पश्चिमी यूपी के नेताओं में उबाल! संगीत सोम और महबूब अली के बिगड़े बोल बढ़ा रहे सियासी तनाव

उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव से पहले पश्चिमी यूपी के दो नेताओं के बिगड़े बोल बीजेपी और समाजवादी पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं. इन दोनों नेताओं में एक तो बीजेपी के पूर्व विधायक संगीत सोम हैं तो दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के विधायक महबूब अली हैं.

 
 समाजवादी पार्टी

पश्चिम उत्तर प्रदेश की सियासत में सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष के नेताओं के बयानों से सियासी उबाल दिख रहा है. बीजेपी के पूर्व विधायक संगीत सोम ने पहले कोऑपरेटिव क्षेत्र के एआर अधिकारी को धमकाया और अब आरएलडी को डेढ़ जिलों की पार्टी बताया. संगीत सोम अपने बयानों से बीजेपी की टेंशन बढ़ा रहे हैं. वहीं, सपा विधायक महबूब अली के बिगड़े बोल से अखिलेश यादव का पश्चिमी यूपी में सियासी समीकरण गड़बड़ा सकता है. इस तरह बीजेपी और सपा दोनों ही अपने-अपने बयानवीरों के चलते टेंशन में घिर गई हैं?

पिछले दस सालों से पश्चिमी यूपी राजनीति के केंद्र में बना हुआ है. 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से पश्चिमी यूपी की सियासत पूरी तरह से बदल गई है. बीजेपी इस क्षेत्र में अपनी सियासी जड़े जमाने में कामयाब रही है, जिसके चलते 2014 और 2019 का लोकसभा और 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में विपक्ष का सफाया कर दिया था. 2024 में पश्चिमी यूपी के मुस्लिम बहुल कुछ सीटें बीजेपी जरूर हारी, लेकिन बाकी इलाके में अपना दबदबा बनाए रखा. बीजेपी के सदस्यता अभियान में भी पश्चिमी यूपी अव्वल रहा, लेकिन पार्टी के कई बयानवीर नेताओं के चलते सियासी समीकरण गड़बड़ा रहा है.

संगीत सोम बढ़ा रहे बीजेपी की टेंशन

मेरठ के सरधना से बीजेपी के विधायक रहे संगीत सोम लगातार विवादों में है. गन्ना समिति के चुनाव को लेकर पहले सहकारिता के सहायक प्रबंधक दीपक थरेजा को फोन पर धमकाया और उठवाने तक की बात कही. इसके बाद उन्होंने कहा कि अभी तो फोन पर कम धमकाया है, लेकिन अगर सही से अधिकारी काम नहीं करेंगे और कानून का पालन नहीं करेंगे तो उन्हें पब्लिक के जूतों से भी पिटवाऊंगा. इस बात को लेकर सपा से सवाल खड़े किए तो आरएलडी ने भी सोम के बयान पर आपत्ति जताई. इसके बाद संगीत सोम ने राष्ट्रीय लोकदल को डेढ़ जिले की पार्टी बता दिया.

संगीत सोम के धमकाने को लेकर बीजेपी और योगी सरकार पहले से ही विपक्ष के निशाने पर है और सहयोगी भी सवाल खड़े कर रहे हैं. ऐसे में संगीत सोम ने रालोद को डेढ़ जिले की पार्टी बताने की बात ऐसे समय में कही है जब आरएलडी और बीजेपी मिलकर उपचुनाव लड़ना चाहती है. आरएलडी उपचुनाव में कम से कम दो सीटों की उम्मीद में है. आरएलडी की कोशिश खैर और मीरापुर सीट पर उपचुनाव लड़ने की है. 2022 के चुनाव में आरएलडी ने मीरापुर सीट जीती थी जबकि खैर सीट बीजेपी ने जीती थी. ऐसे में संगीत सोम का बयान बीजेपी और आरएलडी के रिश्तों में खटास पैदा कर सकता है. संगीत सोम पहले भी आरएलडी के साथ गठबंधन करने पर सवाल खड़ा कर चुके हैं और अब डेढ़ जिले की पार्टी बता रहे हैं.

