अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट
इसके बाद फर्जीवाड़ा कर 5 अक्टूबर 2017 को झर्री के पारिवारिक विरोधियों कालीदीन के बेटे बाबूराम, रामकिशोर, कृष्ण कुमार, शिव शंकर और वीरेंद्र कुमार का नाम खतौनी में दर्ज कर दिया गया. झर्री ने धोखाधड़ी और कूटरचना का आरोप लगाते हुए जून 2016 में कार्यरत बिठूर के नायब तहसीलदार, जून 2016 और सितंबर 2017 में तैनात कानूनगो और लेखपाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की थी.
कोर्ट ने दिए FIR के आदेश
मृतक का नाम खतौनी में दर्ज करना कानूनन गलत मानते हुए कोर्ट ने अब तीनों के खिलाफ कोतवाली थाना प्रभारी मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में गंभीर टिप्पणी भी की है. कानून के मुताबिक किसी सरकारी अफसर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से पहले सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है, लेकिन इस मामले में कोर्ट ने कहा कि लोक सेवक की ओर से की गई कूटरचना उसके पद के दायित्व का हिस्सा नहीं था. इसलिए इस मामले में सरकार से अनुमति लेनी की जरूरत नहीं है.