महबूबअली सपा की बढ़ा रहे चिंता

अमरोहा से सपा विधायक महबूब अली ने रविवार को बिजनौर में पार्टी के ‘संविधान मान दिवस’ कार्यक्रम को संबोधित करके हुए विवादित बयान दिया. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों की आबादी बढ़ गई है और बीजेपी का राज खत्म हो जाएगा. महबूब अली ने कहा कि मुगलों ने देश में आठ सौ साल राज किया, जब वो नहीं रहे तो तुम (बीजेपी) क्या रहोगे. इस तरह उन्होंने कहा कि 2027 में बीजेपी जरूर सत्ता से बेदखल होगी और सपा वापसी करेगी. सपा भले ही उनके बयान से किनारा कर रही हो, लेकिन बीजेपी के लिए हाथ बड़ा मुद्दा लग गया है.

महबूब अली ने यह विवादित बयान ऐसे समय दिया है, जब बीजेपी ही नहीं बल्कि हिंदू संगठन मुस्लिमों की बढ़ती आबादी को मुद्दा बना रहे हैं. इतना ही नहीं अखिलेश यादव सपा की मुस्लिम और यादव परस्त छवि को तोड़ने के लिए पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) का फॉर्मूला दिया है. मुस्लिम से जुड़े मुद्दे पर भी अखिलेश खुलकर बोलने से बचते रहे हैं. इसके पीछे सपा की रणनीति यह है कि सपा को एमवाई वाली छवि से बाहर निकालकर जिस तरह से दलित और पिछड़े वर्ग को जोड़ा है, उस मंसूबे पर सपा विधायक महबूब अली पलीता लगा रहे हैं.

क्या कहता है पश्चिमी यूपी का सियासी समीकरण?

पश्चिमी यूपी का सियासी समीकरण देखें तो मुस्लिम समुदाय की आबादी ठीक-ठाक है, लेकिन यादव वोटर नहीं है. इस तरह सपा मुस्लिमों के साथ जाट, गुर्जर, सैनी और दूसरे हिंदू जातियों को जोड़कर सियासी ताना बाना बुन रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में पीडीए फॉर्मूले के चलते ही सपा मुजफ्फरनगर, कैराना, मुरादाबाद, संभल और रामपुर जैसी सीटें जीतने में कामयाब रही है. अलीगढ़, मेरठ और बिजनौर सीट पर कांटे की टक्कर सपा देने में कामयाब रही. अखिलेश ने लोकसभा चुनाव में मुस्लिम परस्त के आरोप से बचने के लिए ही मुस्लिम बहुल सीटों पर गैर-मुस्लिम कैंडिडेट उतारने का दांव सफल रहा था.

उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिसमें से तीन चार सीटें पश्चिमी यूपी की है. मुजफ्फरनगर की मीरापुर, मुरादाबाद की कुंदरकी, गाजियाबाद और अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर उपचुनाव है. इन चार सीटों में से सपा के सिर्फ एक कुंदरकी सीट पर ही कब्जा था, लेकिन अब उपचुनाव में हर हाल में तीन सीट जीतना चाहती है. कुंदरकी और मीरापुर सीट पर सपा मुस्लिम कैंडिडेट उतारने की स्ट्रैटेजी बनाई है. कुंदरकी सीट से पूर्व विधायक हाजी रिजवान का टिकट कन्फर्म माना जा रहा है तो मीरापुर सीट पर कादिर राणा के नाम की चर्चा है.

महबूब अली के बयान पर बीजेपी ने सपा को घेरा

मीरापुर सीट भले ही मुजफ्फरनगर जिले में आती हो, लेकिन बिजनौर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. महबूब अली ने मुस्लिमों की बढ़ने वाली आबादी का बयान बिजनौर जिले में दिया है. महबूब अली के बयान को लेकर बीजेपी ने कहा कि अखिलेश यादव बताएं क्या वो गजवा ए हिंद लाना चाहते हैं. यूपी की जनता रामचंद्र को लाई है और फिर राम को लाएंगे. 2027 में फिर बीजेपी की सरकार बनेगी. आबादी बढ़ने का लोगों को डर दिखाने वाले गारंटी से कहता हूं सड़क पर राम राम करते नजर आएंगे. इसके अलावा ओम प्रकाश राजभर ने भी महबूब अली पर सवाल खड़े किए. इस तरह सपा अपने ही विधायक के बयान से घिर गई है.